advertisement
LIC के शेयर में निवेशकों के 1.08 लाख करोड़ डूब गए हैं. ये हाल उस सरकारी कंपनी का है जिसका मई में आया अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है. जाहिर है इससे भारत सरकार के विनिवेश की मुहिम को तगड़ा झटका लगा है लेकिन उससे भी बड़ा झटका निवेशकों को लगा है. सोमवार को 2.86 प्रतिशत की गिरावट के साथ LIC का शेयर 777.40 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ.
BSE इंडेक्स पर स्टॉक ने 775.40 रुपये के अब तक के सबसे निचले स्तर को छुआ. NSE पर एलआईसी 2.97 फीसदी टूटकर 776.50 पर बंद हुआ. 7 जून को एलआईसी ने अपने इशू प्राइस 949 रुपये की तुलना में 20% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की है. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह अभी और गिरेगा.
LIC में जारी इस बड़ी गिरावट की वजह से इसका मार्केट कैप (वैल्यूएशन) पांच लाख करोड़ रुपये के नीचे जा कर 4.91 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. जब आईपीओ लॉन्च हुआ था, उस समय इसका मैर्केट कैप 6 लाख करोड़ रुपयों के आसपास आंका गया था. LIC का शेयर जब से लिस्ट हुआ है उसके बाद से केवल पांच ऐसे ट्रेडिंग सेशन रहे जिसमें एलआईसी हरे निशान पर बंद हुआ बाकी दिनों नें एलआईसी का शेयर लाल रंग में ही रहा.
लगातार गिरते एलआईसी के शेयर प्राइस के पीछे एक्सपर्ट्स तीन वजहों पर जोर देते है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंश्यॉरेंस सेक्टर इक्विटी मार्केट (शेयर मार्केट) को लेकर अतिसंवेदनशील होता है. इसी वजह से वो किसी भी बीमा कंपनी के एंबेडेड वैल्यू पर असर डालता है. अगर मार्केट उठ रहा है तो यब सेक्टर भी फलेगा-फुलेगा लेकिन इसके विपरीत होने पर नुकसान होगा. और यही एलआईसी के साथ भी हो रहा है.
इसके अलावा बढ़ती महंगाई (Inflation) और आर्थिक विकास की चिंता एक बड़ा कारण हैं, इन चिंताओं ने निवेशकों को निराश कर दिया है. हालांकि ये कारण शॉर्ट टर्म में ही एलआईसी को नुकसान पहुंचाएंगे.
इसका अलावा तीसरा कारण एलआईसी के प्रॉफिट को बताया जा रहा है जो चौथी तिमाही में गिरा है. कंपनी मुनाफे में तो है लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में LIC का नेट प्रोफिट 18% घटकर 2372 करोड़ रुपये पर आ गया है. पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी को कुल 2,893 करोड़ रुपये का नेट प्रोफिट मिला था.
टिप्स टू ट्रेड्ज की सीईओ पवित्रा शेट्टी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया कि, टेक्निकली देखें तो आने वाले दिनों में संभावना है कि यह 765 तक जाएगा. लेकिन जब तक एलआईसी का शेयर 824 के ऊपर बंद नहीं होता तब तक इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं देखी जा सकती.
इस बीच ब्रोकरेज फर्म Emkay Global ने एलआईसी को होल्ड रेटिंग के साथ 875 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है. अगर Emkay Global का अनुमान सही निकला तो इसका अर्थ ये हुआ कि लंबे समय तक एलआईसी के आईपीओ में पैसे लगाने वाले इन्वेस्टर्स घाटे से नहीं उबर पाएंगे.
एक बात गौर करने वाली है कि अब भी एलआईसी ICICI प्रुडेंशियल, HDFC लाइफ और SBI लाइफ से अच्छा प्रदर्शन कर रही है. CareEdge नाम की रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि LIC अगले तीन से पांच साल की अवधि में लगभग 12-14% की दर से ग्रो करेगा.
यानि इसके ग्रोथ की थोड़ी गुंजाइश नजर आती है. जैसा कि Biz2credit के सीईओ रोहित अरोड़ा क्विंट हिंदी को पेटीएम की एलआईसी से तुलना करते हुए बता रहे थे कि, एलआईसी का बिजनेस मॉडल भी पेटीएम के मुकाबले अच्छा है. इसकी तुलना पेटीएम से न करें. पेटीएम के फंडामेंटल्स कमजोर हैं. उसके प्रॉफिट और रेवेव्यू मॉडल को लेकर संशय है. लेकिन एलआईसी के साथ ऐसा नहीं है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)