'सुसाइड मत करना बस'

'सुसाइड मत करना बस'

JEE और NEET जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे भारत से हर साल कम से कम दो लाख स्टूडेंट राजस्थान के कोटा आते हैं. उनमें से बहुत कम ही स्टूडेंट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाते हैं. अधिकांश छोटे कॉलेजों में चले जाते हैं और कुछ पूरी तरह से पढ़ाई छोड़ देते हैं, लेकिन हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स की खुदकुशी से मौत हो जाती है - जो भारत की कोचिंग राजधानी की गंभीर वास्तविकता को सामने लाता है.

2023 में अब तक कम से कम 29 स्टूडेंट्स की खुदकुशी से मौत हो चुकी है - 8 सालों में स्टूडेंट्स की मौत की यह सबसे अधिक संख्या है.

इस विशेष प्रोजेक्ट 'सुसाइड मत करना बस' के साथ, क्विंट हिंदी स्टूडेंट्स की खुदकुशी से मौत के कारणों की जांच-पड़ताल करना चाहता है कि आखिर छात्र खुदकुशी क्यों कर रहे हैं? इनमें छात्रों को खुदकुशी की कगार पर धकेलने में कोचिंग सेंटरों, माता-पिता की अपेक्षाओं, सामाजिक और वित्तीय दबाव और सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा प्रणाली की भूमिका की जांच शामिल है.

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