चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया को करारी हार मिली. जिस मैच को आसानी से जीतकर विराट कोहली की सेना सेमीफाइनल में जगह बनाने का सपना संजो रही थी, उस मैच में लंकाई शेर ऐसा दहाड़े कि टीम इंडिया भीगी बिल्ली सी नजर आई.
आखिर टीम इंडिया हार क्यों गई? 321 रन का विशाल स्कोर, टूर्नामेंट का सबसे बेहतरीन बॉलिंग अटैक, श्रीलंका की अनुभवहीन बल्लेबाजी होने के बावजूद ये पासा पलट कैसे गया? आप कह सकते हैं कि गेंदबाजों ने मैच हरवा दिया लेकिन हमाना मानना है कि कप्तान विराट कोहली की वजह से ही टीम इंडिया हार गई!
टीम इंडिया के सबसे बड़े बल्लेबाज विराट कोहली श्रीलंका के खिलाफ शून्य पर आउट हो गए थे. वनडे क्रिकेट में कोहली का यूं खाता भी न खोल पाना बहुत ही अजीब सा दृश्य था वो भी अपने सबसे पसंदीदा विरोधी श्रीलंका के खिलाफ.
लेकिन टीम इंडिया की हार की वजह यही है. जी हां, इतिहास गवाह है कि जब जब विराट कोहली का बल्ला रूठता है जीत भी टीम इंडिया से अपना मुंह मोड़ लेती है. अब चाहे इसे टोटका ही समझ लीजिए लेकिन अगर विराट कोहली किसी वनडे मैच में 25 के कम का स्कोर बनाते हैं तो टीम इंडिया की हार के चांस बहुत बढ़ जाते हैं. ऐसे में दूसरे बल्लेबाज शतक भी लगा लें तो टीम इंडिया की जीत पक्की नहीं कर पाते!
25 से कम का स्कोर टीम इंडिया की आफत
विराट कोहली पिछले तीन सालों में ही वनडे क्रिकेट के बेताज बादशाह बनकर उभरे हैं. ऐसे में हम भी उनके पिछले तीन सालों के रिकॉर्ड की ही यहां ज्यादा बात करेंगे. पिछले तीन सालों में टीम इंडिया ने 47 मैच खेले हैं. जिनमें से 20 मैचों में विराट शून्य और 25 के स्कोर के बीच आउट हुए तो वहीं 27 मैचों में उन्होंने 25 या उससे ज्यादा का स्कोर बनाया.
दिलचस्प आंकड़ा ये है कि जब जब विराट कोहली ने 25 से कम रन बनाए तो टीम इंडिया ने अपने लगभग 65% मुकाबले गंवा दिए यानि जीत का प्रतिशत सिर्फ 35. वहीं अगर उन्होंने 25 या उससे ज्यादा रन बनाए तो टीम इंडिया ने अपने 74% मैच जीते हैं.
यानि विराट कोहली का बल्ला चलना टीम इंडिया के लिए आप शुभ कह सकते हैं. आप अगर टीम के जीते हुए मुकाबलों में उनकी औसत देखें तो चौंक जाएंगे.
अपनी 27 में से 23 सेंचुरी उन्होंने टीम इंडिया की जीत में लगाई हैं. ऐसे में दूसरे बल्लेबाज रन बनाएं ये तो अच्छी बात है ही लेकिन टीम इंडिया की जीत को पक्का करने के लिए विराट कोहली कम से कम 25 रन तो बना ही दें.
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