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झारखंड में बीजेपी विरोधी दलों ने गठबंधन किया है. 24 मार्च को ऐलान किये गए इस गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) और राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं.
अगर अंतिम नतीजे सर्वे के मुताबिक आए तो ये गठजोड़ बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए भारी चुनौती साबित हो सकता है.
फरवरी में हुए पोल आइज के सर्वे के मुताबिक, झारखंड की कुल 14 सीटों में यूपीए को 9 सीटों पर बढ़त मिली हुई है, जबकि एनडीए 5 सीटों पर आगे है.
इस अनुमान के मुताबिक, एनडीए को 7 सीटों का नुकसान है, जिसने 2014 लोकसभा चुनावों में 14 में से 12 सीटों पर कब्जा किया था.
जहां तक वोट शेयर का सवाल है तो सर्वे के मुताबिक, 2014 चुनाव की तुलना में यूपीए को 28 फीसदी का भारी उछाल मिल रहा है.
सर्वे में लगाए गए अनुमान गठबंधन को अंतिम रूप देने से पहले के हैं, लिहाजा काफी मुमकिन है कि यूपीए के पक्ष में इससे भी बेहतर नतीजे आएं.
सीटवार विवेचना की जाए, तो पोल आइज के सर्वे के मुताबिक, यूपीए को कम से कम पांच सीटों पर भारी बढ़त मिली हुई है. ये सीट हैं: दुमका, गोड्डा, चतरा, गिरिडीह और हजारीबाग.
दूसरी ओर राज्य की राजधानी रांची में एनडीए को अच्छी बढ़त हासिल होती दिख रही है.
हजारीबाग में यूपीए को बढ़त मिलना चौंकाने वाली बात है, क्योंकि इस सीट पर 1989 से बीजेपी को सिर्फ 2 बार हार का मुंह देखना पड़ा है. 1991 और 2004 में ये सीट सीपीआई के खाते में गई थी. अभी तक ये साफ नहीं है कि इस बार सीपीआई, यूपीए गठबंधन का हिस्सा होगी या नहीं. फिलहाल, इस सीट पर केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा विराजमान हैं.
गोड्डा का समीकरण भी दिलचस्प है. फिलहाल, इस सीट से बीजेपी के निशिकांत दूबे सांसद हैं, लेकिन सर्वे के मुताबिक, अब इस सीट पर बीजेपी की हालत अच्छी नहीं है. पिछली बार विपक्षी वोट जेपीएम(पी) के प्रदीप यादव और कांग्रेस के फुरखान अंसारी के बीच बंट गए थे, जिसने दूबे के सिर पर जीत का सेहरा सजा दिया. लेकिन इस बार गठजोड़ को अंतिम रूप देने के बाद गोड्डा से जेवीएम(पी) अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी. लिहाजा, इस सीट से यूपीए उम्मीदवार की जीत लगभग तय है.
जेएमएम के गढ़ दुमका में अगर यूपीए को सबसे ज्यादा बढ़त मिली हुई है, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है. यहां यूपीए को बीजेपी की तुलना में 42 फीसदी की भारी बढ़त हासिल है. जेएमएम सुप्रीमो शिबु सोरेन 1980 से इस संथाल जनजाति बहुल सीट से आठ बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
अभी तक अन्य आठ सीटों पर एनडीए और यूपीए के बीच सीधी टक्कर होती दिख रही है. राजमहल और कोडरमा में यूपीए बीस पड़ रही है, तो पलामू और खूंटी सीट पर एनडीए. उधर लोहरदगा, सिंहभूम, जमशेदपुर में मुकाबला काफी हद तक बराबरी पर है.
अगर यूपीए में शामिल पार्टियां अपने कैडर वोट का प्रभावशाली तरीके से एकीकरण करने में सफल होती हैं, तो इन आठ सीटों पर गठबंधन को अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं और राज्य में उसकी संख्या दोहरे अंकों में पहुंच सकती है. मुमकिन है कि इस बार लोकसभा चुनाव में झारखंड विपक्ष की सफलता की मिसाल कायम कर सके.
(सर्वे की कार्यपद्धति: ये सर्वेक्षण 10 राज्यों के सभी विधानसभा क्षेत्रों में फरवरी में किया गया था. हर विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अनियमित तरीके से चुनकर 50 व्यक्तियों का इंटरव्यू किया गया.)
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Published: 25 Mar 2019,06:40 PM IST