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Gujarat Elections Phase 2 Voting: हार्दिक, जिग्नेश-सीएम भूपेंद्र पटेल,10 VIP सीट

Gujarat Elections Phase 2 Voting: गुजरात विधानसभा चुनाव के सेकंड फेज के लिए 5 दिसंबर को 93 सीटों पर मतदान.

उपेंद्र कुमार
गुजरात चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>Gujarat Elections Phase 2 Voting: हार्दिक, जिग्नेश-सीएम भूपेंद्र पटेल,10 VIP सीट</p></div>
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Gujarat Elections Phase 2 Voting: हार्दिक, जिग्नेश-सीएम भूपेंद्र पटेल,10 VIP सीट

फोटोः क्विंट हिंदी

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गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण में सोमवार 5 दिसंबर को 14 जिलों की कुल 93 सीटों पर मतदान होना है. पहले और दूसरे चरण के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. अहमदाबाद में पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने मत का प्रयोग करेंगे. दूसरे और अंतिम चरण में ही अमित शाह समेत कई बड़े नेता वोट डालेंगे. इस लिहाज से दूसरे चरण में कई VIP सीटें हैं, जिनपर पार्टी और उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. आइए जानते हैं ऐसी ही 10 VIP सीटों के बारे में जहां पार्टियों और उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है.

उत्तर और मध्य गुजरात में मतदान

दूसरे चरण में उत्तर और मध्य गुजरात के क्षेत्र में वोट डाले जाएंगे. इस क्षेत्र में बीजेपी-कांग्रेस और आप के बीच मुकाबला है. 2017 के चुनाव में उत्तर गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था. वहीं, मध्य गुजरात में बीजेपी मजबूत रही थी, लेकिन 2022 के मुकाबले कई सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प है. इनमें सीएम भूपेन्द्र पटेल से लेकर हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर है.

वीरमगाम से हार्दिक पटेल

अहमदाबाद जिले में आने वाले वीरमगाम सीट पाटीदार आंदोलन से निकले हार्दिक पटेल का गृह नगर है. हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल होने के बाद यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक लाखाभाई भरवाड़ को दोबारा मैदान में उतारा है. AAP ने कुंवरजी ठाकोर को टिकट दिया है. इस सीट पर करीबी मुकाबले की बात कही जा रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पाटीदार आंदोलन से निकल हार्दिक पटेल के जनता का आशिर्वाद मिलता है या दलबदलु मानकर जनता उन्हें खारिज कर देती है.

वडगाम से जिग्नेश मेवाणी

बनासकांठा जिले की इस सीट से कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी मैदान में हैं. 2017 के चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय जीते मेवाणी के लिए इस बार मुकाबला कड़ा है. बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक और कांग्रेस से पार्टी में आए मणिलाल वाघेला को उतारा है. AAP ने दलपत भाटिया को टिकट दिया है. इसके अलावा AIMIM ने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया है. इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी के सामने साख बचाने की चुनौती है. देखना दिलचस्प होगा कि पिछले चुनाव में 19,696 वोटों से जीत हासिल करने वाले मेवाणी चक्रव्यूह तोड़ पाते हैं या फंस कर रह जाते हैं.

गांधीनगर दक्षिण से अल्पेश ठाकोर

2008 के परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर दो चुनाव हुए हैं और दोनों ही चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की है, लेकिन पार्टी ने इस बार शंभूजी ठाकोर की जगह यहां पर अल्पेश ठाकोर को मैदान में उतारा है. 2017 में हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी के साथ बीजेपी विरोध के पोस्टर ब्वॉय रहे अल्पेश का यहां पर मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. हिमांशु पटेल से है. अल्पेश ठाकोर 2017 में कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर से जीते थे, लेकिन बीजेपी में जाने पर जब उपचुनाव हुआ तो अल्पेश को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अल्पेश अब नई सीट से लड़ रहे हैं. जब अल्पेश के यहां से लड़ने की चर्चा सामने आई थी, तो उनके विरोध में पोस्टर लगे थे. अल्पेश के लिए सभी बड़े नेताओं ने प्रचार किया है. ऐसे में इस सीट के नतीजे का सभी को इंतजार है.

घाटलोडिया से सीएम भूपेंद्र पटेल

अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया सीट से मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार वे 1,17,750 वोटों से जीते थे. कांग्रेस के प्रत्याशी शशिकांत पटेल को सिर्फ 57,902 वोट मिले थे. इस बार कांग्रेस ने सीएम भूपेन्द्र पटेल की घेरेबंदी के लिए राज्यसभा की सांसद अमी याज्ञनिक को मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी ने विजय पटेल को टिकट दिया है. 2017 से पहले इस सीट से आनंदीबेन पटेल चुनी गई थीं. ऐसे में यह सीट अब तक दो सीएम दे चुकी है. पिछले दो चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर एक लाख से अधिक वोटों का रहा है. इस सीट पर आप के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. ऐसे में इस सीट पर ये देखना दिलचस्प होगा कि भूपेंद्र पटेल की जीत का मार्जिन कितना कम होता है?

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महेसाणा से मुकेश पटेल

मेहसाणा जिले में आने वाली इस सीट को बीजेपी का बेहद मजबूत गढ़ माना जाता है. 1990 से लगातार बीजेपी इस सीट पर काबिज है. लेकिन, इस बार बीजेपी ने यहां से पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल का टिकट काटकर मुकेश पटेल को मैदान में उतारा है. वह अभी तक महेसाणा बीजेपी के अध्यक्ष थे. कांग्रेस पार्टी ने यहां से पी के पटेल और AAP ने भगत पटेल को मैदान में उतारा है. 2017 के चुनाव में नितिन पटेल सिर्फ 7,137 वोटों के अंतर से जीत पाए थे. अब ब नितिन पटेल मैदान में नहीं हैं तो यहां पर कांग्रेस जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है. ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस क्या 32 साल बाद वापसी कर पाती है या फिर 8वीं बार फिर यहां से कमल खिलेगा?

गोधरा से सी के राउलजी

गोधरा से एक बार फिर बीजेपी ने मौजूद विधायक सी के राउलजी को उतारा है. 2017 के चुनाव में राउल जी सिर्फ 258 वोटों से जीत पाए थे. कांग्रेस ने यहां से स्मिताबेन चौहाण को उतारा है. AAP और AIMIM के उम्मीदवार भी यहां से ताल ठोंक रहे हैं. राउलजी बिलिकस बानो गैंगरेप कांड के दोषियों को रिहा करने वाली कमेटी में भी थे. दोषियों की रिहाई विवाद में राउलजी ने उन्हें संस्कारी ब्राह्मण बताकर उनका बचाव किया था. राउल जी के इस बयान पर काफी विवाद हुआ था. उनके इस बयान का असर चुनावों में पड़ने आशंका जताई जा रही है. ऐसे में देखना होगा कि अब इस सीट से पांच बार जीत चुके राउल जी क्या छठवीं बार जीत पाएंगे. यह सबसे बड़ा सवाल है.

नरोडा से पायल कुकराणी

अहमदाबाद जिले की नरोडा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है. इस सीट पर बीजेपी का 1990 से लगातार कब्जा है. पार्टी ने इस बार यहां से डॉ. पायल कुकराणी को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी ने यहां से उत्तर भारतीय मतों को लुभाने के लिए ओम प्रकाश तिवारी को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने यह सीट गठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को दी है. NCP ने यहां से मेघराज डोडवानी को टिकट दिया है. बीजेपी प्रत्याशी पायल कुकराणी नरोडा पाटिया दंगों के दोषी मनोज कुकराणी की बेटी हैं. पार्टी ने जब उनकी उम्मीदवारी का ऐलान किया था, तो कांग्रेस ने काफी सवाल खड़े किए थे और पुत्री के लिए प्रचार कर रहे दंगों के दोषी मनोज कुकराणी की जमानत रद्द करने की मांग की थी. पायल की उम्मीदवारी और इस विवाद के चलते इस सीट पर सभी की नजरें हैं.

बायड से शंकर सिंह वाघेला

अरवल्ली जिले की बायड सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है. इस बार कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व में एक बार विधायक रहे चुके पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह वाघेला को मैदान में उतारा है. वाघेला 2012 में 35 हजार वोटों से जीते थे. इसके बाद 2017 में पार्टी ने धवल सिंह झाला को उतारा था. वे भी जीते थे, लेकिन फिर बाद में वे बीजेपी में चले गए थे. इसके चलते उप चुनाव हुआ. इसमें कांग्रेस के जसुभाई पटेल जीते और झाला को हार का सामना करना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के बेटे के लड़ने से यह सीट चर्चा में आ गई है. बीजेपी ने यहां से भीखीबेन परमार को उतारा है, जबकि AAP ने चुन्नीभाई पटेल को मौका दिया है. वहीं, कांग्रेस से बीजेपी की यात्रा करने वाले धवल सिंह झाला इस बार निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं. ऐसे में ये देखना होगा कि क्या महेंद्र सिंह वाघेला 2012 वाला करिश्मा दोहरा पाएंगे?

छोटा उदेपुर से राठवा नेताओं के बेटों की जंग

आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यह सीट दो राठवा नेताओं के बेटों की जंग की वजह से चर्चा में है. पिछली बार यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहन सिंह राठवा जीते थे, लेकिन इस बार उन्होंने चुनावों के ऐलान से पहले बीजेपी ज्वाइन कर ली और अपने बेटे को मैदान में उतार दिया. वहीं, कांग्रेस से इस सीट पर छोटा उदेपुर नगर पालिका के चेयरमैन संग्राम सिंह मैदान में हैं. वे राज्यसभा सांसद नारायण राठवा के बेटे हैं. अब देखना यह है कि यहां पर मतदाता किस राठवा नेता के बेटे को अपना प्रतिनिधि चुनते हैं या फिर AAP नेता प्रो. अर्जुन राठवा जीतते हैं.

वाघोडिया से अश्विन पटेल मैदान में हैं

वडोदरा जिले की यह सीट अहम सीटों में शामिल है. यहां से बीजेपी ने बाहुबली विधायक मधु श्रीवास्तव का टिकट काटकर पार्टी के ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष अश्विन पटेल को मौका दिया है. वहीं, मधु श्रीवास्तव पार्टी से बगावत करके निर्दलीय लड़ रहे हैं. 1995 में निर्दलीय जीतकर इस सीट पर कब्जा जमाने वाले मधु श्रीवास्तव अब तक छह बार जीत चुके हैं. इस सीट पर पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे धर्मेंद्र सिंह वाघेला फिर से मैदान में हैं. इसके अलावा कांग्रेस ने वडोदरा के पूर्व सांसद सत्यजीत गायकवाड़ को यहां से उतारा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी का टिकट काटना रास आता है या पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे धर्मेंद्र सिंह वाघेला इस बार पहले नंबर पर पहुंच जाएंगे?

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