उर्दू शायरों और उनकी शायरी में आम का हमेशा से एक खास मुकाम रहा है. ग़ालिब से लेकर इक़बाल तक, कवियों ने इस फल के प्रति अपने प्रेम के बारे में कुछ बेहतरीन रचनाएं लिखी हैं. इस वीडियो में द क्विंट की फ़बेहा सय्यद ऐसी ही एक रचना पढ़ रही हैं. सुनिए अकबर इलाहाबादी की कविता 'आम-नामा'.
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नामा न कोई यार का पैग़ाम भेजिए
इस फ़स्ल में जो भेजिए बस आम भेजिए
ऐसा ज़रूर हो कि उन्हें रख के खा सकूँ
पुख़्ता अगरचे बीस तो दस ख़ाम भेजिए
मालूम ही है आप को बंदे का ऐडरेस
सीधे इलाहाबाद मिरे नाम भेजिए
ऐसा न हो कि आप ये लिक्खें जवाब में
तामील होगी पहले मगर दाम भेजिए
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