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बुद्ध पूर्णिमा: मान्यताएं और भगवान बुद्ध की शिक्षा पर एक नजर

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध की दी हुई शिक्षाओं और आदर्शों के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है.

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बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्‍योहार है. इसे 'बुद्ध जयंती' के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से वैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. खास बात ये है कि महात्मा बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण- ये तीनों एक ही दिन, यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे.

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं. इस वजह से हिंदुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है.

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यूं मनाया जाता है ये पर्व

बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर सामूहिक तौर पर उपासना करते हैं और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं.

इन जगहों पर दीप जलाकर बुद्ध के प्रति आस्था जाहिर की जाती है. इस दिन भगवान बुद्ध के अनुयायी उनकी मूर्तियों पर फूल-माला चढ़ाते हैं और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध की दी हुई शिक्षाओं और आदर्शों के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है.

अपने राजमहल को त्यागने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ सत्य की खोज में सात सालों तक जंगलों में भटकते रहे. इस दौरान उन्होंने कठोर तप किया और आखिरकार वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई.
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विशेष स्नान की परंपरा

हिंदू मान्यताओं में बुद्ध पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थलों में गंगा स्नान करने की परंपरा है. बताया जाता है कि इस महीने होने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है. कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन लिया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है.

भारत की धरती से बौद्ध धर्म पूरी दुनिया में फैला है. आज चीन, जापान, तिब्बत, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, साउथ कोरिया, कंबोडिया, थाइलैंड, मंगोलिया, मलेशिया, वियतनाम जैसे 12 देश हैं, जहां बड़ी तादाद में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं.
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध की दी हुई शिक्षाओं और आदर्शों के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगती है आस्था की डुबकी
(फोटो: ट्विटर)
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भगवान बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं

भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया. उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया. उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है. उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की.

पंचशील सिद्धांत

प्राणिमात्र की हिंसा से विरत रहना

चोरी करने या जो दिया नहीं गया है, उसको लेने से विरत रहना

लैंगिक दुराचार या व्यभिचार से विरत रहना

असत्य बोलने से विरत रहना

मादक पदार्थों से विरत रहना

चार आर्य सत्य

संसार में दुख है

इस दुख का कारण है

इस दुख का कारण है मनुष्य की तृष्णा

तृष्णा को समाप्त करके दुख को दूर किया जा सकता है

आर्य अष्टांग मार्ग

गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए

सम्यक दृष्टि: चार आर्य सत्य में विश्वास करना

सम्यक संकल्प: मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना

सम्यक वाक: हानिकारक बातें और झूठ न बोलना

सम्यक कर्म: हानिकारक कर्म न करना

सम्यक जीविका: कोई भी हानिकारक व्यापार या जीविकोपार्जन न करना

सम्यक प्रयास: अपने आप को सुधारने की कोशिश करना

सम्यक स्मृति: स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना

सम्यक समाधि: निर्वाण प्राप्त करना

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