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कोरोना योद्धाओं को मिली 1 करोड़ की मदद, अपनों को याद कर आज भी रोता है परिवार

परिवार के सदस्य को खोने की पीड़ा असहनीय होती है, पर सहायता राशि से जीवन के कष्ट कुछ कम हो जाते हैं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>एलएनजेपी के&nbsp;कोरोना योद्धा स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल के परिवार को मिला 1 करोड़ का चेक&nbsp;</p></div>
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एलएनजेपी के कोरोना योद्धा स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल के परिवार को मिला 1 करोड़ का चेक 

(फोटो: मीनल अग्रवाल/फिट)

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दिल्ली सरकार की तरफ से बीते दिनों कुछ "कोरोना योद्धाओं (Covid warriors)" को सहायता राशि मिली . दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी/LNJP) अस्पताल में नर्सिंग अधिकारी के पद पर तैनात रहे स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल (Late Rajkumar Agrawal) के परिवार और नर्सिंग अधिकारी स्वर्गीय चिन्नी चिंग ( Late Chinnie Ching) के परिवार को 1-1 करोड़ की सहायता राशि का चेक दिया.

वहीं जीटीबी (GTB) अस्पताल में ‘परचेज सुपरवाइजर’ पद पर रहे स्वर्गीय अजय कुमार( Late Ajay Kumar) के परिवार को भी दिल्ली सरकार की तरफ से 1 करोड़ का चेक सौंपा. फिट हिंदी से अपने मन की बात कहते हुए मीनल अग्रवाल रो पड़ीं.

“मुझे कुछ दिनों पहले दिल्ली सरकार की तरफ से 1 करोड़ (1 crore) रुपए का चेक मिला है. सरकार की तरह से मिली सहायता राशि मेरे दोनों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और भविष्य के लिए है. मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं, नौकरी करना चाहती हूं. शायद तब मैं मानसिक तौर पर अपने दुःख से कुछ हद तक उबर पाऊंगी”, .
मीनल अग्रवाल

मीनल अग्रवाल, एलएनजेपी (LNJP) अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ (nursing staff) रह चुके स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल (Late Rajkumar Agrawal) की पत्नी हैं. कुछ दिनों पहले ही Delta वेव के प्रकोप पर फिट हिंदी ने एक लेख छापा था, जिसमें उनकी आपबीती भी थी.

दिल्ली के एलएनजेपी (LNJP) अस्पताल में 10 सालों तक बतौर नर्सिंग स्टाफ काम कर चुके स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल (Late Rajkumar Agrawal) COVID संक्रमित हो, Delta वेव में गुजर गए थे.

स्वर्गीय राजकुमार अग्रवाल कोरोना वॉर्ड (covid ward) में ड्यूटी कर रहे थे. कुछ दिनों बाद वो कोविड पॉजिटिव हो गए और 29 अप्रैल 2021 की सुबह में उन्होंने आखरी सांस ली. वो घर में कमाने वाले इकलौते सदस्य थे. मीनल जी ने बताया कि पैसे की किल्लत ने बच्चों को स्कूल से हटाने पर मजबूर कर दिया था, पर अब वो जल्द से जल्द अपने बच्चों का स्कूल में दोबारा दाखिला कराएंगी.

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“ अब मेरे दोनों बच्चे फिर से स्कूल जाएंगे और पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खेड़े होंगे. अपने और अपने बच्चों के लिए मैंने नौकरी करने का फैसला किया है, ताकि जीवन में आगे आने वाली चुनौतियों का मैं डट कर सामना कर सकूं. मैं टीचर बनना चाहती हूं और उसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है”.
मीनल अग्रवाल

बीते दो वर्षों में हर दिन भारतवासियों की कोरोनावायरस (coronavirus) से जंग चल रही है. उस जंग में हमारे देश के नर्सिंग स्टाफ (nursing staff) चेहरे पर मास्क लगा, हाथों में दस्ताने पहन, सीना तान कर खड़े रहे हैं. इनकी सेवा-भावना और दृढ़ निश्चय ने देश के कई परिवारों में गम का माहौल नहीं बनने दिया.

फिर से देश में कोविड संक्रमण की संख्या में वृद्धि हो रही है, पर इस बार हालात पहले जितने खराब नहीं हैं. लेकिन नर्सिंग स्टाफ के लिए 2 वर्षों से ज्यादा समय से लगातार कोविड वार्ड (covid ward) में काम करना, न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक पीड़ा का भी बड़ा कारण बनता जा रहा है. जहां एक ओर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर इसका असर हो रहा है वही दूसरी ओर तनाव, दुःख और हर समय कोविड संक्रमित होने का डर उन्हें मानसिक रूप से परेशान करता है.
"सभी ने ऐसे कठिन समय पर मेरा साथ दिया. परिवार, हॉस्पिटल, सरकार और मीडिया के सभी लोगों से मैं धन्यवाद कहना चाहती हूं".
मीनल अग्रवाल

“सरकार ने जैसे मेरी मदद की है, वैसे ही कोविड के कारण अपनों को खो चुके दूसरे कोविड वॉरियर्स (covid warriors) के परिवारों की पीड़ा सरकार जल्द दूर करे, ताकि उनके बच्चों का भी भविष्य बन सके. समय पर मिली मदद ही काम आती है. मैं जानती हूं परिवार के सदस्य को खोने का दुःख कैसा होता है. वो पीड़ा असहनीय होती है, पर सहायता राशि मिलने से जीवन के कष्ट कुछ कम हो जाते हैं” ये कहते हुए मीनल अग्रवाल ने अपनी बात खत्म कर दी.

अभी भी देश में ऐसे कई कोविड वॉरियर (covid warrior) के परिवार वाले हैं, जो सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं. उम्मीद है, उनकी आस के टूटने से पहले सरकार कोविड वॉरियर्स (covid warriors) के परिवारों के प्रति अपने फर्ज को पूरा करेगी.

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