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बोरिस जॉनसन के दौरे में छुपा संदेश, UK की इंडो पैसिफिक नीति में भारत महत्वपूर्ण

ब्रेक्जिट के बाद यूरोप से रिश्तों की डोर जला चुका UK अब एंपायर काल के देशों से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश में है.

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साबरमती में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) की चरखा कातने की तस्वीरों के बावजूद, उनकी दो दिवसीय भारत यात्रा (Boris Johnson India Visit) को ब्रेक्जिट से ब्रिटेन को लगे घावों को भरने की कोशिशों के लिए ही जाना जाएगा.

यूरोपीय यूनियन से निकलकर और यूरोप से प्रतीकात्मक रिश्ते खत्म करके अब ब्रिटेन उन देशों के साथ कारोबारी और निवेश लिंक को ज्यादा मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है, जो पहले कभी ब्रिटिश एंपायर के हिस्से थे और आज कॉमनवेल्थ कंट्रीज के नाम से जाने जाते हैं. ब्रिटेन को ब्रेक्जिट से हुए घाटे की भरपाई करने के लिए इंडोपैसिफिक काफी महत्वपूर्ण रीजन है और इसके लिए भारत अहम देश है.

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भारत के लिए मौका

भारत के लिए ये दौरा एक मौके की तरह है. रीजनल कॉम्प्रेहिंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप यानि RCEP से बाहर होने के बाद भारत को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स के मामले में पैर पीछे खींचने वाला देश बताया गया था. इसलिए जो कुछ नुकसान उससे हुआ अब उसे भारत पूरा करने में लगा हुआ है.

इस साल की शुरुआत में भारत ने UAE के साथ ट्रेड एग्रीमेंट किया.ऑस्ट्रेलिया के साथ भी एक अंतरिम ट्रेड डील कर चुका है और अब UK , कनाडा और EU के साथ निवेश और कारोबार में तेजी लाने के लिए डील करने की तरफ कदम बढ़ा रहा है. अब जैसा कि बोरिस जॉनसन ने उम्मीद जताई है कि भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच दिवाली तक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो जाएंगे.

भारत के चीन से तनातनी वाले रिश्ते रहे हैं और वह चीन के खिलाफ बने एक संगठन क्वाड एक अहम सदस्य है, UK ने भी 2021 में इस इलाके में चीन विरोधी मिलिट्री एलायंस AUKUS का हिस्सा बनने के लिए निर्णायक कदम उठाया था. इन दोनों सामंजस्य को देखते हुए भारत UK के साथ बने रिश्तों के इस नए दौर से काफी खुश है.

यूनाइटेड किंगडम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकनॉमी है.और UK की राजधानी लंदन आज भी ग्लोबल फाइनेंशियल हब है. यह अपनी विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज के साथ विज्ञान और तकनीक के लिए बड़ा इनोवेशन केंद्र भी है. ये विशेषताएं इसे भारत जैसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण पार्टनर बनाती हैं.

भारत और UK के रिश्तों में जो केमिस्ट्री अभी बेहतर हुई है वो पिछले साल मोदी-जॉनसन वर्चुअल मीट से बनी थी. इसमें 10 साल का एक रोडमैप तैयार हुआ जिसमें पांच क्षेत्रों में पार्टनरशिप मजबूत करने की बात हुई. वो पांच बातें थीं- स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, लोगों के बीच संपर्क, कारोबार और निवेश, डिफेंस और सिक्योरिटी.

ब्रेक्जिट के बाद यूरोप से रिश्तों की डोर जला चुका UK अब एंपायर काल के देशों से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश में है.

मोदी-बोरिस जॉनसन की मुलाकात,

Twitter

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कारोबार, निवेश और सुरक्षा: दौरे में क्या-क्या था

जॉनसन के भारत दौरे के दौरान जिन मुख्य मुद्दों पर बात हुई है वो हैं कारोबार, निवेश और सुरक्षा संबंध. दोनों देश एक करार पर दस्तखत करने वाले हैं जिससे दोनों के बीच 65 % गुड्स और 35 % सर्विस का कारोबार होना शुरू हो जाएगा. दोनों ही देश को उम्मीद है कि इस कारोबारी करार से साल 2030 तक दोनों देश के बीच ट्रेड दोगुना हो जाएगा. अभी दोनों देशों के बीच करीब 50 बिलियन डॉलर का कारोबार है इसमें 70 % गुड्स है जबकि बाकी सर्विसेज हैं. इसके लिए इस दौरे में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, विज्ञान और तकनीक, स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिजनेस और पार्टनरशिप को मजबूत करने पर बात हुई. UK के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर आगे बढ़ने के लिए 25 अप्रैल से भारत बातचीत शुरू कर रहा है.

ब्रिटिश उच्चायुक्त के प्रेस नोट में लिखा गया है कि जॉनसन ने जल, थल, वायु, अंतरिक्ष और साइबर के "पांच डोमेन में" भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. यूके ने भारतीय लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर कार्यक्रमों में सहायता करने और समुद्र के भीतर युद्धक्षेत्र में सहयोग करने में अपनी दिलचस्पी दिखाई. इन प्रयासों का समर्थन करने के लिए, जॉनसन ने घोषणा की कि यूके भारत को एक ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंस (ओजीईएल) जारी करेगा जो प्रौद्योगिकी और अधिग्रहण को आसान बना देगा.

भारत & UK के साझा हित

UK और भारत का इंडो पैसिफिक रीजन में हित लगभग एक समान है. दोनों ही देश इंडोपैसिफिक को खुला रखने, समावेशी बनाने और नियम कायदों वाला क्षेत्र बनाए रखना चाहते हैं. भारत के साथ सुरक्षा संबंधों को UK और ज्यादा मजबूत करना चाहता है.

लेकिन ऐसा करने के लिए UK को भारत की घरेलू आर्म्स इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में मदद करनी होगी. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- भारत के आत्मनिर्भर डिफेंस कार्यक्रम में खासकर मैन्युफैक्चरिंग, तकनीक, डिजाइन, और डेवलपमेंट में ब्रिटेन की मदद का भारत स्वागत करता है.

इसके अलावा, जैसा कि दौरे के बाद जो साझा बयान जारी किए गए उनमें कहा गया है कि दोनों के वैज्ञानिक प्रतिष्ठान .. संयुक्त रिसर्च, साझा डिजाइन और डेवलपमेंट के जरिए "उन्नत सुरक्षा क्षमताएं’ प्रदान करेंगे. इसके अलावा नौसेना इलेक्ट्रिक प्रणाली के लिए एक स्पेशल ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप भी बनाया जाएगा.

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यूक्रेन पर भारत के रुख को समझता है UK

भारत और यूके में जियो पॉलिटिकल सहयोग का फोकस इस बात पर है कि दोनों देश मिलकर अपनी साइबर सुरक्षा साझेदारी के द्वारा एक फ्री, ओपन, शांतिपूर्ण और सुरक्षित साइबर स्पेस बनाएं. इस बात की जानकारी एक अलग से साझा बयान जारी करके दी गई. इसमें साइबर गवर्नेंस, रोकथाम और उपाय पर एक साथ मिलकर काम करने की बात कही गई है.

बेशक यूक्रेन मसले पर भी दोनों में बातचीत की गई है. लेकिन ये भी साफ किया गया कि इस दौरे का मुख्य फोकस यूक्रेन नहीं था. बोरिस जॉनसन ने निश्चित तौर पर ‘मनमानी भरे हमलों के खतरे' की बात की, लेकिन इसकी चर्चा बस बातचीत के दरम्यान हुई, ये एंजेडे में नहीं था.

ब्रिटिश सरकार ने ये साफ किया है कि, वो यूक्रेन को ब्रिटेन के पुरजोर समर्थन और भारतीय पीएम मोदी के रूस-यूक्रेन झगड़े को शांतिपूर्ण और बातचीत से सुलझाने के निष्पक्ष रुख जैसे दो विभिन्न स्टैंड्स के बीच के अंतर को समझते हैं.

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1 बिलियन ग्रेट ब्रिटेन पाउंड्स के अतिरिक्त निवेश का एलान

भारत UK में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक है. इसलिए इसमें कोई हैरत की बात नहीं है कि इस दौरे में 1 बिलियन ग्रेट ब्रिटेन पाउंड्स के अतिरिक्त निवेश का एलान किया गया है, जो कि इलेक्ट्रिक बस, रोबोटिक सर्जरी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में यूज किया जाएगा. इसके अतिरिक्त क्लाइमेट, एनर्जी, हेल्थकेयर सिस्टम और वैक्सीन के एरिया में पार्टनरशिप बढ़ाने पर जोर दिया गया है.

UK ने अपनी ऑफशोर विंड तकनीक प्रणाली भारत को देने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा दोनों देश हाइड्रोजन साइंस और इनोवेशन हब में एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि UK में रहने वाले 1.6 मिलियन भारतीय दोनों देशों के बीच स्पेशल बॉन्ड बनाने में सबसे अहम कड़ी हैं.

फिलहाल दोनों देश के बीच वीजा के तनावपूर्ण मसले को सुलझाने पर आगे बढ़ने पर बात हुई है. इसके अलावा UK ने जो प्वाइंट सिस्टम लागू किया है उससे भारतीयों को हो रहे फायदे पर भी बात हुई. अपने दौरे पर जॉनसन ने भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए भी कुछ उम्मीदें जगाने वाली बातें कहीं जब उन्होंने कहा था कि UK में कुशल IT प्रोफेशनल्स और प्रोग्रामर्स की कमी है.

(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ऑपिनियन आर्टिकल है और इसमें व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इनका समर्थन करता है और न ही इनके लिए जिम्मेदार है.)

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