देश के हर नागरिक को प्रभावित करने वाले और टैक्स सुधार के लिए बेहद क्रांतिकारी बताए जा रहे GST कानून को लेकर अब देश के वरिष्ठ नीति निर्माताओं में लगातार भरोसा बढ़ रहा है.
ऐसे में इस बिल को पारित होने से पहले जान लीजिए कि क्या है इस कानून के मसौदे में, जिसका पता होना आपके लिए जरूरी है. GST बिल से जुड़ी अब तक की प्रोग्रेस की बात करें, तो इस बिल पर केंद्र सरकार को सारे राज्यों का समर्थन प्राप्त हो गया है. सिर्फ तमिलनाडु सरकार ने इसमें कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया है.
जबकि वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि GST दर पर संवैधानिक सीमा नहीं लगाने को लेकर पूरी तरह सहमति है, क्योंकि भविष्य में दरों में संशोधन की जरूरत पड़ सकती है.
क्या है वस्तु और सेवा कर (GST) कानून?
वस्तु और सेवा कर (GST) कानून देश भर में विनिर्माण, वस्तुओं व सेवाओं की बिक्री और उपभोग पर लगने वाला एक अप्रत्यक्ष कर होगा. सरकार ने इस कानून का मॉडल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है.
इस ड्राफ्ट में वस्तु और सेवा कर (GST) कानून 2016, एकीकृत वस्तु और सेवा कर (IGST) कानून 2016 और वस्तु और सेवा कर मूल्यांकन नियम, 2016 को मिलाकर एक कर दिया गया है.
यह केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न करों की जगह लेगा. इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम के आधार पर GST खरीद व बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगाया जाएगा. इससे न केवल विनिर्माण, बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही और सुगम हो पाएगी.
GST: कब, कहां और कैसे?
GST लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (CVD), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (SAD), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे.
GST लागू होने के बाद वस्तुओं व सेवाओं पर केवल 3 टैक्स वसूले जाएंगे, पहला CGST यानी केंद्रीय वस्तु व सेवा कर, जो केंद्र सरकार वसूलेगी. दूसरा होगा SGST यानी राज्य वस्तु और सेवा कर, जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी.
कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा, तो उस पर IGST यानी एकीकृत वस्तु और सेवा कर वसूला जाएगा. इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा. वस्तु के उत्पादन के स्तर पर ही इसे वसूल लिया जाएगा.
किसी वस्तु का टैक्स जमा होते ही जीएसटी के सभी सेंटरों पर इस बाबत जानकारी भी पहुंचा दी जाएगी.
किससे और कैसे होगी GST की वसूली?
व्यापार के जरिए 10 लाख या उससे ज्यादा कुल बिक्री (टर्नओवर) करने वाले लाइसेंसी व्यापारियों को यह कर देना होगा. उत्तर-पूर्व के राज्यों में व्यापार कर रहे लोगों के लिए यह लिमिट 5 लाख या उससे ज्यादा टर्नओवर पर सेट की गई है.
टैक्स देने वाले व्यापारी अगर अपना माल एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजते हैं, तो उस पर चुंगी नहीं लगेगी. यानी बॉर्डर पर ट्रकों की जो लंबी कतारें अभी दिखती हैं, वे गायब हो जाएंगी. हालांकि दो राज्यों में व्यापार कर रहे व्यापारियों को उन दोनों राज्यों में खुद को रजिस्टर करवाना होगा.
उसके बाद उस वस्तु पर आपूर्तिकर्ता, दुकानदार या ग्राहक को आगे कोई टैक्स नहीं देना होगा. रही बात GST वसूली की, तो वह ऑनलाइन होगी.
लेकिन यह भी जान लीजिए...
- हर टैक्स देने वाले को एक महीने में 3 रिटर्न जमा करना होगा. इनमें जाने वाली आपूर्ति, आने वाली आपूर्ति और कुल खरीद-फरोख्त का ब्योरा देना होगा.
- ‘सिक्योरिटीज’ को भी इस नए कानून के मुताबिक माल की परिभाषा में ही शामिल कर दिया गया है.
- अप्रत्यक्ष संपत्ति को भी GST के तहत ‘सेवाओं’ की श्रेणी में रखा जाएगा.
- GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए एक निगेटिव लिस्ट भी तैयार की गई है. यह खानपान सेवाओं और कर्मचारी बीमा के लिए उपलब्ध नहीं होगा.
- जब तक पिछले सभी करों, ब्याज, लेट फीस और जुर्मानों का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक वर्तमान अवधि के लिए करों को जमा नहीं किया जाएगा.
- माल और सेवाओं, दोनों को अंतर-राज्य आपूर्ति के रूप में माना गया है, जिस पर IGST लगेगा. लेकिन निर्यात के संदर्भ में टैक्स की कोई रेटिंग नहीं दी गई.
- ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को विक्रेताओं से कर इकट्ठा करने और जमा करने के काम पर लगाया जाएगा. उन्हें पोर्टल के माध्यम से आपूर्ति से संबंधित स्टेटमेंट तैयार करने का काम भी दिया जाएगा.
अगर यह मान लिया जाए कि जीएसटी विधेयक इसी साल पारित हो जाएगा, तो भी 1 अप्रैल, 2017 से पहले इसके अमल में आने की संभावना नहीं है. यह तस्वीर भी काफी उम्मीद के साथ पेश की गई है.
ऊपर जिस कानूनी प्रक्रिया का जिक्र किया गया है, उसके अलावा सभी राज्यों, कंपनियों, उद्योगों और छोटी-बड़ी सभी प्रकार की सेवा देने वालों को भी भारत के नए टैक्स सिस्टम से पूरी तरह ताल मिलाने के लिए तैयारी करनी होगी.
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