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भारत ने चीन से कहा- फैसला मानो और दक्षिण चीन सागर पर दावा छोड़ो

भारत ने बांग्लादेश के मामले में माना था अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला.

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दक्षिण चीन सागर पर मंगलवार को आए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय के फैसले पर चीन की आनाकानी के बाद भारत ने बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया जारी की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि सभी देशों को समुद्री कानूनों से संबंधित यूनाइटेड नेशन कंवेंशन ऑन लॉज अॉफ सी (UNCLOS) का पालन करना चाहिए.

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने अपने फैसले से चीन को एक बड़ा झटका दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चीन का दक्षिण चीन सागर पर लगातार किए गया दावा नामंजूर किया जाता है.

हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया है.

भारत UNCLOS के नियमों के अनुसार समुद्र में व्यापार के लिए विचरण की आजादी का समर्थन करता है. भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाले समुद्री रास्ते शांति और स्थिरता के लिए बेहद अहम हैं. संबंधित देशों को बिना ताकत दिखाए और विवाद किए, इस मामले को शांति से निपटाना चाहिए.
विकास स्वरूप, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय

क्या है पूरा मामला?

तेल और अन्य कीमती भंडारों से भरपूर दक्षिण चीन सागर में 9 डेश लाइन तक चीन अपना दावा करता रहा है, जो कि दक्षिण चीन सागर का 90 % है. इस मामले में फिलीपींस ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कल मंगलवार को कोर्ट का फैसला चीन के खिलाफ आया. फैसले पर चीनी राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि उन्हे फैसला मंजूर नहीं है.

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