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लड़का या लड़की: क्या निर्धारित करता है शिशु का लिंग? स्त्री रोग विशेषज्ञ से जानें

साइंस इतना सीधा होने के बावजूद, महिलाओं को अक्सर बच्चे के लिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.

अनुष्का राजेश
फिट
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<div class="paragraphs"><p><strong>क्या बच्चे के लिंग को प्रभावित करना संभव है?</strong></p></div>
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क्या बच्चे के लिंग को प्रभावित करना संभव है?

(फोटो: विभूषिता सिंह/फिट हिंदी)

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8 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दहेज हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाओं को अभी भी लड़कियों को जन्म देने के लिए पतियों और उनके परिवारों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने फैसले में कहा, "बेटियों को जन्म देने के कारण उत्पीड़न, परेशान करने, आत्महत्या और दहेज हत्या के कई मामले देखने के बाद यह अदालत यह मानने के लिए बाध्य है कि ऐसे लोगों को समझाने की आवश्यकता है कि यह उनका बेटा है, न कि उनकी बहू जिसके क्रोमोजोम यह निर्धारित करेंगे कि मिलन के माध्यम से बेटी का जन्म होगा या बेटे का."

उन्होंने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई लोग अभी भी बच्चे के लिंग निर्धारण से जुड़े जेनेटिक साइंस के बारे में नहीं जानते हैं.

फिट से बात करते हुए, प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ नोज़र शेरियार ने साइंस के बारे में बताया.

रीप्रोडक्टिव हेल्थ 101: शिशु का लिंग कैसे निर्धारित होता है?

डॉ. नोज़र शेरियार का कहना है कि जब लिंग की बात आती है, तो भ्रूण की जेनेटिक्स पुरुषों से प्रभावित होती है, लेकिन सोच-समझ (consciously) कर नहीं.

वह कहते हैं, "हम सभी में 46 क्रोमोसोम होते हैं, 23 जोड़े होते हैं, उनमें से एक जोड़ा सेक्स क्रोमोसोम कहलाता है, जो हमें जेनेटिक रूप से पुरुष या महिला बनाता है."

"तो एक महिला के पास दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं, वह बस अपने भ्रूण को एक एक्स क्रोमोसोम दे सकती है. अंतर पुरुष से आता है, जिसे एक एक्स क्रोमोसोम और एक वाई क्रोमोसोम मिला है."
डॉ. नोज़र शेरियार

वह बताते हैं कि भ्रूण का लिंग इस पर निर्भर करता है कि स्पर्म एक्स क्रोमोसोम युक्त स्पर्म है या वाई क्रोमोसोम युक्त स्पर्म. लेकिन हां, इसका अंत क्या होगा, यह पुरुष साथी के कंट्रोल में भी नहीं है.

फिर क्यों महिला को अभी भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है?

साइंस इतना सीधा होने के बावजूद, महिलाओं को अक्सर बच्चे के लिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जो गंभीर मामलों में शारीरिक नुकसान का भी कारण बनता है.

डॉ. शेरियार कहते हैं, "दुर्भाग्य से जब रीप्रोडक्टिव हेल्थ में दोष, शर्म, खर्च की बात आती है, तो महिलाएं कई चीजों की जिम्मेदारी का बोझ उठाती हैं."

उनके अनुसार, न्यायमूर्ति शर्मा का बयान "मुझे लगता है कि यह एक नई शुरुआत का बेहतरीन मौका है इस बारे में बातचीत करने की कि जिम्मेदारी किसको लेनी चाहिए. "

"मुझे ऐसा लगता है कि जिम्मेदारी किसी को भी लेने की जरूरत नहीं है और अगर लेनी है, तो यह दोनों को बराबर लेनी चाहिए. यह निष्पक्ष होना चाहिए और इसका बोझ कभी भी दोनों में से सिर्फ एक का नहीं होना चाहिए."
डॉ. नोज़र शेरियार
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क्या बच्चे के लिंग को प्रभावित करना संभव है?

हमारे देश में PCPND (प्री-कन्सेप्शन एण्ड प्री-नेटल डाइअग्नास्टिक तकनीक) एक्ट ने इसे प्रभावित करने के प्रयास को, इसके बारे में पूछने तक को गैरकानूनी बना दिया है, जो बहुत अच्छी बात है.

लेकिन, डॉ. शेरियार कहते हैं, "लोग तब भी लगातार कोशिश कर रहे हैं सभी प्रकार की चीजें चाहे वे कितनी भी अजीब क्यों न हों".

"आहार से लेकर चीनी कैलेंडर और यहां तक कि कुछ वास्तव में अजीब उपचार और इनमें से कोई भी वास्तव में काम नहीं करता है."
डॉ. नोज़र शेरियार

उन्होंने आगे कहा, "कुछ लोग ऐसे मौके का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं जब इंसान वल्नरेबल होता है. उन्हें एसिडिक या एल्कलाइन डाइट या वैजिनल एनवायरनमेंट जैसे उपचार बेचने की कोशिश करते हैं. सबको जान लेना चाहिए कि इनमें से कुछ भी काम नहीं करता.

डॉ. शेरियार के अनुसार, "जब एक कपल प्रेगनेंसी चाहते हैं ताकि उनका बच्चा हो सके तो उन्हें बस यही प्रार्थना करनी चाहिए कि सब ठीक रहे कोई परेशानी न हो और उनका बच्चे स्वस्थ पैदा हो".

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