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म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को अक्सर ये सलाह दी जाती है कि वो क्या करें. लेकिन उन्हें ये नहीं बताया जाता कि वो क्या न करें. क्या करें से ज्यादा जरूरी ये जानना है कि क्या न करें ताकि गलतियों से बचें और अपने निवेश का मैक्सिमम रिटर्न लें.
ब्लूमबर्गक्विंट की वीकली सीरीज ‘द म्यूचुअल फंड शो’ के दो एक्सपर्ट्स अमोल जोशी और हर्ष रूंगटा ने बताया कि म्यूचुअल फंड के निवेशकों को क्या नहीं करना चाहिए.
हर्ष रूंगटा का कहना है कि म्यूचुअल फंड में डिविडेंड का कोई मतलब नहीं होता. दरअसल यह आपका ही पैसा होता है जिसे आपको दिया जाता है. दरअसल डिविडेंड का इस्तेमाल मिस-सेलिंग (गलत तरीके से स्कीम बेचने के लिए ) के लिए किया जाता है.
रूंगटा कहते हैं, “असेट मैनेजमेंट कंपनी का चुनाव करते वक्त आप रेगुलेटरी बॉडी के निगेटिव कमेट पर जरूर ध्यान दें. हालांकि AMC इस पर अपनी सफाई देते हैं. अगर आपको सही लगता है तो आप इसके फंड में निवेश कर सकते हैं लेकिन रेगुलेटरी बॉडी की नकारात्मक टिप्पणी का ध्यान रखें और नकारात्मक टिप्पणियों वाले फंड में निवेश न करें”.
अमोल जोशी की राय में फंड मैनेजर बदलना आम है. लेकिन म्यूचुअल फंड में लीड मैनेजर का रोल बेहद अहम होता है. अगर फंड मैनेजमेंट टीम में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव हो रहा है तो सावधान हो जाएं. आप हालात पर नजर रखें.
अमोल जोशी कहते हैं, “रेगुलेटर ने टोटल एक्सपेंस रेश्यो में बदलाव का खुलासा करने को कहा है. फंड की ओर से बार-बार ऑर्डिनरी एक्सपेंस रेश्यो में बदलाव पर नजर रखें. अगर कोई फंड बार-बार एक्सपेंस रेश्यो में बदलाव कर रहा है तो यह इंडस्ट्री की स्टैंडर्ड प्रैक्टिस नहीं मानी जाती. ऐसे फंड से बचें. अगर कोई फंड हाउस हर तरह से एक्सपेंस रेश्यो कम करता है तो यह अच्छा फंड हाउस माना जाएगे. इसकी स्कीमों में निवेश कर सकते हैं.”
हर्ष रूंगटा कहते हैं, ‘’यूलिप खास केस के लिए अच्छा प्रोडक्ट हो सकता है. आखिर आप सुरक्षा ( बीमा के तहत) और इनवेस्टमेंट को क्यों मिलाना चाहता है. प्रोटेक्शन के लिए इंश्योरेंस है. इसका कोई विकल्प नहीं है. लेकिन इनवेस्टमेंट के हिसाब से यह ठीक नहीं है. बेहतर होगा अच्छे रिटर्न के लिए यूलिप में निवेश न करें.
इनपुट : ब्लूमबर्गक्विंट
(अमोल जोशी PlanRupee Investment Services के फाउंडर हैं और हर्ष रूंगटा स्वतंत्र फाइनेंशियल एडवाइजर हैं. )
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