फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी कहते हैं-“सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराने के बजाय, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को COVID-19 संकट को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ” कापड़ी उन 50 लोगों में शामिल हैं, जिनके ट्वीट को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने ब्लॉक कर दिया था.
अपने ट्वीट, जिसे अब ब्लॉक कर दिया गया है उसका जिक्र करते हुए, कापड़ी कहते हैं कि फरवरी 2017 में, प्रधान मंत्री मोदी उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले एक राजनीतिक रैली को संबोधित कर रहे थे, तब उन्होंने कहा कि अगर गांव-गांव में कब्रिस्तान बन सकते हैं, तो श्मशान भी बनने चाहिए.
“जब मैंने लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद में सामूहिक दाह संस्कार की तस्वीरें देखी, तो मुझे बहुत बुरा लगा. मैंने ट्वीट किया कि पीएम मोदी ने हर गांव में श्मशान बनाने की बात कही थी लेकिन अब हर घर श्मशान में बदल गया है. मैंने बैकग्राउंड में पीएम मोदी के भाषण के ऑडियो के साथ इन सबका वीडियो पोस्ट किया था. ”विनोद कापड़ी, फिल्ममेकर
कापड़ी कहते हैं कि उन्होंने वीडियो ट्वीट किया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि इस स्थिति से निपटने में "पीएम और उनकी सरकार दोनों नाकाम रहे" हैं और उसे बताना ज़रूरी है.
वो कहते हैं कि ट्विटर "बहुत दबाव में है". भारत सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नजर रखना चाहती है, ताकि सत्ता की आलोचनात्मक आवाज़ों को दबाया जा सके.
कापड़ी कहते हैं कि जलती हुई चिताओं, शवों को दिखाना अपमान नहीं है, अपमान है, ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में दम तोड़ देना. कुछ भी इस तथ्य से अधिक अपमानजनक नहीं हो सकता है कि कई लोगों को बस अपने प्रियजनों के लिए अस्पताल के बेड का इंतज़ाम करने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना पड़ रहा है.
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