ADVERTISEMENTREMOVE AD

VIDEO | दही हांडी में लड़कियों की टीम दे रही है लड़कों को टक्कर

अकेले महाराष्ट्र में 3 हजार लड़कियां ले रहीं दही हांडी में हिस्सा

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जन्माष्टमी और दही-हांडी दो ऐसे शब्द हैं जिनके बारे में आप एक सांस में बात कर सकते हैं. कहा जाता है कि दही हांडी तो कृष्ण काल से चला आ रहा है. ये दूध, दही, मक्खन के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है.

लेकिन दही हांडी का नाम लेते ही ध्यान में आता है जोश से भरे लड़कों का ग्रुप जो मानव पिरामिड की शक्ल में हांडी तक पहुंचने की कोशिश करता है. दशकों से पूरे देश में और खास तौर पर महाराष्ट्र में दही हांडी या मटकी फोड़ का त्योहार इसी तरह मनाया जाता रहा है.

0

और इस सब में लड़कियां क्या करती हैं?

ज्यादातर मौकों पर वो इस मानव पिरामिड के इर्द-गिर्द इकट्ठा होकर जन्माष्टमी और कृष्ण से जुड़े गीत गाती हैं.

लेकिन अब कुछ बदल रहा है

पिछले कुछ सालों में लड़कियों, महिलाओं की भागीदारी गीत गाने से बढ़कर बाकायदा मटकी फोड़ने में दिखाई देने लगी है. दही हांडी के सबसे ज्यादा रंग मुंबई में बिखरे दिखाई देते हैं. और यहीं तस्वीर बदल रही है. अब लड़कियों की अलग दही हांडी टीमें हैं जो उतने ही जोश से लबरेज दिखाई देती हैं जितनी लड़कों की टीमें.

यूं तो इसकी शुरुआत करीब 10 साल पहले ही हो गई थी लेकिन अगले 4-5 साल तक उन्हें वो सम्मान और जगह नहीं मिली जिसकी वो हकदार थीं. वो तो अब जाकर हुआ कि ज्यादातर इलाकों में दो टीमें बनने लगी हैं.

पहले लड़के हमारी बनाई टीमों को इजाजत नहीं देते थे फिर भी हम दही हांडी खेलते थे. लेकिन अब कुछ बदला है. अब लड़के प्रैक्टिस में भी हमारी मदद करते हैं. यहां तक कि टीमों की जर्सी भी एक साथ ऑर्डर की जाने लगी हैं. इससे हम टीम का हिस्सा महसूस करते हैं. 
महिला दही हांडी खिलाड़ी, मुंबई

अब कोई खास इलाका सिर्फ लड़कों की टीम के लिए नहीं जाना जाता. अकेले महाराष्ट्र में करीब 3000 लड़कियां दही हांडी में हिस्सा लेती हैं.

ये भी पढ़ें- कृष्‍ण की आराधना के लिए ‘मधुराष्‍टकम्’ से ज्‍यादा मधुर और क्‍या!

कॉन्सेप्ट- दिव्या तलवार

प्रोड्यूसर- बिलाल जलील

कैमरा- संजॉय देब

एडिटर- वीरू मोहन कृष्ण

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×