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Cancer Deaths: 2020 के आंकड़ों के आधार पर जेंडर एंड कैंसर ट्रीटमेंट पर लैंसेट कमीशन की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कम से कम 6.9 मिलियन मौतों को रोका जा सकता था और 4.03 मिलियन का इलाज किया जा सकता था.
स्टडी में बताया गया है कि भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कम से कम 63% मौतों को केवल जोखिम कारकों को कम करके रोका जा सकता था. वहीं उचित और समय पर इलाज से 37% मौतों को रोका जा सकता था.
लैंसेट रिपोर्ट का फोकस था, "महिलाएं, शक्ति और कैंसर". यह रिपोर्ट महिलाओं के हेल्थ के प्रति सामाजिक उदासीनता पर प्रकाश डालती है. यह इस बात पर जोर देता है कि किस प्रकार ज्ञान की कमी और विशेषज्ञता (expertise) तक पहुंच की कमी महिलाओं को इन बताई गई बातों में पीछे रखती है:
कैंसर का पता लगाना
कैंसर की देखभाल
यह जेंडर और सेक्स-इंक्लूसिव पॉलिसीज और गाइडलाइन्स का आह्वान करता है, साथ ही यह भी बताता है कि महिलाएं अक्सर ऐसी स्थिति में नहीं होती हैं, जहां वे अपनी देखभाल का तरीका (nature of care) तय कर सकें.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों में कैंसर की तुलना में महिलाओं में कैंसर की प्राथमिक रोकथाम कम संभव है. जब महिलाओं और कैंसर की बात आती है, तो इसमें और अधिक रिसर्च की आवश्यकता होती है.
"यहां तक कि विश्व स्तर पर महिलाओं में सबसे आम कैंसर ब्रेस्ट कैंसर के कारणों को भी कम समझा गया है और पहचाने गए जोखिमों में से अधिकतर (जैसे जेनेटिक और रिप्रोडक्टिव फैक्टर) को बदला नहीं जा सकता है. इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक रिसर्च की तत्काल आवश्यकता है. महिलाओं में कैंसर के कारणों में व्यावसायिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं, जिनमें से कुछ को पिछले 5-10 वर्षों में केवल संभावित खतरों के रूप में उठाया गया है,".
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