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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को एक "गैरकानूनी संगठन" घोषित करते हुए केंद्र सरकार ने UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA : Unlawful Activities (Prevention) Act ) के तहत पांच साल का बैन लगाया है. केंद्र की घोषणा के बाद PFI की ओर से कहा गया है कि "देश के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में संगठन (PFI) गृह मंत्रालय के फैसले को स्वीकार करता है." इसके अलावा संगठन के एक वरिष्ठ नेता की ओर से कहा गया है कि बैन करने के फैसले को ध्यान में रखते हुए संगठन को भंग कर दिया गया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा देश भर में PFI की संपत्तियों पर की गई छापेमारी और इस संगठन के लगभग 100 सदस्यों की गिरफ्तारी के एक सप्ताह बाद केंद्र सरकार द्वारा इसे "गैरकानूनी संगठन" घोषित किया गया. यूएपीए की धारा 3 के तहत PFI को गैरकानूनी एसोसिएशन के तौर पर अधिसूचित किया गया था. दरअसल इस बैन के बाद संगठन खुद को भंग नहीं करता तो क्या दिक्कते आतीं? UAPA के तहत "गैरकानूनी संगठन" घोषित होने का क्या मतलब है?
मानवाधिकार वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई के मुताबिक UAPA के तहत किसी संगठन को दो तरीके से गैरकानूनी घोषित किया जा सकता है :
पहला तरीका यह है कि भारत के राजपत्र में एक आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से UAPA की धारा 3 के तहत संगठन को "गैरकानूनी" घोषित कर दिया जाए.
दूसरा तरीका यह है कि अधिनियम में संशोधन करते हुए UAPA की धारा 35 के तहत संगठन को 42 आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ दिया जाए.
PFI पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसके लिए पहले वाला तरीका अपनाया गया है. बीते 27 सितंबर की देर रात गृह मंत्रालय की ओर से PFI को गैरकानूनी घोषित करने वाली नोटिफिकेशन (अधिसूचना) जारी किया गया.
इस रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की ओर से अधिनियम में संशोधन नहीं किया है और न ही PFI का नाम भारत में आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ा गया है. लेकिन ऐसा बाद में नहीं बल्कि जल्द हो सकता है.
UAPA के तहत किसी संगठन को "गैरकानूनी" घोषित करने के लिए जो प्रावधान उपयोग किए जाते हैं वे मायने रखते हैं क्योंकि यह सजा के दायरे, जमानत के अधिकार और संगठन पर लगाए जा सकने वाले अन्य दंडों को भी निर्धारित करते हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई कहते हैं,
इस रिपोर्ट के अनुसार, UAPA की धारा 35 के तहत अभी तक PFI को लश्कर-ए-तैयबा और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के साथ आतंकवादी संगठनों की सूची में नहीं जोड़ा गया है.
UAPA के सेक्शन 7 के मुताबिक केंद्र सरकार उन लोगों की पहचान कर सकती हैं जिन लोगों के पास वह पैसा या फंड है जिसे गैरकानूनी संगठन (इस मामले में पीएफआई) के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग या हैंडल किया जाता है. सरकार गैरकानूनी संगठन की गतिविधियों के लिए किसी भी तरह के फंड के उपयोग करने, प्रबंधन करने और हैंडल करने से रोकने के लिए एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकती है. आसान शब्दों में कहें तो फंड को फ्रीज किया जा सकता है.
इसके अलावा, जैसा कि हम पहले इस बात का उल्लेख कर चुके हैं कि केंद्र सरकार भारत में 42 आतंकवादी संगठनों की सूची में संशोधन कर सकती है और PFI को देश में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में जोड़ सकती है.
UAPA के सेक्शन 10 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो PFI की बैठकों में हिस्सा लेता है, इस संगठन के लिए धन का योगदान करता है, या इसके (PFI) लिए मदद मांगता है तो UAPA के तहत उसे दो साल तक की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है.
इस प्रावधान के तहत गतिविधियों या कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले और उक्त गतिविधियों या कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वालों को गिरफ्तारी और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. जाहिर तौर इससे उन सभी बैठक और सभा को झटका लगेगा जिसकी प्लानिंग PFI ने आने वाले महीनों के लिए की होगी.
इसी सेक्शन के तहत अगर PFI के किसी सदस्य या जो कोई भी स्वेच्छा से PFI की सहायता करता है, उसके पास से हथियार या विस्फोटक या सामूहिक विनाश मिलते हैं या वह ऐसा कोई कार्य करता है जिससे किसी संपत्ति या जिंदगी को काफी नुकसान पहुंचता है या गंभीर चोट लगती है तो उसे कम से कम पांच साल की जेल का सामना करना पड़ सकता है इस सजा को उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
यदि उनकी गतिविधियों या हरकतों की वजह से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उनकी सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है.
मिहिर देसाई कहते हैं,
सेक्शन 13 के मुताबिक, जो कोई भी गैरकानूनी गतिविधि में सहायता करता है, ऐसी गतिविधियों के लिए भड़काता है या उकसाता है, उसे 7 साल तक की कैद हो सकती है.
किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों की कमीशनिंग में अगर कोई सहायता करता है तो उसके लिए इसी सेक्शन के तहत 5 साल तक की कैद का प्रावधान है.
जो कोई भी "पैसे, प्रतिभूतियां (सिक्योरिटीज) या क्रेडिट" सहित संगठन के फंड को हैंडल करता है, ट्रांसफर करता है या मैनेज करता है, उसे UAPA की धारा 11 के तहत 3 साल तक की कैद और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. केंद्र सरकार उस व्यक्ति से पैसे/फंड की वसूली का आदेश भी दे सकती है.
केंद्र सरकार द्वारा UAPA सेक्शन 8 के तहत जिन संपत्तियों को गैरकानूनी संगठनों के तौर पर या उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे स्थानों के रूप में अधिसूचित किया गया है अगर कोई भी उन संपत्तियों का उपयोग करता है या उसमें प्रवेश करता है तो UAPA की धारा 12 के तहत उसे कैद की सजा हो सकती है जिसे एक साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
एडवोकेट मिहिर देसाई बताते हैं कि अगर वह जगह किसी का निवास स्थान है तो उस जगह का उपयोग करने और वहां प्रवेश करने की अनुमति केवल उन्हीं लोगों दी जाएगी जो उस स्थान पर रहते हैं.
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