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सबसे तेज चैनल पर अंधविश्वास का खेल- 7 मिनट तक दूध पीते रहे नंदी

‘सबसे तेज चैनल’ के प्राइम टाइम शो की अहमियत समझ रहे हैं? करोड़ों दर्शक.सबसे बड़ा ‘मुद्दा’. लेकिन हो क्या रहा है?

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देश के 'सबसे बड़े और तेज चैनल' के प्राइम टाइम शो की अहमियत समझ रहे हैं आप? करोड़ों दर्शक. सबसे बड़ा 'मुद्दा'. लेकिन हो क्या रहा है? सबसे 'तेज' चैनल ने 29 जुलाई को रात 8 बजकर 25 मिनट पर 'स्पेशल रिपोर्ट-नंदी के मुंह से लगते ही दूध का चम्मच खाली!' दिखाई.

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ये रिपोर्ट 8 मिनट से ज्यादा लंबी थी. 8 मिनट के पैकेज सबसे बड़े पैकेज माने जाते हैं. स्पेशल रिपोर्ट शुरू होते ही पहला स्लग चलता है-

  1. 'सावन में दूध पीने का चमत्कार'
  2. दूसरा स्लग- चम्मच से दूध पी रहे हैं नंदी!
  3. तीसरा स्लग- नंदी को दूध पिलाने के लिए भक्तों की लगी भीड़

शुरुआत से अंत तक पैकेज में सस्पेंस वाला बैकग्राउंड म्यूजिक बजता रहा. आस्था से भरपूर इस रिपोर्ट में इसी तरह के स्लग चलते रहे. अब ये भी तो साबित करना है कि चैनल ने ये रिपोर्ट अंधविश्वास को 'दूर' करने के लिए चलाई है. ऐसे में एक स्लग और दिखता है....

'ये आस्था है या अंधविश्वास?'

रात 8 बजकर 25 मिनट से शुरू हुई इस स्पेशल रिपोर्ट में 8 बजकर 32 मिनट यानी 7 मिनट तक सिर्फ आस्था ही आस्था चलता रहा. बताया जाता रहा कि उत्तर प्रदेश में नंदी कहां-कहां दूध पी रहे हैं. बिहार में कहां-कहां, इसी तरह पश्चिम बंगाल में कहां दूध तो कहां पानी पी रहे हैं नंदी.

बीच-बीच में लोगों की बाइट आती थी. आस्था में डूबे हुए ये भक्त बता रहे थे कि आखिर कैसे उन्होंने खुद अपने हाथ से नंदी को दूध या पानी पिलाया.

8.32 PM पर वाइस ओवर से ऐसा लगा कि अब बताया जाएगा कि ये सच है या झूठ....लेकिन ठहरिए...फिर उसी वाइस ओवर में कहा गया कि सच जानने से पहले जानते हैं 'नंदी में लोगों की आस्था क्यों है वो बताते हैं.'

अब करीब 1-1.30 मिनट ये बताया गया कि आखिर नंदी कैसे भगवान शिव के अंश हैं और वो कैसे क्यों खास हैं....

अंत में जाकर 8.35 पर एक विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. कोई मूर्ति दूध या पानी पी नहीं सकती. पानी अपने आप रिसकर नीचे पहुंचता है तो लोगों को लगता है कि मूर्ति दूध पी रही है.

जब ये चैनल इतना 'तेज' नहीं हुआ करता था....

इस लंबे स्पेशल पैकेज को देखकर ये तो साफ हो गया कि साइंटिफिक फैक्ट बताने में इस चैनल की कोई खास रूचि नहीं थी. वरना 7 मिनट तक वो चमत्कार और दूध पीने की महिमा के बारे में नहीं बताता....

अब फ्लैशबैक में चलते हैं.

तब ये चैनल दूरदर्शन पर एक शो के तौर पर आता था. 21 सितंबर, 1995 को देशभर से जब गणेशजी की मूर्ति के दूध पीने की खबर आ रही थी तो यही चैनल (जो तब शो था) ऐसी खबरों को अंधविश्वास बताने में सबसे आगे रहा. साइंटिफिक फैक्ट्स और तर्कों के साथ इसने सवाल उठाया कि आखिर एक मूर्ति दूध कैसे पी सकती है?

तब शो शुरू होता है तो सामने एंकरिंग करते दिखते हैं दिग्गज पत्रकार एसपी सिंह. एंकर लीड के बाद रिपोर्ट शुरू होती है चमड़े का काम करने वाले एक कारीगर की उत्सुकता से, ये कारीगर सोच में पड़ा था कि आखिर गणेश जी दूध कैसे पी सकते हैं? दूलीचंद आर्य नाम के ये कारीगर बताते हैं कि सिर्फ गणेशजी नहीं, वो जिस औजार से अपना काम करते हैं वो भी ‘दूध पी रहा है’.

(वीडियो- 40.20 मिनट से देखिए)

इसी शो में आगे NISTDS के वैज्ञानिक गौहर रजा की बाइट दिखाई जाती है. जिसमें वो बताते हैं कि आखिर कैसे मूर्ति के दूध पीने का भ्रम होता है.

ये सर्फेसेज गीली सर्फेसेज हैं. जैसे ही हम चमचे को इस सर्फेसेज के साथ लगाते हैं, मुंह के साथ या मूर्ति के साथ,वैसे ही पानी की एक नाली सी बन जाती है इस नाली में धीरे-धीरे वो पानी खिच करके या दूध खिच करके नीचे की तरफ बहना शुरू हो जाता है. लोग ये समझते हैं कि दूध पी लिया जा रहा है.

इसी शो में आगे एक और वैज्ञानिक दिनेश के अबरोल बताते हैं,

दरअसल, लोगों का धर्म से विश्वास उठता जा रहा है. ऐसे में धर्म के ठेकेदार स्ट्राइक बैक कर रहे हैं. मेरा खयाल है कि उन लोगों ने ये कभी देखा होगा कि ऐसा होता है. उन्होंने सोचा होगा कि अगर ऐसा किया जाए तो चमत्कार जैसे लगेगा.

शो की एंकरिंग कर रहे एसपी सिंह इस रिपोर्ट के अंत में मीडिया पर कटाक्ष वाली हंसी भी हंसते नजर आ रहे हैं...वो आज होते तो उसी सबसे तेज चैनल की रिपोर्ट में नंदी को दूध पीते देखकर पता नहीं क्या सोचते और क्या करते.

इस चैनल का इतिहास लिखेंगे और टॉप 5 यादगार दिन की लिस्ट बनाएंगे तो गणेशजी वाले दिन यानी 25 सितंबर 1995 वाला दिन उसमें शुमार होगा. इसलिए आज नंदी वाली खबर, ठीक उलट, को याद किया जाना जरूरी है.

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