दिल्ली के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) इलाके में शनिवार, 16 अप्रैल की शाम को हनुमान जयंती जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा हुई. इससे पहले कई और राज्यों में जिस तरह की घटनाएं सामने आई हैं, बिल्कुल उसी पैटर्न में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इस इलाके में भी देखने को मिला है. आइए जानते हैं कि शनिवार की उस शाम क्या हुआ था और ये पूरा मामला किस तरह से पनपा.
'इफ्तार के वक्त मस्जिद के सामने पहुंचा जुलूस'
जहांगीरपुरी मस्जिद के बगल स्थित इलेक्टिकल्स की दुकान के मालिक साजिद सैफी ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि जब ये मामला हुआ तो मैं अपनी शॉप पर ही था, मैंने हुड़दंग और नारे की आवाज सुनी. जिस वक्त शोभा यात्रा मस्जिद के सामने पहुंची वो इफ्तार का समय था.
उन्होंने बताया कि जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद के सामने ही शोभा यात्रा रोक दी और ‘जय श्रीराम’,‘हिंदुस्तान में रहना होगा तो जय श्रीराम कहना होगा’ जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए और पूरी तरह से लोगों को भड़काने की कोशिश की गई.
हमने मस्जिद का गेट बंद करवा दिया था. शोभायात्रा में शामिल कुछ लोगों ने मस्जिद पर भगवा झंडा लगाने की कोशिश की, इसके बाद उन लोगों को यहां से हटाने की कोशिश की गई.साजिद सैफी
शोभा यात्रा के सदस्य राकेश साहू ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि यात्रा में करीब 500 लोग शामिल थे. हमारी यात्रा ई ब्लॉक से शुरू हुई थी. हमारा रास्ता पहले से ही तय किया हुआ था, इसकी जानकारी प्रशासन को भी थी और हमने प्रशासन से इसकी परमीशन भी ले रखी थी. हम लोग मस्जिद के बगल से आगे बढ़ रहे थे, उतने में पता चला कि मस्जिद की तरफ से लोगों ने हमारे ऊपर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में देखा जा सकता है कि शोभा यात्रा में शामिल लोग तलवार और भगवा झंडे लिए हुए थे.
इस पर राकेश साहू ने कहा कि हमारी यात्रा में जो भी डंडे शामिल थे उन पर हनुमान जी के ध्वज लगे हुए थे, हम मारने के लिए कोई स्पेशल हथियार और डंडे लेकर नहीं चल रहे थे.
तलवार लेकर चलने के पीछे का क्या मकसद था?
शोभा यात्रा के सदस्य ने कहा कि तलवार सिर्फ कुछ लोगों के पास थी, हमारा ऐसा कोई मकसद नहीं था कि उनको भड़काना है. इसके पीछे एक उत्साह और खुशी थी कि हनुमान जी का जन्मोत्सव है, लोगों ने सोचा चलेंगे, मस्ती करेंगे.
उन्होंने कहा कि मस्जिद में घुसने और झंडा लगाने की कोशिश वाली बात पूरी तरह से गलत है.
जुलूस में शामिल बच्चों के हांथों में भी थे हथियार
साजिद सैफी बताते हैं कि शोभायात्रा में शामिल हर व्यक्ति के हांथों में हथियार थे. उनके पास बंदूकें और तलवारें थीं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हथियारों के साथ कौन सी शोभायात्रा होती है.
मस्जिद पर झंडे लगाने की कोशिश करने वालों को रोका गया, समझाया गया. हमारे बगल में ही बड़ा मंदिर है, हम बचपन से यहां रहते हैं, झांकियां निकलती हैं, दुर्गा पूजा निकलती है, गणपति निकलता है लेकिन कभी झगड़ा नहीं होता.
'धार्मिक जुलूस में हथियार क्यों?'
जहांगीरपुरी के निवासी पी.सी.दांगे ने कहा कि जुलूस में शामिल लोगों के हाथ में तलवार, चाकू और बंदूक भी थी. मैं पूछना चाहता हूं कि धार्मिक जुलूस में इन चीजों का क्या काम है, ये चीजें गलत हैं...ये दूसरा संदेश देती हैं, इस तरह का संदेश नहीं जाना चाहिए, भाईचारे का संदेश जाना चाहिए.
सोमवार, 18 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली पुलिस चीफ राकेश अस्थाना ने मस्जिद में झंडा फहराने के आरोप को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक टीम घनटा स्थल की जांच करेगी.
जहांगीरपुरी में हुई हिंसा मामले में अभी तक 24 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिसमें दो किशोर भी पकड़े गए हैं.
झड़प होने के एक दिन बाद 17 अप्रैल को पुलिस की मौजूदगी में बीजेपी नेता करनैल सिंह ने मस्जिद के सामने खड़े होकर नारेबाजी की. बीजेपी नेता ने नारे लगाते हुए कहा कि अगर इस देश में रहना होगा तो जय श्रीराम कहना होगा.
करनाल सिंह ने अपने नारों का समर्थन करते हुए कहा कि मैं क्यों न कहूं ऐसा, सब कुछ जायज है. करनाल ने कहा कि भारत सनातनियों का देश है, हम जहां चाहेंगे वहीं नारे लगाएंगे.
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