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World Cancer Day 2024: हर साल 4 फरवरी को दुनिया भर में विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. लोगों में कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश से पूरा फरवरी महीना कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में भी मनाया जाता है. कुछ खास तरह के कैंसर महिलाओं में तेजी से फैल रहे हैं. उनमें सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर शामिल हैं.
एशिया में सर्वाइकल कैंसर के सबसे अधिक मामले भारत में देखने को मिल रहे हैं.
फिट हिंदी ने गुरुग्राम, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में डिपार्टमेंट ऑफ गायनी ऑन्कोलॉजी की प्रिंसिपल डायरेक्टर- डॉ. रमा जोशी से बात की और उनसे सर्वाइकल कैंसर से जुड़े अहम सवालों के जवाब जानें.
सर्वाइकल कैंसर किन लोगों को होता है?
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की योनि में गर्भाशय के निचले भाग- सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) को प्रभावित करता है. यह उन सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं को होता है, जिनके सर्विक्स में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस का इन्फेक्शन होता है. आमतौर पर, कम उम्र में सेक्सुअली एक्टिव होना, एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर होना, धूम्रपान और सेक्सुअल इंटरकोर्स से फैलने वाले रोगों और दूसरे संबंधित रिस्क फैक्टर्स से घिरी महिलाओं में इसका खतरा होता है.
क्या सर्वाइकल कैंसर जेनेटिक कारणों से होता है?
हालांकि, सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) इंफेक्शन होता है, और ये बीमारी परिवार के जरिए फैलने वाला कैंसर नहीं है. कई बार कुछ जेनेटिक फैक्टर्स किसी व्यक्ति के शरीर में एचपीवी इन्फेक्शन के प्रति इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करते हैं, जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है.
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग किस उम्र से शुरू कर देनी चाहिए?
बचाव के लिए, सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं को 25 साल की उम्र से सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए. जांच कितनी बार करवायी जानी चाहिए यह हर व्यक्ति के रिस्क फैक्टर और इस बात पर निर्भर करता है कि वे कौन-सा स्क्रीनिंग टेस्ट चुनती हैं. लो रिस्क महिलाओं को 3 से 5 वर्षों के अंतराल पर यह जांच करवानी चाहिए.
कुछ खास किस्म के रिस्क फैक्टर्स, जैसे एब्नार्मल पैप स्मीयर, पहले एचपीवी इन्फेक्शनसे ग्रस्त लोग, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को अधिक बार या 1 साल में दो बार जांच करवाने की जरूरत हो सकती है.
क्या हैं सर्वाइकल कैंसर के स्क्रीनिंग के तरीके?
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए नियमित जांच कराते रहना जरूरी है.
पैप स्मीयर टेस्ट: सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग के लिए यह सबसे सामान्य टेस्ट है. सर्विक्स में एब्नार्मल सेल्स की मौजूदगी प्री-कैंसर या कैंसरकारी बदलावों का इशारा होती है.
एचपीवी टेस्टिंगः यह टेस्ट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) हाई रिस्क वायरस स्ट्रेन्स, जो कि सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण होता है, कि मौजूदगी की जांच करता है. एचपीवी टेस्टिंग अपने आप में अकेले या पैप स्मीयर के साथ मिला कर की जा सकती है.
कम सुविधाओं वाली सेटिंग में एसिटिक एसिड का प्रयोग कर विजुअल इंस्पेक्शन: इस तरह के टेस्ट में, हेल्थकेयर प्रोवाइडर द्वारा सर्विक्स में एसिटिक एसिड को लगाकर उस स्थान पर किसी भी असामान्यता को देखने का प्रयास किया जाता है, इससे प्री-कैंसरस या कैंसर के बदलावों की जानकारी मिलती है.
भारत में दी जाने वाली सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन कौन-कौन सी है?
भारत में, फिलहाल सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए दो वैक्सीनों का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है.
गार्डासिल वैक्सीनः यह क्वाड्रिवैलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन होती है, जो एचपीवी टाइप्स 16 और 18, और जननांगों में मस्से (genital warts) पैदा करने वाले एचपीवी टाइप 6 और 11 से बचाव करती हैं. गार्डासिल वैक्सीन को छह महीने की अवधि के दौरान तीन खुराक दी जाती है. इसे 9 से 45 वर्ष की उम्र की महिलाओं को दिया जा सकता है.
सर्वेरिक्स: यह बाइवेलेंट एचपीवी वैक्सीन है, जो एचपीवी टाइप 16 और 18 से बचाव करने में कारगर है. इसे भी छह महीने की अवधि के दौरान तीन खुराकों में दिया जाता है. सर्वेरिक्स को 10 से 45 साल की महिलाओं को दिया जा सकता है.
ये वैक्सीन आमतौर पर लड़कियों और युवतियों को देने की सलाह दी जाती है.
एचपीवी वैक्सीन किस उम्र से किस तक देनी चाहिए?
9 से 14 साल की उम्र की किशोरियों में यह वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर होती है. इसे आमतौर पर 27 साल की उम्र तक दिया जा सकता है. लेकिन 27 से 45 वर्ष की उम्र में इसका असर काफी कम हो जाता है इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए.
क्या लड़कों/पुरुषों को सर्वाइकल कैंसर हो सकता है?
नहीं.
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए लड़कों को क्या करना चाहिए?
इंडियन पिडियाट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक, 9 से 14 साल की उम्र के लड़कों को एचपीवी वैक्सीन देने की सलाह दी जाती है. इसकी उपयुक्त उम्र 11 से 12 वर्ष है.
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