Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Coronavirus Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जब ज्यादा वैक्सीनेशन की दरकार, घट रही रफ्तार- ऐसे तो 4 साल लगेंगे

जब ज्यादा वैक्सीनेशन की दरकार, घट रही रफ्तार- ऐसे तो 4 साल लगेंगे

COVID-19 vaccination: भारत में कितनी तेजी से आम लोगों को वैक्सीन दी जा रही है?  

कौशिकी कश्यप
कोरोनावायरस
Updated:
जब वैक्सीनेशन तेज करने की जरूरत है तो वो धीमा हो रहा है. ऊपर का ग्राफ यही बता रहा है.
i
जब वैक्सीनेशन तेज करने की जरूरत है तो वो धीमा हो रहा है. ऊपर का ग्राफ यही बता रहा है.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

कोरोना से संपूर्ण सुरक्षा बेशक दोनों डोज लगवाने के बाद ही मिलेगी पर आपकी बांह तक वैक्सीन की एक डोज भी पहुंच जाए तो गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बच सकते हैं. लेकिन हमारी बदकिस्मती ये है कि वैक्सीन के सबसे बड़े उत्पादक देश होने के बावजूद ज्यादातर लोगों को ये एक डोज भी नसीब नहीं हो पाया है. जब वैक्सीनेशन तेज करने की जरूरत है तो वो धीमा हो रहा है. ऊपर का ग्राफ यही बता रहा है.

यूं धीमा हुआ पड़ा मिशन वैक्सीनेशन

चिंता की बात ये है कि 100 दिन में भारत की 2% आबादी को भी वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लग पाई थी. भारत में वैक्सीनेशन ड्राइव 16 जनवरी 2021 को शुरू किया गया था. कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए भारत की सरकार वैक्सीनेशन ड्राइव को तेज करना तो चाहती है जिसके लिए उत्पादन को बढ़ाने की तमाम कोशिशों के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन अप्रैल महीने की शुरुआत में सरकार हर रोज जहां औसत 35 लाख से ज्यादा डोज दे पा रही थी, अब ये आंकड़ा गिरा है.

मौजूदा वक्त में सप्ताह के औसत वैक्सीन से कहीं ज्यादा हम एक दिन में वैक्सीन दे चुके हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 12 अप्रैल को एक दिन में रिकॉर्ड 40,04,521 वैक्सीन डोज लोगों को लगाए गए थे.

नीचे दिए गए ग्राफ में देखें. 7 दिनों के औसत(मूविंग) की बात करें तो, देश में अब कोरोनावायरस वैक्सीनेशन रेट 13 लाख रोजाना रह गई है. साप्ताहिक औसत के हिसाब से मार्च से अब तक का न्यूनतम औसत है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
ताजा स्थिति की बात करें तो मई के 22 दिनों में सिर्फ 3.6 करोड़ डोज लगाए गए हैं. इस हिसाब से रोजाना का औसत 16 लाख डोज का आता है. इस रेट के हिसाब से भारत में इस महीने सिर्फ 5 करोड़ लोगों को कोरोनावायरस वैक्सीन का डोज लग पाएगा.

इस रेट (16 लाख रोजाना) से पूरी आबादी को कोरोना का वैक्सीन लगाने में भारत को 4 साल से ज्यादा का वक्त लग जाएगा.

25 मई तक भारत सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 21.89 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज (21,89,69,250) दी है.

वैक्सीनेशन धीमा पड़ने की वजह क्या?

केंद्र सरकार भले ही वैक्सीन की कमी को नकारने में जुटी हो लेकिन वैक्सीन के लिए राज्य भटकते नजर आ रहे हैं, अलग-अलग जगहों से आ रही खबरें इसकी गवाह हैं.

  • दिल्ली और केंद्र के बीच वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर तकरार जारी है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने फाइजर और मॉडर्ना से बात की है. दोनों ने सीधे वैक्सीन देने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से बात करने को कहा है. उनका कहना है कि अगर सरकार आदेश दे और 16 कंपनियां तत्काल वैक्सीन का उत्पादन शुरू करें तो 25 करोड़ वैक्सीन की डोज हर महीने बनाई जा सकती है.
  • इसके अलावा तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के बाद कोरोना वैक्सीन की कमी दूर करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार अब ग्लोबल टेंडर जारी करेगी. लेकिन इसमें भी पेच फंसता दिख रहा है. फाइजर और मॉडर्ना जैसे वैक्सीन निर्माताओं ने राज्यों से कह दिया है कि वो उन्हें सीधे वैक्सीन सप्लाई नहीं करेंगी, बल्कि केंद्र के जरिए करेंगी.
  • कमी के चलते ही दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 18-44 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन रोक दिया गया है. तेलंगाना में 2 दिनों तक वैक्सीनेशन रुका रहा.
  • कई राज्यों समेत बीजेपी के राज्यों में भी 1 मई से 18-44 आयुवर्ग का वैक्सीनेशन नहीं शुरू हो पाया था. इनमें कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु और जम्मू कश्मीर शामिल थे.
  • विडंबना ये है कि सरकार खुद ही कह रही है कि उनके पास जो वैक्सीन है वो भी लोगों तक नहीं पहुंच रही है. केंद्र सरकार ने केरल हाईकोर्ट को राज्य में कोविड के हालात को लेकर स्वत: संज्ञान मामले में जवाब दिया है कि देश में रोजाना 28.33 लाख वैक्सीन डोज का उत्पादन हो रहा है लेकिन इसका सिर्फ 57% ही लोगों तक पहुंच पा रहा है.

(डेटा इनपुट- ourworldindata.org )

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 26 May 2021,02:15 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT