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शहर से गांव तक नहीं रोजगार, हालत बहुत खराब-आदित्य ठाकरे EXCLUSIVE

ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्य बनेंगे आदित्य?

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. आदित्य ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्य हो सकते हैं. इस महीने की शुरुआत से वो जन आशीर्वाद यात्रा पर हैं. इस कार्यक्रम का मकसद लोगों को, खासकर युवा वोटरों को अपने साथ जोड़ना है.

यात्रा के दौरान आदित्य ने क्विंट हिंदी से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने आर्थिक हालात से लेकर किसानों की समस्याओं और पार्टी के चुनावी मुद्दों पर खुलकर बात की.

क्या चुनाव में भारी पड़ सकता है किसानों का गुस्सा?

किसानो में आक्रोश है. कर्जमाफी अबतक किसानों तक नहीं पहुंची है. फसल बीमा योजना के पैसे भी किसानों को नहीं मिले हैं, हालांकि, इसमें सिस्टमेटिक खामी है. इसपर हमें राजनीति नहीं करनी है. सरकार ने कर्ज माफ तो किया है लेकिन लाभ क्यों नहीं मिल रहा है, ये जानने की कोशिश हम कर रहे हैं. हम हर गांव में जा रहे हैं. लोगों से आवेदन ले रहे हैं, उनकी समस्या सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

चुनाव लड़ने और राज्य के कैबिनेट में पद के सवाल पर आदित्य ने कहा कि वो पीएम मोदी और बालासाहब को अपना आदर्श मानते हैं, पद के पीछे नहीं भागते.

मोदी जी ने सीएम बनने से पहले लोगों से संवाद किया, लोगों की नस पकड़ी. पीएम मोदी और बालासाहब ,दोनों कभी पद के पीछे नहीं भागे और मेरा भी वही इरादा है- पद के पीछे ना भागा जाए, जनता आशीर्वाद देगी तो सब कुछ संभव है.
आदित्य ठाकरे, शिवसेना

कयास लगाए जा रहे हैं कि आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा पार्टी के कुछ नेता उन्हें पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी मान रहे हैं.

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मौजूदा आर्थिक हालात को लेकर क्या कहेंगे?

GDP के आंकड़े चिंता करने वाले जरूर हैं, लेकिन मुझे लगता है कि केंद्र सरकार इससे निपटने के लिए कदम उठाएगी. बेरोजगारी है और एग्रीकल्चर सेक्टर की हालत खराब है लेकिन मैं अभी सकारात्मक रहना चाहता हूं. मुझे उम्मीद है कि हालात जल्द सुधरेंगे.

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क्या नारायण राणे को बीजेपी में शामिल करने से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को नुकसान हो सकता है?

नारायण राणे को बीजेपी में शामिल करना, ना करना बीजेपी का अंदरूनी मामला है. मैं इसका जवाब नहीं दे सकता हूं. लेकिन विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी चुनाव साथ मिलकर लड़ेगी. ये गठबंधन राममंदिर के लिए, विकास के लिए, किसानों के लिए है. जनता में जो आक्रोश है वो समझने के लिए मैं रास्ते पर उतरा हूं.

बीजेपी और शिवसेना पिछले 30 साल के एक-दूसरे के सहयोगी हैं. लेकिन कुछ सालों से गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कई मौकों पर गठबंधन टूटने तक की नौबत आ गई थी. हालांकि, तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों पार्टियों ने 2019 लोकसभा चुनाव साथ लड़ा था.

वीडियो में देखिए ये पूरी बातचीत.

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