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Bourn Vita अब नहीं है 'हेल्थ ड्रिंक' की कैटेगरी में, बच्चों के लिए क्या है हेल्दी?

FSSAI ने पहले भी डेयरी और माल्ट-आधारित पेय पदार्थों को 'हेल्थ ड्रिंक' और 'एनर्जी ड्रिंक' के रूप में कैटेगोराइज्ड किए जाने के खिलाफ चेतावनी दी थी.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>क्या Bourn Vita हेल्थ ड्रिंक है?</p></div>
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क्या Bourn Vita हेल्थ ड्रिंक है?

(फोटो: चेतन भाकुनी/फिट हिंदी)

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Healthy Drinks For Children: मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा है कि बॉर्न वीटा (Bourn Vita) और चीनी से बने दूसरे पेय पदार्थों को अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 'हेल्थ ड्रिंक' के रूप में कैटोगोराइज्ड नहीं किया जा सकता है.

10 अप्रैल को लिखे पत्र में मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को लिखा,

“नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR), कमीशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (CPCR) एक्ट, 2005 की सेक्शन (3) के तहत गठित एक स्टैचूटरी बॉडी, CRPC एक्ट 2005 की धारा 14 के तहत अपनी जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि FSS एक्ट 2006 के तहत, FSSAI और मोंडेलेज इंडिया फूड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सबमिट किए गए रूल और रेग्युलेशन में कोई 'हेल्थ ड्रिंक' डिफाइन नहीं किया गया है."

इसमें कहा गया है, "सभी ई-कॉमर्स कंपनियों/पोर्टलों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी साइटों/प्लेटफॉर्मों से बॉर्न वीटा सहित पेय/पेय पदार्थों को "हेल्थ ड्रिंक" की श्रेणी से हटा दें."

क्या इसका मतलब यह है कि बॉर्न वीटा अनहेल्दी है? लिस्ट में दूसरे कौन से प्रोडक्ट हैं और उनसे क्या नुकसान होता है? बच्चों के लिए हेल्दी ड्रिंक कौन से हैं? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट से बात की और जाना इन सवालों के जवाब.

मंत्रालय ने यह एडवाइजरी क्यों जारी की?

बहुत अधिक और परमिसिबल लिमिट से अधिक चीनी वाले पेय पदार्थों की जांच के बाद, एनसीपीसीआर ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टेण्डर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया 'हेल्थ ड्रिंक' को बिल्कुल भी परिभाषित नहीं करता है और इसलिए वे हमारे फूड सेफ्टी कानूनों के तहत एक श्रेणी नहीं हैं.

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के लिए केंद्र की नोटिफिकेशन, दिनांक 10 अप्रैल

एफएसएसएआई (FSSAI) ने पहले भी डेयरी-आधारित और माल्ट-आधारित पेय पदार्थों को 'हेल्थ ड्रिंक' और 'एनर्जी ड्रिंक' के रूप में कैटेगोराइज्ड किए जाने के खिलाफ चेतावनी दी थी.

फिट हिंदी ने एक्सपर्ट से पूछा इस एडवाइजरी को जारी करने के पीछे की वजह क्या है?

"हेल्थ ड्रिंक्स जैसे बॉर्नवीटा में अक्सर अधिक मात्रा में शुगर, आर्टिफिशल फ्लेवर और प्रेसेर्वटिवेस होते हैं. इनका रेगुलर उपयोग लॉन्ग-टर्म हेल्थ इश्यूज को बढ़ा सकता है, जैसे की ओबेसिटी, डायबिटीज और हार्ट प्रोब्लेम्स. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स इन ड्रिंक्स को बच्चों के लिए एक रेगुलर हेल्थ ड्रिंक नहीं मानने की सलाह दी है."
डॉ. सौरभ खन्ना- लीड कंसलटेंट- पीडियाट्रिक और नियोनेटोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

पत्र में एकमात्र प्रोडक्ट बॉर्न वीटा का जिक्र किया गया है पर, यह एक ब्लैंकेट ऑर्डर है, जो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 'हेल्थ ड्रिंक' के तहत आने वाले सभी खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों पर लागू होता है.

पत्र में बॉर्न वीटा का खासतौर पर जिक्र क्यों किया गया?

पिछले साल अप्रैल में, इंफ्ल्यूएंसर रेवंत हिमतसिंगका (@foodpharmer सोशल मीडिया पर) ने 'हेल्थ ड्रिंक' कैडबरी बॉर्न वीटा का रिव्यू करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था, जहां उन्होंने प्रोडक्ट में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होने की बात कही थी.

वीडियो पोस्ट करने के दो हफ्ते बाद, मोंडेलेज इंडिया (बॉर्न वीटा की मूल कंपनी) द्वारा उन्हें कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद उन्हें इसे हटाना पड़ा और प्रोडक्ट को 'बदनाम' करने के लिए माफी मांगनी पड़ी.

विवाद खड़ा होने के बाद एनसीपीसीआर (NCPCR) ने कंपनी से अपने सभी भ्रामक विज्ञापनों को हटाने और इस बारे में स्पष्टीकरण (explanation) दाखिल करने को भी कहा था.

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इन प्रॉडक्ट्स में चीनी की मात्रा कितनी होनी चाहिए? इसमें लिमिट क्यों है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, चीनी के सेवन की स्वीकार्य (permissible) सीमा 2-4 चम्मच है, या आदर्श रूप से हर दिन आपकी डाइट से 10% कम.

पिछले साल जब विवाद अपने चरम पर था, तो न्यूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट - इंडिया ने एक बयान जारी कर बताया कि बहुत अधिक चीनी खाना व्यक्तियों के लिए हानिकारक क्यों हो सकता है:

“मानव स्वास्थ्य पर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत के नेगेटिव असर से जुड़े सार्वजनिक डोमेन में पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत मौजूद हैं, जिनमें मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर और डिप्रेशन (गैर संचारी रोग) जैसी कई पुरानी बीमारियां शामिल हैं.”

एक्सपर्ट बताते हैं कि बच्चों को हाई शुगर ड्रिंक्स पीने से कई नुकसान हो सकते हैं. सबसे प्रमुख नुकसान है कि यह ड्रिंक्स बच्चों को सिर्फ कैलरी देते हैं, जो कि उनके विकास के लिए बिल्कुल भी पोषक और सेहतमंद नहीं होते. इसके अलावा शुगर इंटके अधिक होने से बच्चों का वजन बढ़ सकता है, जो ओबेसिटी का कारण बनता है.

बच्चों में हाई शुगर ड्रिंक्स के नुकसान:

  • विकास में समस्या

  • वजन बढ़ने से ओबेसिटी

  • हार्ट प्रॉब्लम

  • डायबिटीज

  • डेंटल प्रॉब्लम

"और लॉन्ग-टर्म में यह ड्रिंक्स डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम्स जैसी समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं. डेंटल इश्यूज भी हो सकते हैं, जैसे कि दांतों की सड़न क्योंकि शुगर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है, जो दांत के खराब होने का कारण बन सकता है."
डॉ. सौरभ खन्ना- लीड कंसलटेंट- पीडियाट्रिक और नियोनेटोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

बच्चों के लिए कौन से ड्रिंक हेल्दी हैं?

न्यूट्रीशन और गैर-संचारी रोग एक्सपर्ट्स ने अक्सर कहा है कि जब कोई प्रोडक्ट खुद को 'हेल्दी' बताते हुए अपना प्रचार करता है, तो आम तौर पर लोग इस पर विश्वास करते हैं, बिना यह जांचे कि इसमें कितनी चीनी, प्रीसर्वेटिव्स, इमल्सीफायर हैं.

2023 में NAPI के बयान में यह भी कहा गया था,

“यूपीएफ (UPF) की एग्रेसिव मार्केटिंग उसकी खपत बढ़ाने का काम करता है. विश्व स्तर पर लोग रियल फूड्स की जगह अन्हेल्थी और अन सस्टेनेबल फूड ले रहे हैं.''

⁠बच्चों के लिए हेल्दी ड्रिंक्स के कुछ विकल्प ये हैं:

  • दूध: दूध एक महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, जो बच्चों के ओवरआल हेल्थ, विकास और पोषण के लिए आवश्यक है. जैसे की हल्दी दूध, बादाम दूध, सर्दियों मे खजूर का दूध. कुछ बच्चों को दूध से समस्या होती है, ऐसे में डॉक्टर की सलाह लें.

  • नींबू पानी और शिकंजी: यह नेचुरल इलेक्ट्रोलाइट्स और विटामिन सी से भरपूर होते हैं, जो बच्चों को गर्मी में हाइड्रेट रखते हैं. इनमें चीनी की मात्रा का ध्यान रखें.

  • फ्रेश फ्रूट जूस: घर पर तैयार किये गए फ्रेश फ्रूट जूस बच्चों के लिए अच्छे होते हैं लेकिन इनमें शुगर की मात्रा का ध्यान रखा जाना चाहिए.

  • नारियल पानी : नारियल का पानी बच्चों के लिए एक स्वस्थ और काफी अच्छा ड्रिंक है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स और पोटैशियम पाया जाता है, जो उनकी हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को बनाये रखने में मदद करता है.

"इन ड्रिंक्स को सेहतमंद बनाने के लिए बच्चों के लिए शुगर और आर्टिफिशल फ्लेवर का प्रयोग कम करके नेचुरल इंग्रेडिएंट्स का उपयोग करना चाहिए, जिनसे उनकी सेहत बने और वह स्वस्थ रहें.
डॉ. सौरभ खन्ना- लीड कंसलटेंट- पीडियाट्रिक और नियोनेटोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

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