गालिब (Mirza Ghalib) ने कहा था- होता है शब-ओ-रोज तमाशा मेरे आगे. देश के पूर्व नेशनल कैरियर ने यह तमाशा एक बार फिर किया है- अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि इसकी कमान टाटा के हाथ में हो या किसी और के. यह तमाशा कई बार हुआ. पहली बार, 26 नवंबर को एयर इंडिया की न्यूयॉर्क (JKF) से दिल्ली की नॉन स्टॉप फ्लाइट में. नशे में धुत्त एक सज्जन ने एक बुजुर्ग महिला को-पैसेंजर पर यूरिनेट किया और अपना प्राइवेट पार्ट दिखाया. इसके बाद 6 दिसंबर को दिल्ली-पेरिस उड़ान में एक दूसरे शख्स ने अपनी महिला को-पैसेंजर के कंबल पर यूरिनेट किया.
इन हादसों के बाद एयर इंडिया ने जो हरकत की, वह और भी बेहूदा थी. पहले मामले में, उसने अपराधी को आसानी से एयरपोर्ट से बाहर निकलने दिया. बस, उस पर एयरलाइन में 30 दिनों तक उड़ने पर रोक लगा दी. बाद में कहीं जाकर, उसकी गिरफ्तारी हुई.
दूसरे मामले में उसने बोर्ड पर उस शख्स को अकेला छोड़ दिया और फिर सीआईएसएफ को बुलाकर उसे पकड़वा दिया. बाद में, उसे भी जाने दिया गया. साफ है, एयरलाइन को औरतों से ज्यादा अपनी छवि की चिंता थी. कबीर की उलटवांसी की तरह उसे कंबल में अपने संस्कार, अपनी छवि नजर आ रही थी, पर वह उसे भीगने से बचाना चाहता था.
खैर!
पर यह कोई पहली बार नहीं
कवित्त को छोड़िए, और जान लीजिए कि यह कोई पहली बार नहीं, जब भारतीय या ग्लोबल एयरलाइन में बोर्ड पर ऐसी बेजा और घिनौनी हरकत हुई है. अगर, इतनी भद्दी नहीं तो डरावनी तो जरूर. 2013 में गोवा से दिल्ली इंडिगो फ्लाइट में बोर्ड पर एक पैसेंजर ने नेशनल इमरजेंसी पैदा कर दी थी. उसने कहा था कि वह एक आतंकवादी समूह से है और अपने दो साथियों के साथ मिलकर फ्लाइट को अगवा करने वाला है.
इसके बाद प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और सभी संबंधित अधिकारियो ने इमरजेंसी बैठक की. बाद में साबित हुआ कि यह झूठा अलार्म था जिस पर समय और पैसे, दोनों के लिहाज से राष्ट्रीय संसाधनों की बर्बादी हुई.
ग्लोबल एयरलाइंस ऐसे बेकाबू यात्रियों से कैसे निपटती हैं
इसी तरह की घटनाएं विश्व स्तर पर हुई हैं. अप्रैल 2008 में ब्रिटिश एयरवेज ने सुपर मॉडल नाओमी कैंपबेल पर पाबंदी लगा दी थी. मामला, गुमशुदा सामान का था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह मशहूर हस्ती थीं और एयरलाइन की नियमित पैसेंजर थीं. ऐसे बुरे हादसे और उपद्रवी लोग हवाईजहाज में उड़ान भरते रहते हैं और एयरलाइन के कर्मचारी उससे निपटने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित होते हैं.
मुश्किल सवालों के लिए तैयार रहिए
अब सवाल शुरू करते हैं! 6E (इंडिगो के लिए कोड) इस समय अभिवादन की मुद्रा में होगा, लेकिन 6C के तमाम कामों में से एक, डीजीसीए के कारण बताओ नोटिस का जवाब देना है.
क्रू: केबिन सुपरवाइजर और क्रू क्या सोच रहा था? पीड़िता को कोई उपलब्ध खाली सीट क्यों नहीं दी गई- मुझे समझ नहीं आता कि इस स्थिति में क्लास कितनी मायने रखती है... क्योंकि इस तरह वह खुद को उस शख्स से दूर रख सकती थी और उस अप्रिय अनुभव से उबरने की कोशिश कर सकती थी. आपने उस महिला के साथ अधिक हमदर्दी भरा बर्ताव क्यों नहीं किया जिसे शायद बहुत बड़ा सदमा पहुंचा होगा?
अगर आपको एहसास नहीं हुआ कि यह न सिर्फ अभद्र व्यवहार था, बल्कि अपराध भी था? क्या होता, अगर अपराधी ने को-पैसेंजर के गले पर चाकू तान दिया होता या उसका यौन उत्पीड़न किया होता, क्या तब भी आप लोग ऐसे ही चुप्पी साधे रहते?
कैप्टन: जब केबिन में ऐसा तमाशा चल रहा हो तो कोई शांति से विमान कैसे उड़ा सकता है? क्या आप जानते थे कि यह सिर्फ नशे की हालत में किया गया बुरा व्यवहार नहीं था, बल्कि उससे भी गंभीर अपराध था? क्या आपने क्रू को सलाह दी थी कि पीड़िता के साथ हमदर्दी भरा व्यवहार करें? क्या अपने को-पायलट को विमान की बागडोर सौंपकर आप पीड़िता से मिलने गए? लैंडिंग के समय आपने किसी को इस मामले की सूचना दी? क्या आपने एयरलाइन सिक्योरिटी को इसकी सूचना दी और लाइन ऑफ कमांड के अपने सुपीरियर के सामने यह मामला रखा? क्या होता, अगर अपराधी ने को-पैसेंजर के गले पर चाकू तान दिया होता या उसका यौन उत्पीड़न किया होता, क्या तब भी आप लोग ऐसे ही चुप्पी साधे रहते?
कैंपबेल: क्या आपके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ऑपरेशंस शायद अगले लाइन इन कमांड ने आपके कमरे में आकर आपको इस विचित्र घटना की सूचना दी थी? आपका अगला कदम क्या था?
क्या आपको लगता है कि यह घटना इतनी अप्रिय थी कि इसमें लीपा-पोती करना ही अच्छा था? क्या आप अपने ओहदे से इतने अभिभूत हैं कि आपको आंखें मूंदना ही आसान लगा: इसे वैसे ही अनदेखा किया जा सकता था, जैसे हर छोटे बड़े हादसे पर आप करते हैं? क्या आपने सोचा कि इस बारे में पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई जाए? आप भारत में नए हैं और यहां के कायदे-कानूनों से नावाकिफ लेकिन क्या आपके आस-पास किसी ने यह इशारा किया कि यह अपराध की श्रेणी में आता है? मिस्टर कैंपबेल, हम यहां से कहां जाएं?
चंद्रा: डियर मिस्टर चंद्रा, हम यहां से कहां जाएं? बेशक आप इनमें से कुछ नहीं कर सकते थे लेकिन क्या आप बिगड़ी बातों को बना भी नहीं सकते थे? यह सुलगता हुआ अंगारा आपके बहुत नजदीक है, भले आपके कदमों तले न भी हो!
सिटिजन: क्या हम एअर इंडिया की उड़ानों में वॉशरूम का इस्तेमाल करना बंद कर चुके हैं? मैं जानती हूं कि पूर्व नेशनल करियर के वॉशरूम ऐसे नहीं जिनकी तारीफ की जा सके, लेकिन अगर हम सामूहिक रूप से इसका इस्तेमाल करना बंद कर दें, और केबिन में ही निपटने लगें तो उड़ान सचमुच बदबूदार हो सकती है.
कंट्री: हम किस किस्म का समाज बन रहे हैं? जब तक किसी को मानसिक रूप से अस्थिर न मान लिया जाए तब तक क्या किसी भी मर्द को इस बात की इजाजत होनी चाहिए कि वह ऐसी हरकत करके बच जाएगा- चाहे आसमान में, चाहे जमीन पर? क्या हम को-पैसेंजर्स को चोट पहुंचाएंगे या उनका यौन उत्पीड़न करेंगे और फिर आसानी से फरार हो जाएंगे?
पिछले कुछ महीनों में औरतों को टुकड़े-टुकड़े किया गया, उन पर गाड़ियां दौड़ाई गईं, उन्हें कुचला गया, और यहां तक कि मर्दों ने उन पर पेशाब तक किया. मेरे मित्रों, हमें कुछ सवालों का जवाब देना ही होगा- खासकर कंपनियों की अगुवाई करने वाले- वाइस प्रेज़िडेंट को (एयर इंडिया वाला अपराधी एक अमेरिकी कंपनी का वाइस प्रेज़िडेंट ही है)!
हां, फिलहाल एक जवाब दिया जा सकता है
मैं एक जवाब दे सकती हूं. इन भगोड़ों से कैसे निपटा जाए. सबसे पहले हम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निम्हान्स) में उसकी मानसिक जांच कराते हैं.
कोई नशे में हो या नहीं, यह एक मानसिक बीमारी का लक्षण है. अगर एक्सपर्ट उसे स्वस्थ बताता है तो उसे निश्चित ही जेल यात्रा कराई जानी चाहिए, जैसा कि हुआ भी है. इसके अलावा कैंपबेल विल्सन और दूसरी सभी एयरलाइंस के सीईओ को एक पाठ पढ़ने की जरूरत है. वे साउथवेस्ट के पूर्व सीईओ हर्बर्ट डी केलेहर की किताब के कुछ पन्ने जरूर पढ़ें.
कई साल पहले हर्ब को एक ऐसे क्रिटिक की चिट्ठियों का जवाब देने को कहा गया जो हर उड़ान के अनुभव को लेकर नाखुश थी. हर्ब ने चिट्ठी में ‘मिसेज क्रैबेप्पल’ लिखकर उसका संबोधन किया. उन्होंने लिखा, “प्रिय मिसेज क्रैबेप्पल, हम आपको हमेशा याद करेंगे. बहुत सा प्यार, हर्ब.” तो वाइस प्रेज़िडेंट महोदय को हमेशा के लिए फ्लाइट से बैन कीजिए ताकि वह भविष्य में किसी भी तरह सफर के मजे को बेमजा न कर पाएं.
(अंजलि भार्गव गोवा की एक सीनियर राइटर और कॉलमिस्ट हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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