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अंबाती रायडू अगर बैन की बलि नहीं चढ़े होते तो और बड़े स्टार होते!

एक वक्त पर अंबाती रायडू को भारतीय क्रिकेट का अगला सचिन तेंदुलकर कहा जाता था.

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(ये आर्टिकल सबसे पहले 30 अप्रैल 2018 को पब्लिश किया गया था. उस वक्त अंबाति रायडू आईपीएल 2018 में औरेंज कैप होल्डर थे. क्योंकि रायडू ने हैदराबाद के खिलाफ अपनी पहली टी20 सेंचुरी जमाई, हम इसे फिर से शेयर कर रहे हैं )

अंबाती रायडू इस सीजन में बड़े स्टार बनकर उबरे हैं. आधा सीजन बीतने के बाद वो सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में पहले नंबर पर हैं. अंबाती रायडू के इस प्रदर्शन पर इसलिए भी चर्चा होनी चाहिए क्योंकि इस सीजन में अंबाती रायडू ‘फ्लोटिंग’ बल्लेबाज के तौर पर खेले हैं.

उन्होंने टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी की है. साथ ही सुरेश रैना के कुछ मैचों में टीम से बाहर होने पर उन्होंने मिडिल ऑर्डर को भी संभाला है. अलग अलग जिम्मेदारियों को संभालने के बाद भी रायडू का प्रदर्शन शानदार रहा है. सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने सभी टीमों के गेंदबाजों के खिलाफ खुलकर बल्लेबाजी की है. सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में वो चौथे पायदान पर हैं. इस लिस्ट में उनसे ऊपर के बाकी तीनों बल्लेबाज विदेशी हैं. पिछले सीजन तक अंबाती रायडू मुंबई की टीम का हिस्सा थे. इस सीजन में जब चेन्नई की टीम की बैन के बाद वापसी होनी थी और खिलाड़ियों की नीलामी होनी थी तो धोनी ने अंबाती रायडू को चेन्नई की टीम के लिए चुना. धोनी का ये फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ. अंबाती रायडू उनकी टीम के ‘की-प्लेयर’ के तौर पर उभरे हैं.
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आज आपको अंबाती रायडू के करियर के उतार चढ़ाव के बारे में बताएंगे, एक वक्त पर उन्हें भारतीय क्रिकेट का अगला तेंदुलकर कहा जाता था. फिर उनका सफर पटरी से उतर गया, इस पूरी कहानी पर जाने से पहले इस सीजन में अंबाती रायडू के प्रदर्शन को इन आंकड़ों से समझ लेते हैं.

ऐसे हुई थी अंबाती रायडू के करियर की शुरूआत

90 के दशक के आखिरी सालों की बात है. घरेलू क्रिकेट में एक सितारा उभर रहा था- अंबाती रायडू. अंडर-16 और अंडर-19 लेवल पर अंबाती रायडू ने कुछ अच्छी पारियां खेली थीं. जिसका नतीजा ये हुआ कि सिर्फ 16 साल की उम्र में उन्हें हैदराबाद की टीम में चुन लिया गया. सबकुछ बिल्कुल पटरी पर चल रहा था. 2002 में हैदराबाद के लिए अंबाती रायडू के घरेलू श्रेणी के क्रिकेट करियर की शुरूआत हुई. अगले ही साल उन्हें इंडिया-ए की टीम में चुन लिया गया. 2004 में उन्हें अंडर-19 भारतीय टीम की कमान सौंप दी गई.

अंबाती रायडू लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. दाएं हाथ से बल्लेबाजी करते थे. जरूरत पड़ने पर विकेटकीपिंग कर सकते थे और कभी कभार दाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी भी. किसी भी खिलाड़ी में जितनी उपयोगिता हो सकती थी वो सब रायडू में थी. एक वक्त था तो उन्हें अगला सचिन तेंदुलकर कहा जाने लगा था. सचिन तब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत बड़ा नाम बन चुके थे. साल 2002-03 के घरेलू सीजन में अंबाती रायडू ने जमकर रन बनाए. इन आंकड़ों को देखिए.

इतने शानदार सीजन के बाद रायडू के लिए टीम इंडिया के दरवाजे खुलते दिख रहे थे. उस वक्त उनकी उम्र 17 के करीब थी लेकिन अगले पांच साल उनकी किस्मत का तारा उल्टा घूमा. पहले वो हैदराबाद की टीम छोड़कर आंध्र की टीम से जुड़े, फिर वापसी भी की. अनफिट हुए, यही वक्त था जब इंडियन क्रिकेट लीग की शुरूआत हुई थी. अंबाती रायडू ने आईसीएल खेलने के लिए हामी भर दी और ऐसा करते ही वो बीसीसीआई की आंख में चुभने लगे. दरअसल, आईसीएल के शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद बीसीसीआई ने इंडियन क्रिकेट लीग को बागी लीग के तौर पर घोषित कर दिया.

नतीजा ये हुआ कि जिस खिलाड़ी को अगला तेंदुलकर कहा जा रहा था वो ‘बैन’ कर दिया गया. आखिर में जब अंबाती रायडू ने बीसीसीआई की सभी शर्तें मान ली तब जाकर उनके करियर को एक तरह का जीवनदान मिला. 2009 के बाद एक बार फिर उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने की इजाजत मिली. इसके बाद अंबाती रायडू ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

दिसंबर 2012 का साल था, संदीप पाटिल बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर हुआ करते थे. दिलचस्प बात ये है कि आईसीएल जब शुरू हुआ था तब संदीप पाटिल भी उससे जुड़े थे. संदीप पाटिल ने अंबाती रायडू को टीम इंडिया में सेलेक्ट किया. इसके करीब एक साल बाद उनके वनडे करियर की शुरूआत जिम्बाब्वे के खिलाफ हुई. जिसमें वो अपने पहले वनडे मैच में अर्धशतक लगाने वाले 12वें बल्लेबाज बने. तब से लेकर अब तक रायडू ने लगातार अलग-अलग स्टेज पर खुद को साबित किया है.

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