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पिछले साल छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में 90 में से 68 सीट जीतकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो गई. जिस बीजेपी ने राज्य में 15 सालों तक शासन किया, उसे महज 15 सीटें ही मिलीं. इस नतीजे की 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे से तुलना की जाए, तो भारी बदलाव दिखता है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटों पर कब्जा जमाया था. मगर 2018 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा पूरी तरह पलट गया. लोकसभा क्षेत्रों के लिहाज से कांग्रेस को 10 सीटों पर बढ़त मिली, जबकि बीजेपी को सिर्फ 1 सीट पर.
मार्च की शुरुआत में पोल आइज के सर्वे के मुताबिक छत्तीसढ़ में कांग्रेस की बढ़त विधानसभा चुनाव के नतीजों की तुलना में थोड़ी कम हुई है. सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि अब कांग्रेस को राज्य की 8 सीटों पर, जबकि बीजेपी को 3 सीटों पर बढ़त हासिल है.
बीजेपी की स्थिति में सुधार, वोट शेयर के अनुमान से ज्यादा बेहतर तरीके से लगाया जा सकता है. नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 33 फीसदी था, जो सर्वे के मुताबिक मार्च 2019 में बढ़कर 41 फीसदी हो गया है. उधर कांग्रेस के वोट शेयर में भी मामूली सुधार हुआ है, जिसके 43 फीसदी से बढ़कर 44 फीसदी होने का अनुमान है.
दोनों प्रमुख पार्टियों को ये बढ़त निर्दलीयों, छोटी पार्टियों और अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बहुजन समाज पार्टी के गठजोड़ की कीमत पर मिली है.
सीटवार आकलन किया जाए तो सर्वे के मुताबिक
मगर सभी सीटों पर बढ़त का अंतराल 10 फीसदी से कम है, लिहाजा थोड़ा सा भी स्विंग नतीजे बदल सकता है.
अजीत जोगी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. यह फैसला छत्तीसगढ़ का चुनावी समीकरण बदल सकता है. जिन वोटरों ने पहले जेसीसी को वोट दिया था, अब उनके सामने बहुजन समाज पार्टी, या जोगी की पुरानी पार्टी - कांग्रेस या फिर बीजेपी के विकल्प हैं. छत्तीसगढ़ में चुनावी नतीजों को अंतिम रूप देने में इन वोटरों का अहम योगदान होगा.
लोकसभा की जिन सीटों पर जेसीसी के फैसले का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, वो हैं बिलासपुर और कोरबा, जहां पार्टी का प्रभाव सबसे ज्यादा है. सतनामी बहुल इलाकों में भी यह फैसला असर डालेगा. अनुसूचित जाति का ये समुदाय जोगी का मुख्य वोट बैंक माना जाता है. दूसरी ओर सबसे उत्तरी और दक्षिणी छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में इस फैसले का असर कम पड़ने की संभावना है.
छत्तीसगढ़ के अंतिम चुनावी समीकरण के लिए कुछ और फैक्टर जिम्मेदार हो सकते हैं
ये तीन कारक, यानी जोगी का चुनावी जंग से पीछे हटना, बीजेपी की हालत में सुधार और कांग्रेस के वादे – छत्तीसगढ़ के अंतिम नतीजों पर असर डाल सकते हैं और सर्वे में लगाए गए अनुमानों से अलग हो सकते हैं.
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