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Cancer Vaccine: कैंसर से जुड़ा एक सवाल जो अक्सर पूछा जाता है, वह यह है कि क्या ऐसी कोई वैक्सीन है, जो कैंसर से बचाव कर सकती है? बेशक, ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में, कैंसर वैक्सीन की मदद से इम्यून सिस्टम की ताकत का इस्तेमाल करना काफी उम्मीदें जगाता है. यह कैंसर के इलाज में एक क्रांति ला सकता है. यह वैक्सीन दरअसल, हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट कर कैंसर सेल्स की पहचान करने और उन्हें समाप्त करने में मददगार हो सकती हैं. सच पूछा जाए तो ये वैक्सीन पारंपिरक उपचार की तुलना में कैंसर के उपचार का अधिक टार्गेटेड और कारगर विकल्प साबित हो सकती हैं.
किसी भी बाहरी और अनजान पदार्थ के संपर्क में आते ही, हमारा शरीर उसे अलग-थलक करता है और फिर उसे खत्म कर देता है. वैक्सिनेशन (टीकाकरण) भी इसी बुनियादी सिद्धांत पर काम करता है. वायरस की सतह पर कोई भी प्रोटीन या कैंसर कोशिका की सतह, जो कि हमारे इम्यून रिस्पॉन्स को एक्टिवेट कर सकती है (यानी इनके संपर्क में आते ही हमारे शरीर में उनके खिलाफ एंटीबॉडी बनने लगती हैं), इस काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती है.
कैंसर वैक्सीनों को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जाता है. बचाव करने वाली और उपचार करने वाली. कुछ कैंसर शरीर में संक्रमण की वजह से फैलते हैं. ऐसे में बचाव करने वाली वैक्सीन जैसे कि ह्यूमैन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन, हेपेटाइटिस बी वायरस, का मकसद इस तरह के संक्रमणों से बचाव करना है. दुनियाभर में कैंसर इंडेक्स का बदलता लैंडस्केप इस तरह के वायरस से बचाव में वैक्सिनेशन की प्रभावशीलता और सफलता को दिखाता है.
दूसरी ओर, उपचारी वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट कर मौजूदा कैंसर कोशिकाओं जैसे कि मेलानोमा को लक्षित कर उनका सफाया करती हैं.
लेकिन कैंसर वैक्सीन के सामने भी कई चुनौतियां हैं. मसलन, ट्यूमर हेट्रोजेनिएटी, जिसमें ट्यूमर के अंदर की कैंसर सेल्स अलग-अलग तरह से व्यवहार करती हैं और ये एक प्रकार की चुनौती बन जाती हैं. इसके अलावा, कैंसर सेल्स भी अपने भीतर ऐसी प्रणाली बना लेती हैं, जिनकी वजह से इम्यून सिस्टम द्वारा उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है. इन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए इम्यून सिस्टम और कैंसर के बीच के जटिल इंटरेक्शन को समझना बहुत महत्वपूर्ण होता है और यही मौजूदा दौर में रिसर्च के संदर्भ में काफी दिलचस्प पहलू भी है.
हाल के वर्षों में, कैंसर वैक्सीन के विकास के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. व्यक्ति विशेष की ट्यूमर प्रोफाइल के मुताबिक पर्सनलाइज़्ड वैक्सीन को लेकर भी काफी उम्मीदें बढ़ी हैं. इसके लिए प्रत्येक मरीज के कैंसर की जेनेटिक और मॉलीक्यूलर स्ट्रक्चर्स को ध्यान में रखा जाता है ताकि वैक्सीन अधिक से अधिक कारगर साबित हो.
इसके अलावा, चेकप्वाइंट इन्हिबिटर्स और एडॉप्टिव सैल थेरेपी समेत इम्यूनोथेरेपी के क्षेत्र में हुई प्रगति के चलते भी कैंसर वैक्सीनों को विकसित करने में मदद मिली है. चेकप्वाइंट इन्हिबिटर्स का काम इम्यून सिस्टम की रुकावटों को दूर करना होता है, जिससे सिस्टम अधिक क्षमता के साथ काम करने लगता है और कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें समाप्त करता है. इस प्रकार की थेरेपी का मेल कैंसर वैक्सीनों के साथ कराने से एक मजबूत और व्यापक एंटी-कैंसर इम्यून रिस्पॉन्स को तैयार करने में मदद मिलती है.
कैंसर वैक्सीनों का भविष्य बेहद संभावनाशील है. इस क्षेत्र में जारी रिसर्च के तहत इनोवेटिव टैक्नोलॉजी जैसे mRNA वैक्सीन को टटोलने का प्रयास जारी है, जो कि कोविड-19 वैक्सीन की सफलता से प्रेरित है. इस प्रकार की प्रगति से बेहतर, कारगर और कम साइड इफेक्ट्स वाली कैंसर वैक्सीनों को तेजी से विकसित करने में मदद मिल सकती है.
मौजूदा दौर में, कंप्यूटर आधारित एल्गॉरिदम के चलते, अब इस क्षेत्र में उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं. यह नया दौर पर्सनलाइज़्ड और प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी का दौर है और वैक्सीन काफी पॉजिटिव विकल्प के तौर पर उभरी हैं.
कैंसर वैक्सीन ने कैंसर के उपचार में नई दिशा खोली है और रोचक बात यह है कि इसके लिए हमारे शरीर की अपनी सुरक्षा प्रणाली का ही इस्तेमाल किया जाता है. जैसे-जैसे रिसर्च बढ़ रही है और नई टैक्नोलॉजी सामने आ रही है, कैंसर वैक्सीन, कीमोथेरेपी, लक्षित थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के बीच तालमेल के कारण अधिक कारगर, लक्षित और पर्सनलाइज़्ड कैंसर उपचार के नए विकल्प भी उभर रहे हैं, जिनसे दुनियाभर में मरीजों के लिए आशा बढ़ी है.
(ये आर्टिकल नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कोकोलॉजी के कंसलटेंट, डॉ. अरुज ध्यानी ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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