advertisement
हेयर ट्रांसप्लांट भारत में पुरुषों द्वारा कराई जाने वाली सबसे आम कॉस्मेटिक सर्जरी है. यह सबसे सुरक्षित प्रक्रियाओं में से एक है. बशर्ते इसे एक ट्रेेंड मेडिकल सर्जन द्वारा किया जाए, यह कहना है, नेशनल सेक्रेटरी ऑफ इंडिया, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स, के डॉ मनोज खन्ना का.
हेयर ट्रांसप्लांट किससे करवा सकते हैं? इसमें किन जोखिमों की संभावना है?
डॉ. खन्ना, जिन्होंने क्रिकेटर जोगिंदर शर्मा और क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले सहित कई मशहूर हस्तियों की हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी की है, फिट को इस प्रक्रिया के बारे में समझाते हैं.
हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी मूल रूप से दो तकनीकों द्वारा निर्देशित होती है, डॉ खन्ना बताते हैं-
द स्ट्रिप तकनीक: यह अधिक सुरक्षित तरीका है, जिसके लिए सर्जिकल ज्ञान की जरूरी होती है. इसमें सिर के पीछे से त्वचा की एक पट्टी हटाकर एक तरफ रख दिया जाता है और फिर स्कैल्प को तुरंत बंद कर दिया जाता है. स्ट्रिप की गई त्वचा से कई हेयर फॉलिकलों को डिसेक्ट किया जाता है और फिर उन्हें बॉल्ड एरिया के गैपों में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
फॉलिक्युलर यूनिट एक्सट्रैक्शन: यह अधिक आसान तकनीक है, जिसके लिए न्यूनतम सर्जिकल ज्ञान की आवश्यकता होती है. इस विधि में सर्जन की टीम पर्मनन्ट जोन से बालों को निकालती है और फिर डॉक्टर एक-एक करके बालों के फोलिकल को निकालते हैं.
कोई भी व्यक्ति जिसकी आयु 18 साल से अधिक है
जिसके वाइटल्स नियंत्रण में हैं - शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर
एनेस्थीसिया से कोई एलर्जी नहीं है, क्योंकि सर्जरी लोकल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है
इस साल सितंबर में नेशनल मेडिकल कमीशन ने पहली बार दिशा-निर्देश जारी किए कि हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी कौन कर सकता है? केवल एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर: जिनके पास
जिनके पास कॉस्मेटिक प्रोसीजरों में फॉर्मल सर्जिकल ट्रेनिंग है
जिनके पास डर्मेटोलॉजी में एमडी/डीएनबी है, और सर्जिकल प्रोसीजरों में पर्याप्त ट्रेनिंग है
NMC दिशानिर्देशों के अनुसार, YouTube वीडियो देखना या लैब तकनीशियन होना, किसी व्यक्ति को हेयर ट्रांसप्लांट करने के लिए योग्य नहीं बनाता है.
"यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और यह हेयर ट्रांसप्लांट को एक साधारण से खतरनाक सर्जरी में बदल सकता है. जो लोग इसे करवाने की योजना बना रहे हैं, उन्हें जागरूक होना चाहिए और आश्वस्त होना चाहिए कि वे एक ट्रेन्ड प्रोफेशनल से यह यह प्रक्रिया करवा रहे हैं," डॉ खन्ना बताते हैं.
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, इसमें नीचे दिये गये जोखिम शामिल होने की संभावना हैं:
एनेस्थीसिया के प्रति एलर्जी
अत्यधिक खून की कमी
विफल ग्राफ्ट या फ्लैप
सेप्सिस जैसा संक्रमण
सिर पर लॉस ऑफ फीलिंग
स्कार बनना
करीब 3-4 साल पहले तक हेयर ट्रांसप्लांट से लोगों की जान जाने की बात कभी नहीं सुनने को मिलती थी. पर आज कल इस क्षेत्र के रेग्युलेटेड न होने के कारण, जहां सर्जरी करने की योग्यता के बारे में कोई उचित दिशा निर्देश नहीं है, लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है.
डॉ खन्ना बताते हैं, "ये ट्रेजडी योग्य डॉक्टरों की अनुपस्थिति, उचित बुनियादी ढांचे की कमी और प्रोसीजर करने वाले लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण होती है."
यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि वे इसे कहां कर रहे हैं और अगर मरीज को सर्जरी से कोई प्रतिक्रिया होती है तो क्या वे इसे संभालने के लिए योग्य हैं.
NMC दिशानिर्देशों के अनुसार:
प्रोसीजर एक अस्पताल में होना चाहिए जिसमें मरीज के इनडोर इलाज की सुविधा हो.
एक उचित ढंग से स्थापित ऑपरेशन थियेटर होना चाहिए जिसमें सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए.
एनेस्थेटिस्ट उपलब्ध होने चाहिए.
यदि यह केवल डे केयर सर्जरी करने वाला क्लिनिक है, तो इसे उचित ICU और आपातकालीन सुविधाओं वाले अस्पताल से जुड़ा होना चाहिए.
अधिकांश हेयर ट्रांसप्लांट आउट पेशेंट सर्जरी होते हैं. इसका मतलब है कि आप उसी दिन घर वापस चले जाते हैं. हालांकि, आपकी रिकवरी की प्रक्रिया ट्रांसप्लांट के प्रकार पर निर्भर करेगी.
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, सर्जरी के बाद के दिनों में, आप ये कार्य कर सकते हैं:
दिन 1: पट्टियां हटाना
दिन 2: बालों को धोना
दिन 3 से 5: काम पर लौटना और हल्की गतिविधियां शुरू करना
10 दिनों के बाद: टांके हटाना (आपके हेल्थ केयर प्रोवाइडर द्वारा)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined