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रिकॉर्ड बता रहे मिताली हैं सरताज,फिर हमें उन पर क्यों नहीं कोहली,सचिन जितना नाज!

सचिन, द्रविड़, रोहित और कोहली जैसे दिग्गज हैं इनसे पीछे, कई रिकॉर्ड्स पर है मिताली का "राज"

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मिताली राज (Mithali Raj) भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) की स्टार और जान हैं. पिछले 22 साल से टीम इंडिया के लिए खेलते हुए उन्होंने जिस तरह से रिकॉर्ड्स स्थापित किए हैं, वह अद्वितीय हैं. उनके सम्मान में इंग्लैंड के मैदान में लगातार ताली बजाई जाती है, लेकिन वहीं हमारे देश और समाज से उन्हें वह सम्मान हासिल नहीं होता, जितना पुरुष क्रिकेटर को मिलता है. बीसीसीआई (BCCI) के वेतन से लेकर लोगों की ताली हर मामले में उनको कमी देखने को मिली है, आखिर ऐसा क्यों है?

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सबसे ज्यादा 84 मैच जीतने वाली कैप्टन मिताली

हाल ही में मिताली राज महिला क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा 84 मैच जीतने वाली कप्तान बन गई हैं, उन्होंने बेलिंडा क्लार्क का रिकॉर्ड तोड़ा जिन्होंने 83 मैचों में जीत दर्ज की है. इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में नाबाद 75 रनों की पारी खेलते हुए मिताली ने भारतीय टीम को 4 विकेट से जीत दिलाई है. हालांकि टीम इंडिया 1-2 से सीरीज हार गई, लेकिन मिताली एक बार फिर अपने बल्ले से रिकॉर्ड्स निकालने में कामयाब रहीं. वहीं 3 जुलाई, 2021 को इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे में मिताली वूमेंस इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली प्लेयर बन गई हैं. उन्होंने इंग्लैंड की पूर्व कप्तान चार्लोट एडवर्ड्स को इस मामले में पीछे छोड़ा. एडवर्ड्स ने 10, 273 रन बनाए थे, जबकि मिताली के नाम 317 मैचों में 10,337 रन हो गए हैं.

अब एक नजर मिताली के कुछ खास रिकॉर्ड्स पर

मिताली ने 26 जून 1999 में 16 साल और 205 दिन की उम्र में ही वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था. उनका पहला मैच आयरलैंड के खिलाफ था. उन्होंने डेब्यू मैच में ही सेंचुरी जड़ दी थी. उस मैच में मिताली ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 114 रनों की पारी खेली थी. एक और खास बात यह है कि सचिन तेंदुलकर और मिताली राज दोनों ने भारत के लिए 16 साल और 205 दिन की उम्र में डेब्‍यू किया था. आगाज ही विस्फोटक था तो अंजाम और ज्यादा रोचक होता जा रहा है. वे एक रन मशीन की तरह लगातार आगे बढ़ते हुए कीर्तिमान स्थापित करती जा रही हैं.

वर्तमान में मिताली के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 10,337 रन हो गए हैं. उन्होंने 11 टेस्ट में 669, 217 वनडे में 7304 और 89 टी20 इंटरनेशनल में 2364 रन बनाए हैं. वहीं वनडे में उनके नाम 8 विकेट्स भी हैं. टी-20 में 17 हाफ सेंचुरी लगाने वाली मिताली ने ODI में 58 और टेस्ट में 4 अर्द्धशतक जड़े हैं. वनडे और टेस्ट को मिलाकर उनके नाम 8 सेंचुरी भी हैं. टेस्ट में उनके नाम दोहरा शतक भी है. मिताली ने जिस तरह से भारतीय क्रिकेट में अपना योगदान दिया है उसके बिना महिला क्रिकेट अधूरा होगा. मिताली राज एक ऐसी क्रिकेटर हैं, जिन्होंने महिलाओं को यह बताया कि क्रिकेट सिर्फ पुरुषों का नहीं महिलाओं का भी खेल है.

ये रिकॉर्ड्स भी उनके सफल क्रिकेट का उदाहरण हैं :

  • एकदिवसीय मैचों में लगातार सात अर्धशतक बनाने वाली पहली महिला क्रिकेटर. मिताली से आगे पाकिस्तान के जावेद मियांदाद एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लगातार 9 अर्धशतक बनाए हैं.

  • वह एकमात्र ऐसी क्रिकेटर हैं (पुरुष या महिला), जिन्होंने एक से अधिक आईसीसी वर्ल्ड कप फाइनल में भारतीय टीम की कप्तानी की है. उन्होंने साल 2017 और 2005 में दो बार ऐसा किया है.

  • 19 साल और 254 दिन की उम्र में दोहरा शतक लगाने वाली मिताली सबसे युवा महिला क्रिकेटर हैं. इसके साथ ही उनके द्वारा बनाया गए 214 रन बैटिंग टीम से एक पारी में बनाया गया सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर भी है.

  • टेस्ट क्रिकेट में सातवें विकेट के लिए मिताली ने 157 रनों की साझेदारी की थी, जो महिला टेस्ट में रिकॉर्ड है.

  • महिला ODI में सबसे ज्यादा मैचों की कप्तानी का रिकॉर्ड मिताली के नाम है.

  • महिला वनडे में सबसे ज्यादा रन (7304) मिताली के नाम हैं.

  • वूमेंस वनडे में सबसे कम उम्र (16 साल 205 दिन) में शतक भी मिताली ने ही लगाया है.

  • एक पारी में सबसे ज्यादा कैच लेने का रिकॉर्ड.

  • सबसे लंबे कैरियर (22 साल 7 दिन से ज्यादा) का रिकॉर्ड.

  • वूमेंस ODI में नर्वस 90 के मामले (5 बार) में भी मिताली सबसे आगे हैं.

  • टी-20 में बैटिंग एवरेज (37.52) के मामले में मिताली टॉप पर हैं.

  • 14 मार्च, 2021 को मिताली वूमेंस वनडे में 7000 रन बनाने वाली पहली बल्लेबाज बनीं. वहीं इंटरनेशनल क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाली दूसरी महिला बल्लेबाज भी बनीं.

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धोनी की बराबरी; द्रविड़, रोहित और कोहली जैसे दिग्गज हैं इनसे पीछे

एक जुलाई 2021 को मिताली राज ने विराट कोहली, रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ के रिकॉर्ड तोड़े थे. तब उन्होंने ODI में इंग्लैंड में सबसे ज्यादा 50 या उससे अधिक रन की पारियां खेलने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था.

मिताली राज ने वनडे क्रिकेट में जीत के लक्ष्य का पीछा करते हुए अपने क्रिकेट कैरियर में 16वीं बार 50 से ज्यादा का स्कोर बनाया और नाबाद रहीं. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे में नाबाद 75 रन की पारी खेलते हुए ये कमाल किया. इसके साथ ही उन्होंने टीम इंडिया पुरुष टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर डाली. धोनी ने भी अपने वनडे कैरियर में रन चेज करते हुए कुल 16 बार 50 रन से ज्यादा की पारी खेली थी.

हमारे देश और समाज में पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में महिला खिलाड़ियों के साथ जिस तरह से व्यवहार होता है वह किसी से छिपा नहीं है. सैलरी और सुविधाओं से लेकर प्रोत्साहन तक में केवल कमी ही नहीं भारी कमी देखने को मिलती है. मिताली के साथ भी कुछ ऐसा हुआ है.

क्या महिला खिलाड़ी होना गुनाह है?

वूमेंस वर्ल्ड कप 2017 के दौरान मिताली राज से एक रिपोर्टर ने सवाल किया था कि उनका पसंदीदा पुरुष क्रिकेटर कौन हैं? यह सुनते ही उन्होंने कड़क अंदाज में कहा था, “क्या आप कभी पुरुष क्रिकेटर से पूछते हैं कि उसकी पसंदीदा महिला क्रिकेटर कौन है?” इतना कहकर मिताली ने रिपोर्टर का बोलती बंद कर दी थी. मिताली ने एक रिपोर्टर की बोलती तो बंद कर दी लेकिन समाज में पितृसत्ता इतनी हावी है कि ऐसे सवालों की झड़ी लग जाती है.

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क्या महिलाएं देश के लिए नहीं खेलती हैं?

बीसीसीआई (BCCI) पर महिला क्रिकेटरों से दोहरा बर्ताव करने का आरोप वर्षों से लगता रहा है. बीसीसीआई ने महिला क्रिकेटरों से सालाना अनुबंध की जो लिस्ट जारी की है. उसे देखने पर बोर्ड का महिला खिलाड़ियों के साथ दोहरा बर्ताव नजर आता है. महिला और पुरुष क्रिकेटरों के अनुबंध राशि में भारी अंतर है. बीसीसीआई का पुरुष क्रिकेटरों से जो करार है उसे 4 ग्रेड में बांटा गया है. विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह को A+ ग्रेड में रखा गया है. इनसे सालाना 7-7 करोड़ रुपए का अनुबंध है. वहीं ग्रेड A के क्रिकेटरों का करार 5-5 करोड़ रुपए का है. ग्रेड B और ग्रेड C के क्रिकेटरों को 3 और 1 करोड़ मिलते हैं.

जबकि महिला क्रिकेटरों की बात करें तो ग्रेड A में हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और पूनम यादव को जगह मिली है. इन्हें सालाना 50 लाख रुपए मिलेंगे. ग्रेड B के लिए 30 लाख सालाना और ग्रेड C के लिए 10 लाख रुपए सालाना का करार किया गया है. ग्रेड B में मिताली राज, झूलन गोस्वामी, दीप्ति शर्मा, पूनम राउत, राजेश्वरी गायकवाड़, शेफाली वर्मा, राधा यादव, शिखा पांडे, तानिया भाटिया और जेमिमा रोड्रिग्ज शामिल हैं. वहीं ग्रेड C में मानसी जोशी, अरुंधती रेड्‌डी, पूजा वस्त्राकर, हरलीन देओल, प्रिया पूनिया और रिचा घोष हैं.

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पुरुषों के खेल को दोगुना पसंद करते हैं हम

पुरुष टीम के खिलाड़ियों के रिकॉर्ड्स क्रिकेटप्रेमियों की जुबां पर होते हैं लेकिन बात अगर महिला क्रिकेटर की आ जाए तो क्रिकेट फैन्स “क्लीन बोल्ड” हो जाते हैं.

कुछ साल पहले जब स्टार स्पोर्ट्स के एक कार्यक्रम में एंकर ने लोगों से सवाल किया कि ‘सबसे पहले क्रिकेट में दोहरा शतक किसने लगाया?’ सभी का जवाब सचिन तेंदुलकर था, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि सही जवाब सचिन नहीं बल्कि ‘मिताली राज’ है तो सब चकित रह गए थे. उनका चकित होना स्वाभिक था, क्योंकि शायद हमने और हमारे समाज ने कभी भी महिलाओं को और उनकी उपलब्धियों उस नजरिए से नहीं देखा जैसा पुरुषों की सफलता को देखते हैं.

उस कार्यक्रम में एक दर्शक ने चैनल वालों से कहा कि आप सभी महिला क्रिकेट दिखाते ही कहां हो? सवाल उसका भी जायज था, लेकिन एक तथ्य यह भी है कि हम महिलाओं का खेल देखते ही कहां हैं. हमारे लिए तो पुरुषों का खेल ही सबकुछ है.

बीबीसी ने खेलों की दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों पर एक रिसर्च की है, 14 राज्यों के 10 हजार लोगों से बातचीत पर आधारित रिसर्च में कई रोचक बातें भी सामने आई हैं. जैसे महिला और पुरुष खिलाड़ियों को देखने वालों में जेंडर गैप बरकरार है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों के खेल को दोगुनी संख्या में देखा जाता है.

इस रिसर्च में शामिल हुए लोगों के मुताबिक महिलाओं के खेलों की तुलना में पुरुषों के खेल ज्यादा मनोरंजक और दिलचस्प होते हैं.

सर्वे में हिस्सा लेने वालों में 42% लोगों का मानना था कि महिलाओं के खेल पुरुषों जितने ‘मज़ेदार’ नहीं होते. वहीं 50% लोग एक भी महिला खिलाड़ी का नाम नहीं बता सकें.

बीबीसी के सर्वे में यह भी पाया गया कि सर्वे में शामिल लोगों का एक तिहाई हिस्सा ऐसा भी था जिसने कबड्डी, कुश्ती, मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, एथलेटिक्स जैसे खेलों को महिलाओं के लिए ‘अनुपयुक्त’ बताया.

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दिक्कत और समाधान

भारत के पूर्व विकेटकीपर सबा करीम को लगता है कि महिला क्रिकेट आगे ले जाने के लिए भारतीय बोर्ड को ज्यादा पेशेवर रवैया अपनाना चाहिए और ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए जो पुरुष क्रिकेट से अलग हो. ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए सबा करीम ने कहा था कि "एक मजबूत प्लान की जरूरत है. एक ऐसा प्लान जो पुरुषों से अलग हो. जो चीजों को आगे ले जाए और हम उस पर आगे बढ़ सकें. मुझे लगता है कि आगे जाने का तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा पेशेवर रवैया अपनाया जाए और महिला क्रिकेट की ग्रोथ पुरुष क्रिकेट से अलग हो और प्लानिंग भी.”

उन्होंने यह भी कहा था कि “भारत में, हमारे पास ज्यादा लड़कियां नहीं हैं जो क्रिकेट खेलती हैं. अभी तक यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि इस सिस्टम में आने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. उदाहरण के तौर पर एक लड़के के लिए दो किलोमीटर चल कर खेलने जाना या स्कूल जाना आसान है लेकिन लड़की के लिए नहीं. तो हम कैसे इसे हटाएंगे? हम कैसे इसकी पहुंच को बढ़ाएंगे.”

इंग्लैंड की पूर्व क्रिकेटर इशा गुहा ने कहा है कि मेंस और वूमेंस क्रिकेट के बीच अब भी असमानता मौजूद है, लेकिन उम्मीद जताई कि अगर मेंस क्रिकेट जितना ही महिला क्रिकेट पर ध्यान दिया जाए तो भारत की महिला टीम भी उतना ही अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.

भारत में महिला क्रिकेटर्स और अन्य खिलाड़ियों के साथ जो भेदभाव होता है वह किसी से छुपाए नहीं छिपा है. कमोवेश हर खेल में महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है. मिताली का उदाहरण एक बड़ी बीमारी की ओर इशारा है. बीमारी महिला खिलाड़ियों से भेदभाव की. महिला क्रिकेटरों को कम वेतन देने की. आईपीएल में खेलने की इजाजत तो देना लेकिन लेकिन कम मैचों के जरिए महिला क्रिकेटरों और खिलाड़ियों के खेल को इग्नोर करने की. हमें कभी भी महिलाओं से कम नहीं आंकना चाहिए. हमें हमारे खिलाड़ियों पर नाज होना चाहिए चाहे वे पुरुष हों या महिला.

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