ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंगलवार, 28 जून को 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए भारत के पहले mRNA COVID वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी.
जेमकोवैक-19 नामक mRNA वैक्सीन पुणे में जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित किया जा रहा है.
वैक्सीन के जुलाई 2022 तक निजी बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है.
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एण्ड इन्डस्ट्रीयल रिसर्च (CSIR), अटल इनक्यूबेशन सेंटर और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने भी मई 2022 में एक mRNA वैक्सीन पेश किया था, जिसे SARS-CoV-2 और COVID-19 से लड़ने के लिए भारत की पहली स्वदेशी mRNa वैक्सीन के रूप में पेश किया गया था.
यहां आपको वो सब कुछ बताया गया है, जो आपको भारत के mRNA COVID-19 टीकों के बारे में जानने की जरूरत है.
mRNA वैक्सीन क्या है?
एक mRNA (मेसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड) टीका एक जीव से निकाल कर मॉडिफाई किया गया RNA है, जिसे उस विशिष्ट (specific) वायरस इम्यूनिटी जगाने के लिए मरीज के शरीर में डाला जाता है. यह मानव शरीर को वायरस से लड़ने का तरीका सीखाने के लिए वायरस के अंदर के प्रोटीन का उपयोग करता है.
mRNA वैक्सीन कैसे काम करता है?
mRNA टीके संक्रमित होने से पहले ही वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को तैयार कर लेते हैं. एक बार मानव शरीर में पेश किए जाने के बाद, mRNA टीके एक खास प्रकार की प्रतिक्रिया और सेल्स को सक्रिय करते हैं, जो शरीर को मजबूत एंटीबॉडी बनाने में मदद करते हैं.
भारत की स्वदेशी mRNA वैक्सीन जनता के लिए कब उपलब्ध होगी?
रिपोर्टों में कहा गया है कि जेनोवा के एमआरएनए वैक्सीन की लगभग 70 लाख खुराक को पहले ही मंजूरी दे दी गई है और जुलाई 2022 से लोगों के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है.
वैक्सीन निजी बाजार में उपलब्ध होगी. जहां तक सरकारी COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की बात है, अभी इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.
अटल इनक्यूबेशन सेंटर के CEO डॉ. एन मधुसूदन राव के अनुसार, हैदराबाद में AIC-CCMB द्वारा विकसित किये जा रहे वैक्सीन की ऐनिमल टेस्टिंग अभी बाकी है और शायद वह जल्द ही परिणाम की रिपोर्ट दे सकता है.
वैक्सीन विकास में सबसे आगे कौन है?
दो टीमें अभी भारत में mRNA वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे हैं - पहली है जेनोवा फार्मास्युटिकल्स, जिसे मंगलवार, 29 जून को DCGI की मंजूरी मिली.
दूसरे टीके का निर्माण काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एण्ड इन्डस्ट्रीयल रिसर्च (CSIR) के साथ मिलकर अटल इनक्यूबेशन सेंटर-CCMB (AIC-CCMB) के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया जा रहा है.
क्या वैक्सीन का परीक्षण किया गया है?
AIC-CCMB के टीके के बारे में, प्रोजेक्ट के एक वैज्ञानिक डॉ राजेश अय्यर ने इंडिया टुडे को बताया कि प्रयोगशाला परीक्षणों में वैक्सीन ने चूहों पर SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ अच्छी इम्यून सिस्टम रिस्पांस दिखाई.
यह टीके की दो खुराक के बाद देखा गया था. इसके अलावा, अध्ययन से पता चला है कि वैक्सीन द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी मानव ACE 2 रिसेप्टर को वायरस के साथ बाइन्ड होने से रोकने में 90% से अधिक प्रभावी थे.
जेनोवा की वेबसाइट पर बताया गया है कि टीके का परीक्षण किया गया है और तीसरे चरण के परिणामों की प्रतीक्षा की जा रही है.
दूसरे टीकों की तुलना में इस टीके के क्या लाभ हैं?
AIC-CCMB टीम के अनुसार, उनके mRNA वैक्सीन की स्वदेशी प्रकृति के साथ-साथ प्री-क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम बताते हैं कि इस वैक्सीन तकनीक को अन्य संक्रामक रोगों के लिए वैक्सीन बनाने के लिए दोहराया जा सकता है.
जेनोवा का दावा है कि उनके टीके को शून्य से कम तापमान पर स्टोर करने की आवश्यकता नहीं होगी, जो भारत में इसके रोल-आउट को बहुत आसान बना सकता है.
AIC-CCMB टीम के अनुसार, mRNA तकनीक में क्विक-टर्नअराउंड और लार्ज-स्केल रेप्लिकेशन संभव है. इसका मतलब यह है कि तकनीक और प्रक्रिया का इस्तेमाल न केवल COVID-19 बल्कि TB, मलेरिया और डेंगू जैसी अन्य बीमारियों से बचने के लिए भी किया जा सकता है.
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