Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019तेजस्वी के डायरेक्शन में क्यों फ्लॉप हुई RJD की फिल्म - 5 वजह

तेजस्वी के डायरेक्शन में क्यों फ्लॉप हुई RJD की फिल्म - 5 वजह

लालू की स्क्रिप्ट, तेजस्वी का डायरेक्शन लेकिन बीजेपी के हीरो के आगे फ्लॉप हुई RJD की फिल्म

स्मिता चंद
चुनाव
Published:
बिहार 
i
बिहार 
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

जेल में बैठकर लालू प्रसाद यादव स्क्रिप्ट लिख रहे थे. उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में थी डायरेक्शन. उनका बड़ा बेटा तेज प्रताप भले ही विलेन बना, लेकिन फिर भी उम्मीद थी कि बिहार में आरजेडी की ये फिल्म चल जाएगी. लेकिन सामने वाले हीरो ने इतनी बड़ी ब्लॉकबस्टर दे दी कि आरजेडी की फिल्म सुपर फ्लॉप हो गई. महागठबंधन बनाकर तेजस्वी यादव बिहार की 40 सीटों पर निशाना साथ रहे थे, लेकिन हाथ लगा जीरो. मोदी फैक्टर तो है ही लेकिन और क्या रही आरजेडी के सफाए की वजह? समझने की कोशिश करते हैं.

RJD: हार की 5 बड़ी वजह

महागठबंधन का नहीं चला जादू (फोटो: ट्विटर)

महागठबंधन में नहीं रहा तालमेल

तेजस्वी यादव ने महागठबंधन में जिन पार्टियों को शामिल किया, उनका तालमेल सही नहीं बैठा. आरजेडी के अलावा महागठबंधन में कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा की RLSP, जीतन राम मांझी की हिदुस्तान आवाम मोर्चा पार्टी, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और CPI-ML थी.

आरजेडी की रणनीति एंटी बीजेपी वोटों को एकजुट करने की थी, लेकिन महागठबंधन मेंही एकजुटता नहीं रही. महागठबंधन का हर नेता को इसकी चिंता थी कि सहयोगी पार्टी के नेता का कद न बढ़ जाए.

जिस जातिगत गणित को साधने के लिए महागठबंधन में मांझी, कुशवाहा और मुकेश को शामिल किया गया था वो काम नहीं आया. अपनी-अपनी पार्टियों के ये नेता अपनी ही सीट नहीं बचा पाए, तो ये किसी और सीट पर कितना प्रभाव डालते.

ये भी पढ़ें- बिहार में कुशवाहा,मुकेश,मांझी की नैया डूबी, तीनों ने की एक ही गलती

महागठबंधन ने दागी नेताओं पर खेला दांव

महागठबंधन के लिए बड़ी फजीहत कराई उनके टिकट बंटवारे ने. कुछ दागी नेताओं के रिश्तेदारों को आंख बंद करके टिकट बांटा गया. सबसे ज्यादा चर्चा हुई हीना शहाब की, जो शहाबुद्दीन की पत्नी हैं, रेप के आरोपी राज वल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को भी टिकट दिया गया. हत्या के आरोप में जेल की सजा काट रहे प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को भी टिकट दिया गया, जिसकी वजह से महागठबंधन की काफी फजीहत हुई.

ये भी पढ़ें- बिहार में ‘साइलेंट’ नीतीश कुमार की हंगामेदार जीत की 5 वजहें

आरजेडी को 2019 चुनाव में एक सीट भी नसीब न हुई(फोटो : ट्विटर)

लालू का जेल में होना

आरजेडी की इस दुर्गति की एक बड़ी वजह रही लालू का जेल में होना. बिहार की राजनीति में 42 साल बाद पहला मौका था जब लालू चुनावी मैदान में नहीं थे. इसका असर आरजेडी की रिजल्ट पर दिखा. लालू प्रसाद 1977 में पहली बार सारण से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, तब से बिहार के हर चुनाव में लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही है. लालू चुनाव जीतें या हारें, लेकिन उनके बिना बिहार की राजनीति की कल्पना भी नहीं की जाती थी, उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी की कमान उनके छोटे बेटे तेजस्वी के कंधों पर थी, लेकिन ये रिजल्ट बताते हैं कि तेजस्वी के अंदर लालू जैसा करिश्मा नहीं है.

तेज प्रताप यादव समर्थकों के साथ (फोटो: IANS)

लालू परिवार में कलह

लालू के नहीं होने से लालू परिवार में झगड़ा भी उभरा. तेजस्वी और तेज प्रताप की लड़ाई खुलकर सामने आई. तेज प्रताप ने अपने पापा की मेहनत से बनाई इस पार्टी को नुकसान पहुंचाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. तेज प्रताप ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ कुछ सीटों पर अपने कैंडिडेट उतार दिए.

महागठबंधन में चेहरे का अभाव

जहां एक तरफ एनडीए मोदी के चेहरे पर लड़ रहा था, वहीं महागठबंधन के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था. एनडीए ने अपनी हर चुनावी रैलियों में यही सवाल किया कि महागठबंधन का चेहरा कौन है? एनडीए ने तो महागठबंधन को ठगबंधन तक कह डाला. हालांकि बिहार में मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन जनता ने नकार दिया.

नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद तेजस्वी यादव और उनकी मां राबड़ी देवी का दर्द हर रैली में नजर आया. नीतीश को पलटू राम बोलकर तेजस्वी ने बिहार की जनता के सामने खूब रोना रोया. नीतीश के धोखे की याद बार-बार दिलाई, लेकिन जनता की सहानुभूति नहीं मिली और बिहार ने आरजेडी को बुरी तरह नकार दिया.

ये भी पढ़ें-नई मोदी कैबिनेट का ‘विधानसभा कनेक्शन’, क्या असर डालेगा ये इलेक्शन?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT