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National Bone And Joint Health Day 2023: हर साल 4 अगस्त को बोन एंड जॉइंट हेल्थ डे मनाया जाता है. इससे लोगों के बीच हड्डियों और जोड़ों की सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ती है. रीढ़ की हड्डी शरीर के दूसरे अंगों के लिए मैसेंजर का काम करती है. यह नसों का समूह होती है, जो ब्रेन का मेसेज शरीर के हर आर्गन तक पहुंचाती है. स्पाइनल कॉर्ड (spinal cord) का हेल्दी रहना लाइफ को सही तरीके से जीने के लिए बेहद जरूरी है.
स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी समस्याओं का कारण, बचाव और केयर टिप्स जानते हैं गुरुग्राम, मेदांता के इंस्टिट्यूट ऑफ मसक्यूलोस्केलेटल डिसऑर्डर्स एंड आर्थोपेडेडिक्स में डिवीजन ऑफ स्पाइन के डायरेक्टर- डॉ. विनीश माथुर से.
रीढ़ की हड्डी में क्या-क्या समस्याएं होती हैं?
रीढ़ की हड्डी इंसान के शरीर की एक प्रमुख अंग प्रणाली है, इसमें 24 छोटे खंड, जिन्हें कशेरूक कहा जाता है, आपस में विभिन्न ज्वॉइंट्स के माध्यम से जुड़े होते हैं. इसका स्ट्रक्चर बहुत जटिल है, जिसमें 100 से ज्यादा ज्वॉइंट्स हड्डियों, लिगामेंट्स, सॉफ्ट टिशूस और मांसपेशियों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं. इनमें से किसी भी एक चीज में कोई रुकावट आने से रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है, जिसके कारण हड्डी, ज्वॉइंट्स, लिगामेंट्स या मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है.
रीढ़ में होने वाली समस्याओं से दर्द का अनुभव हो सकता है, जो रीढ़ के साथ ही सिर से लेकर टेलबोन तक कहीं भी उठ सकता है. फ्लेक्सिबिलिटी कम होना या मांसपेशियों में ऐंठन होना एक और सामान्य लक्षण है.
रेडिकुलोपैथी, जिसमें हाथ, पैर, पेट या छाती तक दर्द उठता है, रीढ़ से संबंधित समस्या का एक संकेत है.
रीढ़ की हड्डी की संरचना में कोई भी क्षति होने पर विकृति या सूजन भी दिखने लगती है.
रीढ़ में होने वाली समस्याओं के लिए आमतौर पर पांच प्रमुख कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है. जन्मजात परेशानियां जन्म के समय मौजूद समस्याओं से उत्पन्न होती हैं. अर्थराइटिस जैसी सूजन संबंधी समस्या भी रीढ़ की हड्डी में जटिलता को बढ़ावा दे सकती है. डीजनरेटिव डिस्क बीमारी ज्यातादर मामलों में पाया जाने वाला डीजनरेटिव कारण है. कुछ मामलों में इंफेक्शन और ट्यूमर भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
आजकल रीढ़ संबंधी समस्याओं में से कौन-सी समस्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है?
ज्यादातर लोगों में डीजनरेटिव डिस्क की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है, इसका प्रमुख कारण मानव गतिविधियों की प्रकृति और रीढ़ की हड्डी का पूर्ण रूप से विकास न होना है. यह समस्या वर्टेब्रा (vertebrae) के बीच ज्वॉइंट्स के घिसने और सूजन आने की वजह से उत्पन्न होती है, जिससे असुविधा होती है और कई दूसरे लक्षण भी पैदा होते हैं. रीढ़ की हड्डी में समस्या होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है आघात या चोट लगना.
रीढ़ में होने वाली समस्या का कारण क्या है?
रीढ़ की हड्डी में होने वाली समस्याओं के प्रमुख कारण में चोट लगना, बढ़ती उम्र के साथ टिश्युओं का कमजोर पड़ना, इन्फेक्शन, कैंसर और स्ट्रोक शामिल हैं. कभी-कभी जन्म दोष के कारण भी रीढ़ में समस्या हो सकती है, लेकिन ऐसे मामले बहुत कम होते हैं.
रीढ़ की हड्डी का दर्द कब घातक हो सकता है?
वैसे तो रीढ़ की हड्डी में होने वाले सभी तरह के दर्द को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो गंभीर रीढ़ समस्या का संकेत देते हैं और इन पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. वे हैं:
गंभीर घटना, चोट, बुखार या इंफेक्शन से जुड़ा दर्द
दिखाई पड़ने वाली विकृति
खड़े रहने में परेशानी
कमजोरी, पैरालिसिस, या उत्तेजना में कमी या ब्लैडर पर नियंत्रण खोने की वजह से निचले अंगों या ऊपरी अंगों के इस्तेमाल में परेशानी
अगर इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होने पर, डॉक्टर से सलाह लें.
रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए?
आजकल सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है मोटापा, इसलिए वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी है क्योंकि शरीर का 60% वजन निचले वर्टेब्रा पर ही पड़ता है. रेगुलर एक्सरसाइज करना और मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हड्डियों की गुणवत्ता पर ध्यान देना, चोट से बचना और विटामिन डी और विटामिन ई जैसे पोषण तत्वों का पर्याप्त सेवन सुनिश्चित करना चाहिए.
किस उम्र में रीढ़ की हड्डी की देखभाल शुरू कर देनी चाहिए और कैसे?
अधिकांश हड्डियां, लिगामेंट और सॉफ्ट टिशूज आमतौर पर 20 साल की उम्र तक पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि इसी उम्र से पोस्चर, व्यायाम, वेट मैनेजमेंट, मसल्स टोन और संतुलन का ध्यान रखना शुरू कर देना चाहिए. इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि युवाओं को अपनी रीढ़ की हड्डी का ध्यान नहीं रखना चाहिए. आमतौर पर, कम उम्र में रीढ़ की हड्डी अधिक लचीली होती है. 28 से 30 साल की उम्र के आसपास, रीढ़ से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और धीरे-धीरे बढ़ सकती हैं.
रीढ़ को स्वस्थ रखने के लिए कोई और सुझाव?
रीढ़ को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना जरूरी होता है. इसमें नियमित एक्सरसाइज, उचित मुद्रा का पालन करना (खासकर वो लोग जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं), आरामदायक कुर्सियों का इस्तेमाल करना, घूमने-फिरने के लिए नियमित रूप से काम से ब्रेक लेना, तेजी से गिरने से बचना, सीमित ड्राइविंग और हमेशा लक्षणों पर ध्यान देना शामिल है. इन सभी बातों पर ध्यान देने से भविष्य में होने वाली गंभीर विकलांगता के संभावित कारणों को रोकने में मदद मिल सकती है.
रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए, पोश्चर, वेट कंट्रोल, एक्सरसाइज, लंबे वक्त तक काम करने से रीढ़ पर पड़ने वाले अनावश्यक दबाव से बचने जैसे अनुशासन की आवश्यकता होती है. हालांकि, बहुत से लोग अपने लैपटॉप पर घंटों झुके. बैठे रहते हैं और यह काफी चिंताजनक है.
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