ADVERTISEMENTREMOVE AD

कहीं आप ग्लूकोमा के शिकार तो नहीं, इन लक्षणों से अलर्ट हो जाएं-हो सकते हैं अंधे

ग्‍लूकोमा यानी काला मोतियाबिंद का फिलहाल कोई इलाज नहीं, लेकिन बचने का तरीका है.

Updated
फिट
4 min read
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अक्सर लोगों का मानना होता है कि अगर आंखों से साफ दिख रहा है, तो आंखें पूरी तरह ठीक हैं. लेकिन, कई बार दूसरे लक्षण भी होते हैं, जो बताते हैं कि आंखों में कोई दिक्कत है. इतना ही नहीं, ये दिक्कत ही आगे बड़ी मुसीबत बन जाती है और यहां तक कि इस वजह से लोगों को अंधेपन का सामना भी करना पड़ता है.

ऐसी ही आंख की एक बीमारी है, ग्लूकोमा (Glaucoma). ग्लूकोमा का शुरुआत में पता नहीं चलता और लोग सामान्य लक्षणों को नजर अंदाज करते रहते हैं. मगर ये बीमारी अंधेपन का कारण बन सकती है.

आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ग्लूकोमा (Glaucoma) क्या होता है, किन कारणों की वजह से होता है? साथ ही आपको बताएंगे कि वो कौन-कौन से संकेत हैं, जो बताते हैं कि आपकी आंखों में ग्लूकोमा की शिकायत हो सकती है, जिससे आप सही समय पर इसका इलाज करवा सकें.

ग्लूकोमा (Glaucoma) किसे कहते है?

ग्लूकोमा आंखों में होने वाली काफी आम बीमारी है. अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक अहम कारण ग्लूकोमा भी है. ग्लूकोमा को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि आंखों में एक नर्व होती है, जो आंख और दिमाग के बीच एक कनेक्शन का काम करती है. इसकी वजह से ही आंख जो भी चीज देखती है, उसकी इमेज दिमाग में बनती है.

लेकिन, जब ग्लूकोमा की शिकायत होती है, तो इस ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच जाता है और इससे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है.

"नर्व पर आंखों का दबाव बढ़ने की वजह से बुरा असर पड़ता है. इससे आंखें किसी भी वस्तु की इमेज बनाकर दिमाग तक नहीं भेज पाती जिस कारण हम उस वस्तु को नहीं देख पाते."
डॉ विनीत सहगल, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साइट आई हॉस्पिटल

ग्लूकोमा (Glaucoma) की पहचान कैसे करें?

"ग्लूकोमा को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसका पता शुरुआती स्टेज पर नहीं लग पाता है. दरअसल, इस बीमारी के लक्षण शुरू में नहीं दिखते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है, तब दिक्कत सामने आती है."
डॉ विनीत सहगल, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साइट आई हॉस्पिटल

जब ओपन एंगल ग्लूकोमा होता है, तो लक्षण देरी से दिखाई देते हैं, लेकिन क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा में अधिक गंभीर लक्षण होते हैं और वे अचानक सामने आते हैं. इसके लक्षण हैं:

  • आंखों में दर्द

  • सिरदर्द

  • रोशनी के चारों ओर इंद्रधनुष

  • कम दिखाई देना

  • धुंधला दिखाई देना

  • उल्टी

  • आंखों में लाली

क्यों होता है ग्लूकोमा?

"वैसे तो यह कहना मुश्किल होता है कि आखिर किस वजह से ऑप्टिक नर्व पर असर पड़ता है और आंखों पर प्रेशर कैसे बदल जाता है. वैसे इसका अहम कारण बढ़ती उम्र ही माना जाता है और इस उम्र में आंखों पर दबाव बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है. इसके साथ ही जब आंखों के ऑप्टिक नर्व में ब्लड फ्लो कम हो जाता है, तब ग्लूकोमा की दिक्कत होती है" ये कहना है डॉ विनीत सहगल का.

क्या ग्लूकोमा ठीक हो सकता है?

"ग्‍लूकोमा का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, लेकिन समय पर लक्षणों को पहचान और आंखों के स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखकर इस रोग की वजह से आंखों की रोशनी जाने से रोका जा सकता है.
डॉ मनीष शाह, सीनियर आई स्पेशलिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई
0

ग्लूकोमा से होती है ये परेशानी

ग्लूकोमा कई बार अंधेपन का कारण बनता है. ग्लूकोमा की वजह से दोनों आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिस कारण यह दिक्कत का कारण बनता है. ऐसे में एक आंख से काम चलाना भी मुश्किल हो जाता है. अगर उम्र के हिसाब से देखें तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह दिक्कत बढ़ती उम्र के साथ ही पैदा होती है.

किस उम्र में होता है ग्लूकोमा?

वैसे तो ग्लूकोमा की शिकायत किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अक्सर ये दिक्कत अधिक उम्र में देखने को मिलती है. उम्र के साथ इस बीमारी के होने के भी चांस भी बढ़ते जाते हैं.

किन लोगों को ग्‍लूकोमा होने का खतरा ज्यादा है?

"ग्‍लूकोमा का जोखिम आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होता है, या फिर वे लोग इसके शिकार ज्यादा होते हैं, जिनके परिवार में इसका इतिहास रहा हो और साथ ही जिनका इनका इंट्राऑक्‍यूलर प्रेशर ज्यादा हो" ये कहना है डॉ मनीष शाह का.

इन कारणों से भी ग्‍लूकोमा की आशंका बढ़ जाती है:

  • डायबिटीज

  • हार्ट प्रॉब्लम

  • हाई ब्लड प्रेशर

  • सिकल सेल एनीमिया

"ग्लूकोमा आपके परिवार पर भी निर्भर करता है. अगर आपके परिवार में पहले से कोई इसका मरीज है, तो आपको ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है, क्योंकि ये दिक्कत जेनेटिक भी हो सकती है. आंखों को विपरीत मौसम से बचाएं. अगर डॉक्टर ने चश्मा पहनने कहा है, तो जरुर पहने. साथ ही आंखों को साफ रखें और समय-समय पर डॉक्टर का बताया ड्रॉप आंखों में डालते रहें."
डॉ विनीत सहगल, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साइट आई हॉस्पिटल
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या हैं ग्‍लूकोमा से बचने के उपाय?

ग्लूकोमा से बचने के लिए सबसे जरुरी है कि आंखों की समय-समय पर जांच करवाते रहें. अगर आपकी उम्र 35 साल से कम है, तो सालाना चेक उप कराना भी ठीक है लेकिन 40 साल की उम्र के बाद कम टाइम पीरियड में आंखों की जांच करवाते रहे हैं. साथ ही अगर आंखों में कोई तकलीफ या बताए गए लक्षण लंबे समय तक दिखें तो डॉक्टर से संपर्क करें.

डॉ मनीष शाह ग्‍लूकोमा से बचने के उपायों के बारे में फिट हिंदी से कहते हैं, "ग्‍लूकोमा से बचाव का कोई उपचार या नुस्खा नहीं है लेकिन नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहें और आंखों की रोशनी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ उपायों का पालन करें. आंखों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ विटामिन और मिनरल्स नियमित रूप से लें जैसे कि जिंक, कॉपर, सेलेनियम और विटामिन ए, सी एवं ई, अपने डॉक्टर की सलाह लेकर आंखों का एक्सरसाइज करें".

  • कैफीन का सेवन कम करें

  • पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ लें

  • सोते समय सिर थोड़ा उठा कर रखें

  • नियमित रूप से दवाएं लेते रहें

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ खाएं

  • हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए एक्सरसाइज करें

  • डायबिटीज को कंट्रोल में रखें

  • आंखों को यूवी-ए और यूवीबी किरणों से बचाने के लिए सनग्लास का प्रयोग करें

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें