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राजस्थान (Rajasthan) के वोटरों ने अपना मिजाज बदला, राज बदला लेकिन रिवाज नहीं. दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) में सत्ता की कुंजी कांग्रेस के पंजे से फिसलकर बीजेपी के पास चली गई है. राजस्थान में बीजेपी को क्लियर बहुमत मिला है. इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि कांग्रेस के 'जादूगर' अशोक गहलोत का जादू नहीं चला, वहीं पीएम 'मोदी की गारंटी' पर लोगों ने विश्वास किया. अब सवाल है कि चुनाव के नतीजे और बीजेपी की इतनी बड़ी जीत की असल वजह क्या है?
वहीं इस चुनाव में अबतक के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी को 42% वोट मिले हैं, और कांग्रेस को 39%. मतलब जहां 2018 में सिर्फ डेढ़ फीसदी वोट शेयर के अंतर से कांग्रेस ने बीजेपी से 27 सीटें ज्यादा हासिल की थी और सरकार बनाई थी, वहीं इस बार बीजेपी 3 फीसदी ज्यादा वोट हासिल कर बढ़त बनाती दिख रही है.
ऐसे तो बीजेपी समर्थक या मीडिया का बड़ा तबका पीएम मोदी के चेहरे को बीजेपी की जीत की सबसे बड़ी वजह बता सकते हैं लेकिन अगर ये लॉजिक देखें तो 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के पास नरेंद्र मोदी का चेहरा था, लेकिन बीजेपी की हार हुई थी और सत्ता गंवानी पड़ी थी. इसलिए जीत के कोई एक फैक्टर नहीं हो सकते हैं, हालांकि अगर अहम फैक्टर की बात करें तो चुनाव में बीजेपी की जीत की बड़ी वजहों में से एक कांग्रेस की गलतियां हैं.
भले ही बीजेपी ने घोषणापत्र में लोकलुभावने ऐलान किए हों, हिंदुत्व का मुद्दा उठाया हो, पीएम मोदी का चेहरा हो लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई का कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है और बीजेपी ने इसी का भरपूर फायदा उठाया.
बता दें कि 2018 में राजस्थान में चुनाव जीतकर पद संभालने के फौरन बाद गहलोत और उनके तत्कालीन डिप्टी व लोकप्रिय कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच अनबन की खबरें आने लगी थीं. जुलाई 2020 में, पायलट के साथ कई दूसरे विधायकों के दिल्ली जाने और कथित तौर पर गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश करने की बात सामने आई थी. हाल ये हुआ था कि अशोक गहलोत को सदन में विश्वास मत जीतना पड़ा था. लेकिन ये लड़ाई कांग्रेस के लिए घातक साबित हुई और इसका खामियाजा इस चुनाव में भुगतना पड़ा है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 16 नंवबर को "मोदी की गारंटी' के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया था. जिसमें बीजेपी ने वादा किया कि पांच साल में ढाई लाख लोगों को सरकारी नौकरी देगी. साथ ही बीजेपी ने करीब 20 बड़े अहम वादे किए. जैसे कि-
पीएम उज्जवला योजना के तहत सभी गरीब परिवारों की महिलाओं को 450 रुपये में सिलेंडर प्रदान किया जाएगा.
लाडो प्रोत्साहन योजना को शुरू की जाएगी जिसके अंतर्गत हर बच्ची के जन्म पर 2 लाख का बॉन्ड मिलेगा.
मेधावी छात्राओं को 12वीं के बाद फ्री स्कूटी दी जाएगी.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी प्रमुख शहरों में एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन करेंगे. हर जिले में महिला थाना खोलेंगे, थाने में महिला डेस्क होगा.
गेहूं की फसल 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदी जाएगी.
बीजेपी ने घोषणापत्र में वादे तो किए ही साथ ही हिंदुत्व के एजेंडे को भी मजबूती से उठाया. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने कांग्रेस पर “मुस्लिम तुष्टिकरण” का आरोप लगाया. साथ ही उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड का भी खूब जिक्र किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर को अपनी रैली में कहा, “उदयपुर में जो हुआ, क्या आपने कभी वैसा कुछ सोचा था? राजस्थान की धरती पर इतना बड़ा पाप हुआ. वे (हत्यारे) कपड़े सिलवाने के बहाने आते हैं और फिर बिना किसी डर के दर्जी की गर्दन काट देते हैं और फिर गर्व से वीडियो वायरल कर देते हैं. और कांग्रेस सरकार को इसमें भी वोट बैंक की चिंता है.”
यही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 नवंबर 2023 को भीलवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए ‘राम राज्य’ की वकालत की, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की मुफ्त यात्रा का वादा किया और राजस्थान में साधुओं की मौत पर कांग्रेस पर निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने कहा था,
बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का कोई ‘चेहरा’ घोषित नहीं किया था. यहां तक कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी ज्यादा अहमियत नहीं मिली. बीजेपी ने पीएम मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा और मोदी की गारंटी जैसे नारों को ही आगे बढ़ाया.
राजस्थान में सरकारी नौकरियों में घोटाले की खबरें पूरे पांच साल हावी रही. पांच साल में रीट से लेकर RPSC समते करीब एक दर्जन से ज्यादा पेपरलीक की खबरें आईं. भले ही अशोक गहलोत सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक (Paper Leak) करने वालों को उम्रकैद तक की सजा जैसे कानून बनाए हों, लेकिन पेपर लीक की खबरें कम नहीं हुईं. यहां तक की कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.
बीजेपी ने युवाओं और रोजगार की तलाश कर रहे वोटरों की नफ्ज को पकड़ा और अपने कैंपेन में जमकर पेपर लीक का मुद्दा उठाया.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सात सांसदों को टिकट दिया था. इनमें राज्यवर्धन सिंह राठौर, दीया कुमारी, नरेंद्र कुमार, देवजी पटेल, भागीरथ चौधरी, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा के नाम शामिल है.
कुल मिलाकर बीजेपी ने राजस्थान से कांग्रेस की सत्ता छीनकर बड़ा संदेश दे दिया है कि राहुल गांधी के लिए दिल्ली अभी दूर है.
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