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‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में...’, राहत इंदौरी के 10 यादगार शेर

11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.

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'किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है'- राहत इंदौरी की ये पंक्तियां तमाम प्रदर्शनों, अवसरों पर शासन-प्रशासन के खिलाफ अपने 'हक-हकूक की आवाज' बनकर गूंजी. अब ऐसी नई पंक्तियां दोबारा सुनने को नहीं मिलेंगी. 11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.

11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
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स्नैपशॉट

उर्दू जबान के मशहूर शायर राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को हुआ था. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई इंदौर से ही की. इसके बाद उन्होंने भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य से एमए पूरा किया.

11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
11 अगस्त को आशिकी, हुकूमत, जिंदगानी पर सैंकड़ों नज्म छोड़ गए राहत इंदौरी ने अपनी आखिरी सांसे लीं.
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राहत साहब ने मुशायरों और कवि सम्मलनों के जरिए देश और दुनिया के करोड़ों लोगों का दिल जीता. शायरी करने के अलावा राहत इंदौरी ने कई फिल्मों के लिए गाने भी लिखे हैं.

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