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Glaucoma: क्या लाइफस्टाइल में बदलाव से ग्लूकोमा को रोकने में मदद मिल सकती है?

Glaucoma Awareness Month: ग्‍लूकोमा यानी काला मोतियाबिंद का फिलहाल कोई इलाज नहीं, लेकिन इससे बचने के तरीके हैं

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>ग्लूकोमा (Glaucoma), जिसे अक्सर काला मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है.</p></div>
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ग्लूकोमा (Glaucoma), जिसे अक्सर काला मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है.

(फोटो:iStock)

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Glaucoma Awareness Month: ग्लूकोमा (Glaucoma) को अक्सर काला मोतियाबिंद के नाम से जाना जाता है. यह आंखों की एक ऐसी बीमारी है, जो दुनिया भर में अंधेपन का प्रमुख कारण है. इसके प्रमुख लक्षणों में आंखों के अंदर के प्रेशर में बढ़ोतरी और आंखों की देखने की ताकत में कमी शामिल है.

दुनियाभर में 50 से 60 मिलियन लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं. इनमें से 12 मिलियन लोग सिर्फ भारत में हैं.

ग्लूकोमा रोग की पहचान कैसे करें? ग्लूकोमा से बचाव के लिए क्या करें? क्या लाइफस्टाइल में बदलाव से ग्लूकोमा को रोकने में मदद मिल सकती है? इन सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

ग्लूकोमा (Glaucoma) किसे कहते है?

यह एक साइलेंट डिजीज है यानी शुरुआत में ग्लूकोमा का कोई लक्षण सामने नहीं आता है. ग्लूकोमा का पता तब चल पाता है, जब स्थिति गंभीर रूप ले लेती है. यह आंखों में होने वाली काफी आम बीमारी है. अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक अहम कारण ग्लूकोमा भी है. ग्लूकोमा को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि आंखों में एक नर्व होती है, जो आंख और दिमाग के बीच एक कनेक्शन का काम करती है. इसकी वजह से ही आंख जो भी चीज देखती है, उसकी इमेज दिमाग में बनती है.

लेकिन, जब ग्लूकोमा की शिकायत होती है, तो इस ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच जाता है और इससे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है.

कैसे करें ग्लूकोमा की पहचान?

ग्लूकोमा के एक प्रकार, जिसे 'ओपन-एंगल ग्लूकोमा' कहा जाता है, से पीड़ित कई लोगों में कोई ध्यान देने लायक लक्षण नहीं होते हैं, इसलिए इस बीमारी का शुरुआती चरण में पता लगाने के लिए नियमित आंखों की जांच कराना बहुत जरुरी है.

"हालांकि रोग के बढ़ने के साथ आंखों में कई प्रकार की समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं, जिसपर गंभीरता से ध्यान दिया जाना और इलाज कराना आवश्यक हो जाता है."
डॉ. विनीत सहगल, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

एक्सपर्ट्स के अनुसार, ये लक्षण ग्लूकोमा के भी हो सकते हैं:

  • आंखों में दर्द या दबाव होते रहना

  • आंखों में दर्द के साथ सिरदर्द की समस्या

  • रोशनी के चारों ओर इंद्रधनुषी रंग नजर आना

  • कम या धुंधली दृष्टि की समस्या होना

  • आंखों में अक्सर लालिमा की समस्या बने रहना

नियमित आंखों की जांच, संतुलित आहार और ऐक्टिव लाइफस्टाइल इसकी रोकथाम में सहायक हो सकते हैं.
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क्या लाइफस्टाइल में बदलाव से ग्लूकोमा को रोकने में मदद मिल सकती है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ग्लूकोमा से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या लाइफस्टाइल में बदलाव करके ग्लूकोमा की रोकथाम संभव है.

दिल्ली के भारती आई हॉस्पिटल के सीनियर ऑप्थलमोलॉजिस्ट डॉ. भूपेश सिंह

"ग्लूकोमा की रोकथाम में लाइफस्टाइल में बदलाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. यह बीमारी, जो अक्सर 'साइलेंट डिजीज' के रूप में जानी जाती है, अपने शुरुआती चरणों में लक्षणों के बिना ही विकसित हो जाती है, इसलिए सावधानी और पहले से सतर्क रहना जरूरी है."
  • लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए सबसे पहले संतुलित आहार (balanced diet) का महत्व समझना चाहिए. आंखों के लिए जरुरी पोषक तत्वों से भरपूर आहार जैसे कि हरी सब्जियां, ताजे फल, और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स युक्त भोजन आंखों के स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं.

संतुलित आहार जिसमें विटामिन और मिनरल्स शामिल हों, आंखों के हेल्थ को बढ़ावा देते हैं. खास कर विटामिन A, C और E और जिंक वाले फूड आंखों के लिए लाभदायक होते हैं.
  • रेगुलर एक्सरसाइज से बॉडी हेल्थ में सुधार आता है, जिससे आंखों के प्रेशर को भी कंट्रोल किया जा सकता है. एरोबिक, वॉकिंग, साइकिलिंग, योग आंखों के दबाव को कम करने में मददगार होते हैं. हालांकि, ग्लूकोमा के रोगियों को कुछ खास तरह के एक्सरसाइज जैसे भारोत्तोलन और सिर नीचे की तरफ झुका कर करने वाले योग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये आंखों के दबाव को बढ़ा सकते हैं.

  • धूम्रपान न करना, पर्याप्त नींद लेना जैसे उपाय भी ग्लूकोमा की रोकथाम में मददगार हो सकते हैं. ये सभी कारक मिलकर आंखों के हेल्थ को बेहतर बनाने और ग्लूकोमा के जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं.

  • तनाव कम करना भी ग्लूकोमा की रोकथाम में सहायक होता है. ध्यान, योग और दूसरे रिलैक्सेशन तकनीकें तनाव को कम करने और आंखों के हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करती हैं.

  • आंखों का रेगुलर चेकअप करवाना और आई एक्सपर्ट की सलाह से अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाना ग्लूकोमा के रिस्क को कम कर सकता है.

  • अधिक वजन या मोटापा भी आंखों के दबाव को बढ़ा सकता है. स्वस्थ वजन बनाए रखने से ग्लूकोमा के जोखिम को कम किया जा सकता है.

  • हाई ब्लड प्रेशर आंखों के दबाव को बढ़ा सकता है, इसलिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करवाना और इसे कंट्रोल में रखना महत्वपूर्ण है.

ये सभी उपाय मिलकर ग्लूकोमा के खिलाफ हमारी सुरक्षा की पहली पंक्ति बनाते हैं और इस बीमारी के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं.

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