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Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर के इन लक्षणों को गलती से भी न करें नजरअंदाज

SII का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए एक भारतीय एचपीवी वैक्सीन जल्द ही उपलब्ध होगी.

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सर्वाइकल कैंसर के लिए बाजार में वैक्सीन आ रही है. लेकिन क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है कि वैक्सीन की जरूरत ही न पड़े. ये कैंसर होता कैसे है, इसके लक्षण क्या हैं? और अगर ये बीमारी हो गई है तो क्या करें? आज हम आपको यही सारी जानकारी देंगे. याद रखिए ये एक ऐसी बीमारी है, जिससे हर साल लाखों महिलाओं की जान चली जाती है.

इस बीमारी के पीछे है एचवीपी नाम का खतरनाक वायरस. 6 तरह के कैंसर का कारण बनने वाले एचपीवी से लोगों को सावधान रहना बेहद जरूरी है. गर्भाशय कैंसर, गुदा कैंसर, योनि कैंसर, लिंग कैंसर, मुँह और गले का कैंसर फैलाने वाले इस वायरस के बारे में जागरूक करते रहना जरूरी है.

सर्वाइकल कैंसर के लिए भारत की पहली एचपीवी वैक्सीन को मंजूरी मिली 

एचपीवी एक तरह का वायरल इन्फ़ेक्शन होता है 

(फ़ोटो: iStock)

12 जुलाई को, SII के सीईओ अदार पूनावाला ने घोषणा की कि वैक्सीन को भारत के DCGI और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अप्रूव्ड (approved) किया गया है.

उन्होंने ट्विटर पर कहा, "पहली बार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए एक भारतीय एचपीवी वैक्सीन होगी, जो कि सस्ती और सुलभ दोनों है."

लगभग 150 प्रकार के एचपीवी वायरस होते हैं. उनमें से कुछ वायरस अलग-अलग तरह के कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं. खास कर, एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस सबसे खतरनाक होते हैं. ये गर्भाशय कैंसर के लिए 70 प्रतिशत से अधिक जिम्मेदार होते हैं.
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एचपीवी क्या है?

एचपीवी यानि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस

(फ़ोटो: istock)

एचपीवी यानि कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस, एक आम वायरस है, जो बेहद खतरनाक और सबसे तेज़ी से फैलता है. यह एक तरह का वायरल इन्फ़ेक्शन है, जो सेक्स के माध्यम से तो फैलता ही है, पर त्वचा से त्वचा के सम्पर्क में आने से भी फैलता है. मतलब ये जरूरी नहीं कि सेक्सुअल पेनेट्रेशन हो, तभी दो व्यक्ति के बीच यह वायरस फैलेगा.

डॉ.नुपुर गुप्ता, निदेशक प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने फ़िट हिंदी को बताया "एचपीवी एक तरह का वायरल इन्फ़ेक्शन है, जो शरीर में बहुत समय तक नहीं रहता है. ज़्यादातर मामलों में शरीर इस वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडी बना कर उसे शरीर से हटा देता है. यह स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है. वायरस के कारण होने वाला यह संक्रमण व्यक्ति की योनि, मुँह और गले को प्रभावित कर सकता है. जैसे, जेनिटल वार्ट्स, सर्विकल, गुदा, मुँह और गले के कैंसर के रूप में. एचपीवी के लक्षण लगभग नहीं होते हैं, ऐसे में सेक्शुअली ऐक्टिव महिलाओं को स्क्रीनिंग कराते रहना जरूरी है. पैप स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट से संक्रमण का पता चलता है."

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एचपीवी के लक्षण 

एचपीवी के लक्षण 

(फ़ोटो: istock)

एचपीवी के कारणों के बारे में फिट हिंदी को डॉ स्वास्ति, वरिष्ट सलाहकार स्त्री रोग और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, वैशाली ने बताया "जहां तक एचपीवी के लक्षणों की बात की जाए, तो ज्यादातर मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को किसी भी प्रकार का मस्सा बनाने से पहले ही हरा देती है. लेकिन अगर मस्सा दिखायी देता है, तो उसका आकार और दिखावट एचपीवी के प्रकार पर निर्भर करता है." जैसे:

  • सामान्य मस्सा- यह त्वचा की सतह से ऊपर उठा, खुरदुरा मस्सा होता है. आमतौर पर यह मस्सा हाथों, उँगलियों और कोहनियों पर होता है. कई मामलों में ये दर्द और तकलीफ का कारण भी बनते हैं.

  • जननांग मस्सा- यह मस्सा महिलाओं में ज्यादातर वजाइना या गुदा के पास होता है. पुरुषों में ये गुदा के आसपास या लिंग के ऊपर होता है. इसमें खुजली की समस्या हो सकती है. किसी-किसी ही मामलों में इसमें दर्द या बेचैनी होती है.

  • तल का मस्सा- यह मस्सा पैर के तलवे या एड़ी के उस हिस्से पर होता है, जहां व्यक्ति के शरीर का सबसे ज्यादा भार पड़ता है. यह कठोर, रूखा और दानेदार मस्सा दर्द और बेचैनी दे सकता है.

  • सपाट मस्सा- सपाट मस्सा सामान्य त्वचा से थोड़ा ऊपर उठा, सपाट दिखने वाला मस्सा होता है और इसका रंग त्वचा के दूसरे रंग से थोड़ा गाढ़ा होता है. यह शरीर में कही भी हो सकता है.

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एचपीवी के कारण 

एचपीवी सेक्स से भी फैलता है 

(फ़ोटो: istock)

एचपीवी के कारणों के बारे में डॉ स्वास्ति ने बताया " एचपीवी संक्रमण तब होता है, जब एचपीवी वायरस आपके शरीर में किसी कट या खरोंच के माध्यम से अंदर चला जाता है या स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क स्थापित करता है. यह त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से भी होता है."

एचपीवी के कारण जो डॉ स्वास्ति ने बताए वो कुछ इस प्रकार हैं:

  • एक से अधिक यौन साथी- जितनी अधिक यौन साथियों की संख्या होती है, एचपीवी वायरस से संक्रमित होने की संभावना उतनी बढ़ जाती है. इतना ही नहीं एक से अधिक यौन साथियों के साथ संपर्क रखे वाले के साथ यौन सम्बंध बनाना संक्रमण के जोख़िम को बढ़ाता है.

  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली- एचपीवी संक्रमण का जोखिम कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वालों को अधिक होता है.

  • उम्र- सामान्य मस्से अक्सर बच्चों में ही निकलते हैं. जबकि तलवे के मस्से वयस्कों में ज़्यादा निकलते हैं. जननांग मस्से बच्चों और किशोरों में ज्यादा होते हैं.

  • व्यक्तिगत संपर्क- किसी दूसरे व्यक्ति के मस्से को छूने से या एचपीवी वायरस के संपर्क में आए वस्तुओं को छूने से. सार्वजनिक बाथरूम या स्विमिंग पूल से यह संक्रमण ज़्यादा फैलता है.

  • क्षतिग्रस्त त्वचा- जिन व्यक्तियों की त्वचा के किसी हिस्से पर छेद बना हो या चोट लगी हो, तो उनमें सामान्य मस्सा होने की सम्भावना बढ़ जाती है.

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एचपीवी संक्रमण से कैसे बचें?

एचपीवी वैक्सीन बेहद ज़रूरी 

(फ़ोटो: istock)

डॉ नुपुर गुप्ता कहती हैं, "फिलहाल एचपीवी संक्रमण से बचने के ये तरीक़े हैं.

  • सेफ सेक्शुअल प्रैक्टिस: बैरियर कॉन्ट्रासेप्टिव यानि कंडोम के इस्तेमाल से सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से बचा जा सकता है.

  • एचपीवी वैक्सीन: यह वैक्सीन एचपीवी वायरस वाले कैंसर को रोकने में कारगर साबित होता है. लगभग 90 प्रतिशत तक यह वैक्सीन एचपीवी वाले कैंसर से बचाता है. यूएस एफ़डीए द्वारा मान्यता प्राप्त ये वैक्सीन, भारत में 9 साल की लड़कियों से ले कर 45 वर्ष की महिलाओं को दी जाती है.

  • एचपीवी वैक्सीन के साथ स्क्रीनिंग जारी रखना भी महत्वपूर्ण है. समय-समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करते रहने से एचपीवी के कारण होने वाले कैंसर से बचा जा सकता है.

"सेक्स गतिविधियों और ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल किया जाए तो इस संक्रमण से बचा जा सकता है."
डॉ.नुपुर गुप्ता, निर्देशक प्रसूति एवं स्त्री रोग फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम
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एचपीवी का इलाज 

एचपीवी वैक्सीन से गर्भाशय कैंसर का ख़तरा 90 प्रतिशत तक कम 

(फ़ोटो: istock)

एचपीवी वायरस के लिए कोई भी इलाज नहीं है लेकिन उससे हुई बीमारियों का उपचार किया जा सकता है. अधिकतर एचपीवी इन्फ़ेक्शन अपने आप ही ख़त्म हो जाता है और बीमारी का रूप नहीं लेता लेकिन यदि इन्फ़ेक्शन अपने आप न जाए तो, अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.

कुछ लोगों में जननांग मस्सा आना शुरू हो जाता है, तो डॉक्टर उसका इलाज दवाइयों द्वारा कर सकते हैं.

वहीं कुछ महिलाओं में वजाइना से अधिक रसाव होने लगता है. ऐसे में महिलाओं को अपनी डॉक्टर की सलाह से पैप स्मीयर टेस्ट करना चाहिए. जिससे कैंसर होने की संभावना को समय रहते ही सही उपचार मिल सके.

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