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Erectile Dysfunction In Youth: इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) या आम बोलचाल की भाषा में कहें तो नपुंसकता की समस्या अब केवल बुजुर्गों में नहीं देखी जा रही है. एक्सपर्ट्स के अनुसार ये प्रॉब्लम युवाओं में बढ़ती जा रही है, खास कर कोविड महामारी के बाद. इरेक्टाइल डिसफंक्शन का असर न सिर्फ जोड़ों के रिश्तों पर पड़ता है बल्कि इसके शिकार युवा डिप्रेशन के चंगुल में भी फंसते चले जाते हैं.
क्यों हो रहे हैं युवा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शिकार? क्या हैं लक्षण? क्या है इलाज और बचाव के असरदार उपाय? आइए जानते हैं सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट्स से.
वहीं सेक्सोलॉजिस्ट, डॉ अंजलिका आत्रेय कहती हैं, "युवाओं में बढ़ रहे इरेक्टाइल डिसफंक्शन के मामले बढ़ने के पीछे बहुत सारे कारण हैं. हमारा लाइफस्टाइल बदल चुका है. सारी चीजें ऑनलाइन हो चुकी हैं, शरीर के संचालन की लय (operating rhythm) बनाए रखने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं करते".
यहां कुछ कारण बताए जा रहे हैं, जो आज के युवाओं में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) की समस्या बढ़ाने के पीछे हैं:
लाइफस्टाइल: युवाओं की जीवनशैली के नकारात्मक पहलुओं में शामिल हैं- शारीरिक गतिविधियों का अभाव, अनहेल्दी खाना-पीना और स्ट्रेस भरा जीवन. एक स्टडी के अनुसार अनहेल्दी लाइफस्टाइल का नाता इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) से पाया गया है. उन लोगों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) की समस्या ज्यादा होती है, जो स्मोक करते हैं, ओवरवेट हैं और जिनकी शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हैं. स्लीपिंग पैटर्न का मानसिक और शारीरिक सेहत पर काफी प्रभाव पड़ता है. ऑफिस शिफ्ट का भी नींद की क्वालिटी पर असर पड़ता है. अच्छी नींद न लेने की वजह से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन की जरूरत से कम मात्रा बनती है और इरेक्शन में समस्या जैसी दिक्कतें आ सकती हैं.
टेक्नोलॉजी का इस्तेमालः स्मार्टफोन, लैपटॉप जैसी टेक्नोलॉजी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल शारीरिक गतिविधियों में कमी ला रहा है और निष्क्रिय व्यवहार में बढ़ोतरी कर रहा है. निष्क्रिय जीवनशैली ED का प्रमुख जोखिम कारक है.
भावनात्मक और मानसिक तनावः युवाओं पर अपने करियर और निजी जीवन में कामयाब होने का बहुत दबाव होता है, जिससे उन्हें तनाव और एंजाइटी रहती है. कम उम्र से लोग डेटिंग एप्लिकेशन का उपयोग करने लगते हैं, जिसकी वजह से लगातार हुकअप, बहुत जल्दी जुड़ाव, बार-बार ब्रेकअप, असुरक्षित यौन संबंध, एसटीडी के संपर्क में आना और अलगाव की समस्या का सामना करना पड़ता है. भावनात्मक दबाव सेक्सुअल सेहत पर बुरा असर डालता है, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो जाती है. जरूरत से ज्यादा सोचना, वेपिंग की लत, धूम्रपान, शराब, ड्रग्स की लत का भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन से संबंध होता है.
पोर्नोग्राफी की लतः पोर्नोग्राफी का अधिक इस्तेमाल भी युवाओं में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) का अहम जोखिम कारक बन जाता है. इसकी वजह से उनके मन में सेक्स को लेकर अवास्तविक अपेक्षाएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिनके कारण एंजाइटी और डिप्रेशन होने लगता है और इसका नतीजा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के रूप में सामने आता है.
डॉ. चिराग भंडारी कहते हैं, "डिप्रेशन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) कई तरह से आपस में जुड़े हुए हैं. डिप्रेशन ED का कारण बन सकता है और इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने की वजह से डिप्रेशन के लक्षण और ज्यादा खराब हो सकते हैं".
डिप्रेशन और ED कुछ इस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं:
साइकोलॉजिकल फैक्टर: डिप्रेशन के चलते सेक्स में रुचि घटती है. सेक्सुअल उत्तेजना पर प्रतिक्रिया करने की दिमाग की क्षमता पर इसका साइड इफेक्ट होता है.
फिजिकल फैक्टर: डिप्रेशन से शरीर में फिजिकल चेंज हो सकते हैं, जैसे हार्मोन स्तर में बदलाव, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) की समस्या हो सकती है.
दवाओं के साइड इफेक्ट: डिप्रेशन का उपचार करने वाली कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के तौर पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) हो सकता है.
दोनों समस्याएं साथ-साथः डिप्रेशन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) अक्सर साथ-साथ उभर सकते हैं. जिन पुरुषों को डिप्रेशन है उन्हें इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) होने की अधिक आशंका रहती है.
निगेटिव फीडबैक लूपः इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) की उपस्थिति डिप्रेशन के लक्षणों को बदतर कर सकती है, जिससे एक विशियस सर्किल (vicious circle) बन जाता है, जहां एक स्थिति दूसरी स्थिति को और अधिक बिगाड़ती जाती है.
गौरतलब है कि नपुंसकता के सभी मामलों का रिश्ता डिप्रेशन से नहीं होता और डिप्रेशन के सभी मामले ED की वजह नहीं बनते हैं. अगर आपको डिप्रेशन या ED के लक्षणों का अनुभव हो रहा है, तो यह आवश्यक है कि आप डॉक्टर से बात करें. डॉक्टर आपको लक्षणों की वजह तय करने में मदद कर सकते हैं और इलाज के उपयुक्त विकल्प बता सकते हैं.
आपको एक मनोचिकित्सक और एक सेक्सोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. जब आपको लगता है कि आपकी सेक्सुअल परफॉर्मेंस पर इसका बुरा असर पड़ रहा हो, जब बॉडी इमेज से जुड़े मुद्दे हों, जो आपके सेक्सुअल कॉन्फिडेंस में दखल दे रहे हों या साइज से जुड़े मुद्दे हों. इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शुरुआती संकेत दिखते ही मदद लेनी चाहिए ताकि उसकी वजह पता की जा सके और इलाज के विकल्पों पर विचार किया जा सके.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन किसी छुपी हुई मेडिकल स्थिति का लक्षण हो सकता है, जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज, टेस्टोस्टेरॉन का निम्न स्तर. ऐसे में समय पर डॉक्टर की सलाह लेना अच्छा होता है.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी नपुंसकता का इलाज इस पर निर्भर करता है कि उसके पीछे वजह क्या है और स्थिति कितनी गंभीर है. इसके कुछ आम उपचार जो उपलब्ध हैं, वे हैं:
लाइफस्टाइल में बदलावः अधिकांश मामलों में लाइफस्टाइल में बदलाव से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या में सुधार हो जाता है, जैसे नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार खाना, स्मोकिंग छोड़ना, शराब का सेवन घटाना.
दवाएं: अक्सर इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं, जैसे सिल्डेनाफिल (वायाग्रा), टेडलाफिल (सियालिस) और वरडेनाफिल (लेविट्रा). ये दवाएं लिंग में खून का प्रवाह बढ़ाती हैं, जिससे इरेक्शन हासिल होता है और बरकरार रहता है.
वैक्यूम पम्पः यह उपकरण लिंग के इर्दगिर्द वैक्यूम बनाता है, जिससे लिंग की ओर खून का प्रवाह बढ़ता है और इरेक्शन हो पाता है. कॉन्ट्रिक्शन रिंग को लिंग के आधार पर लगाया जाता है, जिससे इरेक्शन बनाए रखने में मदद मिलती है.
इंजेक्शनः इस थेरपी में दवा को इंजेक्शन के जरिए सीधे लिंग में पहुंचाया जाता है, इससे ब्लड फ्लो में सुधार होता है और इरेक्शन हासिल हो पाता है.
सर्जरीः रेयर मामलों में, इरेक्टाइल डिसफंक्शन की वजह बन रही लिंग की ब्लड वेसल्स की मरम्मत या उन्हें बदलने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.
यह जरूरी नहीं कि कुछ उपचार इरेक्टाइल डिसफंक्शन से ग्रस्त सभी पुरुषों के लिए उपयुक्त हों. किसी भी रोगी के लिए सबसे बढ़िया इलाज उस व्यक्ति की समस्या पर निर्भर करेगा.
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