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बकरीद बाजार पर भी कोरोना का असर, खरीदार कम- बेचने वाले परेशान

हर मुसलमान पर बकरीद में कुर्बानी करना जरूरी नहीं है, जो आर्थिक रूप से संपन्न है वो ही कुर्बानी करे.

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वीडियो एडिटर- विवेक गुप्ता

मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़े त्यौहार 'ईद-उल-अजहा' यानी बकरीद, लेकिन कोरोना वायरस का असर इसपर भी देखने को मिल रहा है. बकरीद के मौके पर मुसलमान नमाज के साथ-साथ जानवरों की कुर्बानी देते हैं. लेकिन इस बार बाजार में सन्नाटा देखने को मिल रहा है.

दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बकरों का बाजार लगता है, क्विंट ने इस बाजार का जायजा लिया. जामिया नगर इलाके में हर साल कई-कई लाख के एक-एक बकरे बिकते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से बकरों की बिक्री में काफी गिरावट देखने को मिल रही है.

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उत्तर प्रदेश से बकरा बेचने दिल्ली आए ताहिर अली बताते हैं,

“बकरीद पर आमतौर पर जो चहल-पहल होती है, इस बार बिल्कुल वैसा नहीं है. कोरोना की वजह से लोग बाजार नहीं आ रहे हैं. हमें बहुत नुकसान हो रहा है. पहले एक बकरे की जो कीमत 15 हजार रुपये होती थी. अब मुश्किल से उसके 10-11 हजार रुपये मिल रहे हैं.”

बता दें कि हर मुसलमान पर बकरीद में कुर्बानी करना जरूरी नहीं है, जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं वो ही कुर्बानी करें, ऐसा कहा गया है.

'नहीं हैं पैसे, इसलिए एक ही जानवर की कुर्बानी करूंगा'

बकरा खरीदने आए मोहम्मद खालिद बताते हैं कि हर बार वो दो जानवर की कुर्बानी करते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से पैसे की तंगी है. इसलिए वो सिर्फ एक ही बकरा खरीदेंगे.

'गरीबों की मदद ही मकसद इसलिए लिया महंगा बकरा'

5 लाख रुपए के 4 बकरे खरीदने वाले अब्दुल मसूद बताते हैं कि भले ही कोरोना है लेकिन जब अल्लाह ने उन्हें पैसे दिए हैं और वो कुर्बानी कर सकते हैं तो फिर वो क्यों ना करें. अब्दुल मसूद कहते हैं, “हम दिखावे के लिए कुर्बानी नहीं कर रहे हैं, इस बकरे में गरीबों का भी हिस्सा है, हम उन्हें भी देंगे और अपने रिश्तेदारों और जानने वालों को भी.”

बता दें कि जानवर की कुर्बानी देने के बाद इसे तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा गरीबों के लिए, दूसरा हिस्सा दोस्त और रिश्तेदारों में और तीसरा हिस्सा अपने पास रखा जाता है.

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