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COVID: भारत में मिले BA.2.75 वेरिएंट का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है, WHO

भारत और 10 अन्य देशों में ओमीक्रॉन सब-वेरिएंट BA.2.75 पाया गया है.

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COVID-19 FAQ ओमिक्रॉन स्ट्रेन BA.2.75 के बारे में हम क्या जानते हैं?

(फोटो:iStock)

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WHO के वैज्ञानिकों ने अब पुष्टि की है कि वे BA.2.75 नामक एक नए संभावित सब वेरिएंट को बारीकी से ट्रैक कर रहे हैं.

जहां तक COVID का सवाल है, मार्च में पहली बार सामने आने के बाद से, ओमिक्रॉन और इसके उभरते उप प्रकारों ने दुनिया को चौकन्ना कर रखा है.

हालांकि ओमिक्रॉन के उप प्रकार अधिक संक्रामक साबित हुए हैं, लेकिन वायरस के पिछले स्ट्रेनों की तुलना में कम खतरनाक हैं. पर विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर वायरस में कोई बड़ा म्यूटेशन आता है, तो यह बदल सकता है.

और ओमीक्रॉन के सबसे नए सब-वेरिएंट को देखकर ऐसा ही लग रहा है.

जैसे-जैसे भारत में (और पूरी दुनिया में) COVID के मामलों फिर से बढ़ रहे हैं, विशेषज्ञों ने इंटरनेट पर BA.2.75, हाल ही में भारत में पाया गया Omicron का एक सब वेरिएंट, को फ्लैग किया है.

यहां नए वेरिएंट से जुड़े सवालों के जवाब दिए गए हैं.

BA.2.75 के बारे में WHO ने क्या कहा है?

WHO ने 6 जुलाई को नए सब वेरिएंट को स्वीकार करते हुए एक छोटा वीडियो जारी किया. WHO के लिए बोलते हुए, मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि संस्करण को आधिकारिक रूप से नाम नहीं दिया गया है, लेकिन इसे BA.2.75 कहा जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा, "विश्लेषण के लिए अभी भी सीमित सीक्वन्स (sequences) उपलब्ध हैं, लेकिन इस वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन पर कुछ परिवर्तन होते हैं ... हमें इसे देखना होगा."

अब तक कितने देशों में नया सब-वेरिएंट पाया गया है?

ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, तेल हाशोमर के शेबा मेडिकल सेंटर में सेंट्रल वायरोलॉजी लैबोरेटरी की डॉ शे फ्लेशॉन ने कहा कि अब तक नए वेरिएंट के 85 सीक्वेंस को नेक्स्टस्ट्रेन, जो जीनोम सीक्वेंसिंग डेटा का एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म है, में अपलोड किया गया है.

सब-वेरिएंट अभी तक 11 देशों में पाया गया है. इनमें भारत के अलावा अब तक यूके, यूएस, जर्मनी, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

भारत में BA.2.75 कहां पाया गया है?

नेक्स्टस्ट्रेन पर अपलोड किए गए BA.2.75 के 85 में से 69 सीक्वेन्स 10 राज्यों से थे. ये हैं - दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल.

BA.2.75 का पता लगाना कठिन है, जिसका मतलब है कि वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक है.

यह सब-वेरिएंट कैसे अलग है?

डॉ फ्लेशॉन के अनुसार, "यह BA.2 की दूसरी पीढ़ी है, 16 म्यूटेशन का सॉल्टेशन, 8 S में हैं (एनटीडी में 4, 4 आरबीडी में एक रिवर्जन सहित)."

अमेरिका में प्रोटीन और वायरस के मोलेक्युलर एवोलूशन का अध्ययन करने वाली ‘ब्लूम लैब’ के शोधकर्ताओं के अनुसार, इस सब-वेरिएंट में G446S और R493Q के दो प्रमुख म्यूटेशन हैं.

वे आगे कहते हैं कि हालांकि R493Q एक प्रमुख एंटीजनिक म्यूटेशन नहीं है, यह G446S को सक्षम बनाता है, और BA.2.75 की ACE2 के लिए एफिनिटी को बढ़ाता है. ACE2 एक प्रोटीन है, जो मानव सेल्स से जुड़ जाता है और उन्हें संक्रमित करता है.

डब्ल्यूएचओ ( WHO) ने अपने आधिकारिक बयान में यह भी स्वीकार किया है कि इस सब वेरिएंट पर होने वाले म्यूटेशन को देखा जाना चाहिए.

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क्या BA.2.75 वैक्सीन के असर से बच सकता है?

शुरुआती सबूतों के आधार पर विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं.

ओमिक्रॉन और इसके सब-वेरिएंटों को वैक्सीन और पिछले संक्रमण से मिली इम्यूनिटी से बच निकलने के लिए जाना जाता है.

अमेरिका में प्रोटीन और वायरस के मोलेक्युलर एवोलूशन का अध्ययन करने वाली एक प्रयोगशाला, ब्लूम लैब, के अनुसार, "BA.4/5 के समान ही BA.2.75 में भी वर्तमान वैक्सीनों से मिलने वाली एंटीबॉडी से बच निकलने की क्षमता रखता है.

क्या BA.2.75 अगला डॉमिनंट COVID वेरिएंट होगा?

अपने ट्विटर थ्रेड में, डॉ शे फ्लेशॉन ने कहा कि ऐसा कहना जल्दबाजी होगी. "लेकिन," उन्होंने यह भी कहा कि BA.2.75 पर नजर रखनी चाहिए, "क्योंकि यह आने वाले ट्रेंड का संकेत दे सकता है."

क्या यह एक वेरिएंट ऑफ कंसर्न है?

जबकि दुनिया भर के विशेषज्ञों ने पिछले हफ्ते इस नए सब वेरिएंट पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी थी, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 6 जुलाई को इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया.

WHO की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि 'अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है.'

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि WHO दुनिया भर के डेटा को करीब से देख रहा है.

"किसी भी समय, अगर कोई वायरस सामने आता है, जो पिछले वायरस से बहुत अलग दिखता है, जो चिंता का एक अलग प्रकार कहा जाने के लिए पर्याप्त है, तो समिति ऐसा करेगी."
सौम्या स्वामीनाथन, डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक

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Published: 04 Jul 2022,07:05 PM IST

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