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नीलेश मिसरा से सुनिए एक नई कहानी ‘दो दिलों के बीच’

नीलेश मिसरा की ही मंडली की सदस्‍या हैं अंकिता चौहान, जिनकी लिखी एक कहानी है ‘दो दिलों के बीच’.

Published
भारत
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जाने-माने जर्नलिस्‍ट, लेखक और कहानीकार नीलेश मिसरा के नाम से आप भी जरूर वाकिफ होंगे. उनकी रचनाएं अक्‍सर आम लोगों से कहीं न कहीं जुड़ी होती हैं. रेडियो पर किस्‍सागोई का उनका अंदाज तो एकदम ही जुदा होता है.

नीलेश मिसरा की ही मंडली की सदस्‍या हैं अंकिता चौहान, जिनकी लिखी एक कहानी है दो दिलों के बीच.

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वो मेरे घर की छत पर खड़ी थी. आंखों से अक्टूबर की गुनगुनी धूप सेंकती हुई... उसका एक हाथ कमर पर था और दूसरा हाथ दांतों पर ब्रश घुमाने में व्यस्त था. वो इतनी डूबी हुई थी, जैसे दांत साफ करना दुनिया का सबसे जरूरी काम हो. पीछे गर्दन पर झूलते जूड़े से कुछ बाल निकलकर कंधे पर आ गए. उनको उसने ऐसे ही रहने दिया.

वो कभी दो कदम पीछे जाती, कभी चार कदम आगे, कभी झुककर गमलों को देखती, तो कभी आंखें मिचकाते हुए मेरे घर के चारों ओर फैली पेड़ों की लंबी कतारों को.

इधर-उधर डोलती उसकी नजरें इस बीच मुझसे टकराईं. वो थोड़ी असहज हो गईं. उतना ही, जितना मैं हुआ, उसको अपने घर में देखकर. इस बीच झाग भरे मुंह को फुलाए हुए थोड़ी आगे झुकी, मुझे देखकर दो कदम पीछे लिए, फिर चार, फिर आठ. कुछ देर मैंने उसका इंतजार किया, लगा जैसे कि वो वापस आएगी, लेकिन...

इसके बाद आगे क्या होता है, ये जानने के लिए सुनिए ये पूरी कहानी...

(ये कहानी Neelesh Misra के यूट्यूब चैनल से ली गई है)

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