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Punjab Assembly Election Result 2022: 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) को पूर्ण बहुमत मिला है. AAP, 92 सीटों पर आगे चल रही है और इसके सामने कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (SAD) जैसी पार्टियां साफ हो गईं. यहां कांग्रेस पार्टी की बात करें तो पंजाब में पार्टी की हार की कई वजहें रही हैं. कांग्रेस के खिलाफ पंजाब में सत्ता विरोधी लहर थी और पार्टी को एंटी इनकंबेसी का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस की हार का एक और बड़ा कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह का पार्टी से इस्तीफा देना रहा. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के अंदर बड़ा सियासी घमासान देखने को मिला. नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों सीएम कुर्सी को लेकर आमने-सामने आ गए. सिद्धू ने सरकार पर अपने वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया.
साढ़े चार साल कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, इसके बाद पार्टी ने चरणजीत चन्नी को सीएम बनाया. पंजाब में पहली बार किसी दलित को सीएम बनाकर कांग्रेस ने दलित वोट बैंक को साधने का प्रयास किया था. सीएम चन्नी ने पद संभालते ही कई अहम फैसले भी किए, लेकिन ये काफी नहीं रहा. चन्नी पर ईडी की कार्रवाई को भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद जब नए सीएम के तौर पर चरणजीत चन्नी का नाम सामने आया तो पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिद्धू की नाराजगी की खबरें फैलने लगीं. सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया. हालांकि इसके बाद चन्नी ने उन्हें मनाया और उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, लेकिन इसके बाद भी कई बार सिद्धू ने चन्नी सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए.
ड्रग्स और बेरोजगारी पंजाब में बड़ा मुद्दा है, जिसे दूर करने में कांग्रेस की सरकार नाकाम रही. कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार, अक्षमता, अंदरूनी कलह और ड्रग तस्करों या बेअदबी के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहे. सस्ती बिजली, रियायती शिक्षा और मुफ्त पानी जैसे मुद्दे भी हैं जिसकी वजह से लोगों ने आम आदमी पार्टी को चुना है.
यहां बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब की राजनीति में मजबूत पकड़ रखते हैं और ऐसा माना जाता है कि उनकी ही वजह से बीजेपी और अकाली दल को पंजाब में सत्ता से दूर रखने में मदद मिली. कैप्टन की वजह से ही बीजेपी और अकाली दल जैसी पार्टियां राज्य में कांग्रेस को खत्म नहीं कर पाईं. जहां कांग्रेस पार्टी लंबे समय तक अपनी मजबूत पकड़ के बाद भी गोवा जैसे राज्य में ध्वस्त हो गई. पंजाब में कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं हुआ था. अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी आलाकमान के लंबे समय तक वफादार रहे, लेकिन उन्हें एक झटके में मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया.
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