OP Rajbhar ने जहूराबाद सीट से दर्ज की जीत, लेकिन गठबंधन हारा

OP Rajbhar ने बीजेपी के कालीचरण को 45 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया

क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>ओम प्रकाश राजभर</p></div>
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ओम प्रकाश राजभर

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) यूपी की जहूराबाद (Zahoorabad) विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं. उनकी यह सीट यूपी विधानसभा चुनाव में उन खास सीटों का हिस्सा थी, जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा हुई. ओपी राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के प्रमुख हैं और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन कर यूपी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे थे. उन्होंने अपने बड़े-बड़े दावों और अजीब बयानों से यूपी चुनाव 2022 को शुरुआत से ही मजेदार बनाए रखा.

ओम प्रकाश राजभर (SBSP) - 114151

कालीचरण (BJP)- 68920

सय्यदा शादाब फातिमा (BSP) - 52885

सीट पर था त्रिकोणीय मुकाबला

खुद को किंग मेकर, गेम चेंजर जैसी उपाधियां देने वाले ओमप्रकाश राजभर भले ही इस सीट पर खुद की बड़ी जीत का दावा कर रहे थे लेकिन सच्चाई यह है कि जहूराबाद सीट पर मामला त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा हुआ था. यहां पर ओपी राजभर-अखिलेश के गठबंधन, मायावती की BSP और BJP के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा था. ओपी राजभर अपनी सुहेलदेव समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह छड़ी पर यहां से चुनाव लड़े थे और अब नतीजा आपके सामने है.

यहां के तीनों प्रत्याशियों में एक मजेदार संयोग बन रहा कि तीनों ही अपने-अपने खेमे को छोड़कर दूसरे बैनर तले चुनाव लड़े.

बीजेपी प्रत्याशी कालीचरण राजभर पहले बीएसपी के बड़े नेताओं में एक रहे हैं लेकिन इस चुनाव में वो बीजेपी से चुनाव लड़े. बीएसपी की उम्मीदवार फातिमा पहले अखिलेश की सरकार में मंत्री पद तक पहुंची थीं. इसके अलावा इस सीट पर सबसे चर्चित ओपी राजभर ही रहे क्योंकि पिछला चुनाव उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था और इस बार वे अखिलेश यादव के साथ खड़े दिखाई दिए.

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कैसा रहा है इतिहास?

वैसे ओमप्रकाश राजभर इस सीट पर अपना दबदबा बताकर बड़े दावे करते हैं पर असलियत में यहां से मायावती की बीएसपी का दबदबा रहा है. साल 2002, 2007 के चुनाव बीएसपी के कालीचरण राजभर यहां से जीते. 2012 के चुनावों में जब एसपी का माहौल था तब शादाब फातिमा को जीत हासिल हुई थी.

साल 2017 में जब ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से गठबंधन किया तब जाकर उन्हें जीत नसीब हुई. वह 18 हजार वोट से चुनाव जीते थे.

यह पहली बार था जब ओमप्रकाश राजभर को जीत हासिल हुई थी. इस जीत के बाद उनके तेवरों में तल्खी आई थी और वह 2019 के लोकसभा चुनाव आते-आते बीजेपी से बगावत के मूड में आते दिखे.

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