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देश में बढ़ते कोविड के मामलों ने फिर से लोगों में डर का माहौल बनाना शुरू कर दिया है. खास कर उन लोगों में जिन्हें या जिनके परिवार के सदस्य को कोविड के हर वेव के साथ कोविड होता आया है. जी हां, ऐसे कई लोग हैं, जो इस डर में पिछले 2 वर्षों से जी रहे हैं.
कोरोना वायरस सब के लिए एक जैसा नहीं रहा है. हमारे आसपास ऐसे कई लोग हैं, जो कोविड से पहले वाले अपने जीवन में लौट ही नहीं पाए हैं. ऐसे लोगों के लिए कोविड नियमों का पालन करते हुए भी बार-बार कोविड संक्रमित हो जाना, भय का कारण बन चुका है.
फिट हिंदी ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात कर की और साथ ही उनके पूछे कुछ सवालों के जवाब विशेषज्ञों से जानने की कोशिश की.
“मुझे पहली बार कोविड DELTA वेव में यानी कोविड की दूसरी वेव में हुआ. बार-बार RT PCR टेस्ट नेगेटिव आ रहा था, पर लक्षण सारे कोविड के ही थे. हॉस्पिटल जाने की नौबत नहीं आयी पर लक्षण महीनों तक बने रहे, शायद इसे ही Long Covid कहते हैं. बाद में एंटी बॉडी टेस्ट से पता चला मुझे कोविड हुआ था” ये कहना है, नासिक में रहने वाले उत्कर्ष पाटिल का.
उत्कर्ष बताते हैं कि Delta वेव में जब उन्हें कोविड हुआ तो उनकी पत्नी भी संक्रमित हुई, पर घर में साथ रहने वाली 65 वर्षीय मां बची रहीं.
उत्कर्ष दोबारा फरवरी में OMICRON से संक्रमित हुए और इस बार उनके साथ-साथ परिवार के सभी सदस्य यानी बच्चे भी भी संक्रमित हुए.
वहीं गुरुग्राम में रहने वाली मृदुल जुनेजा बताती हैं,
मृदु आगे कहती हैं कि उनका और उनके बेटे का दोबारा कोविड से सामना, OMICRON वेव में हुआ. इस बार लक्षण पिछली बार जितने गंभीर नहीं थे.
“DELTA वेव में परिवार का कोई भी सदस्य वैक्सीनेटेड नहीं था और हम सभी साथ रह रहे थे, पर कोविड हम में से किसी-किसी को ही हुआ. वहीं OMICRON में वैक्सीनेटेड होते हुए भी हम सभी संक्रमित हो गए. समझ नहीं आता कोविड का ये खेल. क्या आपको लगता है वैक्सीन काम करती है?” इस सवाल को पूछने वाली हैं, रांची की सुधा जो बूस्टर डोस लेने से पहले उसके प्रभाव और साइड इफेक्ट के बारे में जानने का प्रयास कर रही हैं.
फिट हिंदी ने सुधा के इस सवाल का जवाब एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल में इन्फेक्शस डिजीज की कन्सल्टंट डॉ. अंकिता बैद्य से पूछा तो उनका जवाब था, “ये सच है कि हम कोविड वैक्सीन की 2 शॉट्स और बूस्टर डोस लगे हुए लोगों में भी कोविड इन्फेक्शन देख रहे हैं. यहां हमें यह समझना चाहिए कि किसी भी वैक्सीन का प्रभाव 100% नहीं होता है. मान लें अगर 100 लोगों को वैक्सीन लगती है, तो जरुरी नहीं कि 100 में से 100 लोगों पर वैक्सीन एक जैसी या 100% काम करे”.
जेएनयू में मौलेक्युलर मेडिसिन के हेड, प्रो.गोवर्धन दास ने फिट हिंदी से अपने एक इंटर्व्यू में कहा, "किस आधार पर बूस्टर डोस प्रोग्राम शुरू हुआ है? मेरी समझ से अभी तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, जिससे ये पता चल सके कि हम भारतीयों को बूस्टर खुराक की जरुरत है. दूसरी बात, क्या पहली और दूसरी कोविड वैक्सीन डोस लेने के बाद हमें पता है कि हमारे शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ कितनी इम्यूनिटी बनी है? इसका जवाब भी नहीं है किसी के पास. आधार क्या है बूस्टर डोस का”?
नासिक के उत्कर्ष को कुछ दिनों पहले तीसरी बार कोविड हुआ. Covid के लक्षण उनसे पहले उनकी 9 साल की बेटी में दिखने शुरू हुए थे. कुछ ही दिनों में दोनों स्वस्थ हो गए, पर उत्कर्ष के मन में Covid का भय घर कर चुका है.
उत्कर्ष कहते हैं, “मुझे 3 बार Covid हो चुका है, क्या बार-बार कोविड होने का कारण मेरी इम्यूनिटी का खराब होना है?” इस सवाल पर गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल में इंटर्नल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. तुषार तायल ने कहा,
वहीं एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल की डॉ. अंकिता बैद्य ने कहा, “इसके पीछे खराब इम्यूनिटी हो सकती है, पर अगर किसी में रिस्क फैक्टर है यानी कि अगर कोई गंभीर बीमारी से जूझ रहा है ,तो उन्हें कोविड इन्फेक्शन का खतरा औरों के मुकाबले ज्यादा है. साथ ही साथ वायरस जो म्यूटेट कर रहा है तो उसमें बदलाव आ रहे हैं, वो भी वैक्सीन की इम्यूनिटी या पहले से बनी कोविड के खिलाफ एंटी बॉडी को नाकाम कर सकता है, इन्फेक्शन का कारण बन सकता है. यहां याद रखें कि अगर व्यक्ति के अंदर इम्यूनिटी है या आप वैक्सीनेटेड हैं, तो इन्फेक्शन के गंभीर होने का खतरा बहुत कम हो जाता है.”
दोनों डॉक्टरों ने कहा कि कोविड का वायरस म्यूटेट करता रहता है और उसके नए-नए स्ट्रेन आते रहते हैं. कुछ स्ट्रेन ऐसे हो सकते हैं, जिनके खिलाफ वैक्सीन की इम्यूनिटी पूरी तरह से बचाव नहीं कर पाती है. पर, ऐसा जरुर होता है कि वैक्सीन की इम्यूनिटी ज्यादातर मामलों में गंभीर बीमारी से बचा लेती है .
डॉक्टर अंकिता बैद्य कहती हैं, “कोविड वैक्सीन एंटी बॉडी बनाता है और साथ ही साथ मेमरी टी सेल रेस्पॉन्स भी देता है. इससे क्या होता है कि अगर व्यक्ति को कोविड का इन्फेक्शन या व्यक्ति कोविड वायरस के सम्पर्क में आता है तो बॉडी जल्दी नैचरल तरीके से एंटी बॉडी बनाती है और वायरस के असर को जल्दी खत्म करती है. इसका फायदा यह है कि व्यक्ति को लंबे समय तक बीमार पड़ने से बचाती है और दूसरा वायरस के लोड को कम करती है, जिससे व्यक्ति गंभीर बीमारी का शिकार होने से बच जाता है”.
“वैक्सीन के प्रभाव को ले कर हमारे देश में लगातार स्टडीज चल रही है. हमारे सामने जो डेटा आए हैं, उसमें गंभीर कोविड से बचाव पर, वैक्सीन लगभग 80-85 % प्रभावी है. कोविड इन्फेक्शन को रोकने में वैक्सीन भले ही कारगर साबित न हो, पर गंभीर कोविड के मामलों को रोकने में यह प्रभावकारी है.”
इस पर प्रो.गोवर्धन दास का कहना है,
“ कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण मैंने अभी तक कोई भी गंभीर समस्या नहीं देखी है. माइल्ड साइड इफेक्ट ही देखने को मिले, जो 2-3 दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं” ये कहना है डॉ अंकिता बैद्य का.
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