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आर्थिक मंदी की वजह से प्राइवेट कंपनियों को भारी नुकसान की खबरें आ रही हैं. प्राइवेट कंपनियां सरकार से राहत की मांग कर रही हैं. लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने प्राइवेट कंपनियों से फाइनेंशियल पैकेज का रोना ना रोने की बात कह दी है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कंपनियों को 'पापा बचाओ' की मानसिकता को बदलने की जरूरत है.
बुधवार को एक इवेंट में चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने निजी क्षेत्र की तुलना एक जवान हो चुके व्यक्ति से करते हुए कहा,
सुब्रमणियन ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को सरकार से मदद मांगने की बजाय अपने पैरों पर खड़ा होना सीखना चाहिए. उन्होंने कहा कि कंपनियों को अपना माइंडसेट बदलने की जरूरत है. वे मुनाफा अपने पास रखते हैं. घाटा सब में बांट देते हैं और मुश्किल वक्त में राहत पैकेज की डिमांड करते हैं. इसके साथ ही संकट के समय मदद या प्रोत्साहन पाने की अपनी सोच को भी बदले. उन्होंने कहा कि उपभोग से नहीं बल्कि सिर्फ निवेश से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी.
सुब्रमणियन ने कहा कि खपत बढ़ने से 10,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय और इससे ज्यादा आय वाली अर्थव्यवस्था को ही फायदा होगा. उन्होंने बुधवार शाम को जन स्माल फाइनेंस बैंक के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जबकि कंपनियों के साथ साथ विश्लेषक और सरकार के बाहर के अर्थशास्त्री अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं.
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