वाराणसी के दालमंडी इलाके में एक ‘सीक्रेट सुरंग’ को लेकर हड़कंप मचा रहा. पुलिस-प्रशासन के हाथ पांव फूले रहे. आनन-फानन में सरकारी अधिकारियों की बैठक बुलाई गई, जिसके बाद जरूरी कार्रवाई को अंजाम दिया गया. क्या दालमंडी में वाकई सुरंग खोदी जा रही थी? क्या काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा को खतरा था? क्यों पूरा मामला बेहद संवेदनशील माना जा रहा था? इन्हीं सवालों के साथ क्विंट की टीम पहुंची पूर्वांचल के इलेक्ट्रॉनिक और कॉस्मेटिक थोक बाजार यानी दालमंडी.
अफवाह की सुरंग?
वाराणसी के दालमंडी में बीते दिनों एक खबर तेजी से फैली. कहा गया कि दालमंडी इलाके से काशी विश्वनाथ मंदिर तक सुरंग खोदी जा रही है. प्रशासन फौरन हरकत में आया और कार्रवाई भी हुई. लेकिन तब जब ‘सुरंग’ की जानकारी सामने आई. क्विंट हिंदी की टीम ने इस पूरे मामले पर स्थानीय दुकानदारों का पक्ष जानना चाहा. दुकानदारों के मुताबिक, सुरंग की बात कोरी अफवाह है. बात सिर्फ एक बेसमेंट की है. दालमंडी में दुकान चलाने वाले मुन्ना खान ने कहा, “यहां किरायेदारों ने सामान रखने के लिए गोदाम की मांग की थी. गोदाम के लिए ही बेसमेंट बनाया जा रहा था. सुरंग की बात अफवाह है.”
अवैध अंडरग्राउंड मार्केट से जुड़ा
मौके पर मुआयने के बाद एक चीज तो साफ है. मामला अवैध अंडरग्राउंड मार्केट से जुड़ा है. दरअसल, स्थानीय दुकानदारों ने गुपचुप तरीके से जर्जर मकानों के नीचे बेसमेंट बना लिए. हर बेसमेंट, एक-दूसरे से जुड़ा हुआ. जिसने एक सुरंग की शक्ल ले ली. ये पूरा इलाका करीब 9,000 वर्गफुट में फैला है. बताया जा रहा है कि सबसे पहले एसएसपी आरके भारद्वाज ने इस अवैध बेसमेंट को नोटिस किया. लेकिन बात कुछ इस तरह फैली कि सुरंग की चर्चा होने लगी. स्थानीय दुकानदार रईस पहलवान ने क्विंट को बताया:
अतिक्रमण देखने के लिए एसएसपी साहब गश्त पर थे. उन्हें बेसमेंट में कुछ रोशनी दिखाई दी. इसी रोशनी के चलते इसे सुरंग का रूप दे दिया गया. एसएसपी साहब से चूक हुई है.
इसलिए ज्यादा संवेदनशील है मामला
ये पूरा मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि दालमंडी इलाके और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच की दूरी ज्यादा नहीं है. यही वजह है कि आनन फानन में मामले का संज्ञान डीएम ने भी लिया और बाकायदा एक जांच कमेटी का गठन कर दिया गया. इस पूरे मामले में प्रशासन ने बेसमेंट को सील करके 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. वहीं 2 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.
हैरानी इस बात की भी है कि इतने वक्त तक अवैध निर्माण चलता रहा और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी. इसे एलआईयू यानी लोकल इंटेलिजेंस और पुलिस-प्रशासन सभी एजेंसियों की नाकामी के तौर पर भी देखा जा रहा है.
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