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International Nurse Day 2023: क्या है नर्स का रोल प्रिवेंटिव केयर में?

नर्सों की तारीफ और उनके प्रति अपना आभार जताने के लिए बस एक दिन काफी नहीं.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>कांट्रासेप्टिव के सही इस्तेमाल, फायदे और नुकसान से नर्स कराती रूबरू</p></div>
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कांट्रासेप्टिव के सही इस्तेमाल, फायदे और नुकसान से नर्स कराती रूबरू

(फोटो: क्विंट)

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International Nurse Day 2023: हर साल 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है. नर्सों की तारीफ और उनके प्रति अपना आभार जताने के लिए बस एक दिन काफी नहीं है. कोविड महामारी हमारे सामने सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें नर्सों ने मरीजों की सेवा और जागरूकता बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. नौकरी की बात करें, तो हरेक क्षेत्र में चुनौतियां हैं, लेकिन नर्सिंग एक बहुत नोबेल प्रोफेशन है.

क्या है नर्स का रोल प्रिवेंटिव केयर में? सेक्सुअल हेल्थ जागरूकता में नर्सों का शहर और गांवों में क्या योगदान रहता है? कांट्रासेप्टिव के सही इस्तेमाल, फायदे और नुकसान से नर्स कैसे करतीं रूबरू? फिट हिंदी ने दिल्ली एनसीआर के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल की नर्सों से बात की और जाना इन सवालों के जवाब.

क्या है नर्स का रोल प्रिवेंटिव केयर में?

"नर्सों का सामना अक्सर ऐसे नाजुक मामलों से भी होता है, जिसमें कभी नशे की लत के आदी लोग मिलते हैं, कभी किसी अज्ञात बीमारी से जूझ रहे मरीज होते हैं, लेकिन वे ऐसे शारीरिक लक्षणों के साथ होते हैं, जो किसी खास रोग या फैमिली हिस्‍ट्री की ओर इशारा करते हैं और जिसके लिए नर्स उन्हें सावधानी के उपायों का पालन करने की सलाह दे सकती/सकते हैं."
सुश्री रत्‍ना राना, चीफ नर्सिंग ऑफिसर, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्‍पीटल, फरीदाबाद

रोगियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और बनाए रखने में प्रिवेंटिव केयर में नर्सों की भूमिका महत्वपूर्ण है.

  • ग्रामीण इलाकों में एसटीडी, सेक्स एजुकेशन आदि के सन्दर्भ में जागरूकता फैलाना 

  • वैक्सिनेशन के बारे में जागरूकता फैलाना

  • कम्युनिटी कार्यक्रमों के अंतर्गत रोके जा सकने वाले रोगों के बारे में अवगत करवाना और उसका सही मैनेजमेंट बताना

  • अलग-अलग बीमारियों के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में लोगों को बताना ताकि उनकी रोकथाम की जा सके

  • कुपोषित बच्चों के लिए पोषण सुनिश्चित करने के तरीके बताना.

  • नवजात शिशु व उसकी मां को तरह तरह की बीमारियों से बचाने के तरीके बताना.

"प्रिवेंटिव केयर में सक्रिय भूमिका निभाकर, नर्स रोगियों को स्वस्थ और लंबा जीवन जीने में मदद कर सकती हैं और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर पुराने रोगों के बोझ को कम कर सकती हैं."
उषा- नर्स, एशियन हॉस्पिटल फरीदाबाद
  • मरीजों को अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर के साथ नियमित जांच शिड्यूल का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना और प्रिवेंटिव स्क्रीनिंग जांच परीक्षणों के लिए याद कराना.

  • हाइपरटेंशन, डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज जैसी पुरानी बीमारियों के लिए रोगियों के रिस्क फैक्टर्स का आकलन करना और रोग की प्रिवेंशन और मैनेजमेंट पर काउंसलिंग करना.

  • रोगियों में संभावित स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करना और उन्हें आगे के मूल्यांकन और उपचार के लिए उपयुक्त हेल्थ केयर प्रोवाइडर के पास भेजना.

  • टीकाकरण सेवाएं प्रदान करना और रोगियों को बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण के महत्व के बारे में शिक्षित करना.

  • प्रिवेंटिव केयर और हेल्थ लिविंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदाय में स्वास्थ्य प्रचार अभियान और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करना.

"मेडिकल क्षेत्र में एक नर्स की भूमिका बेहद अहम होती है. हमारी सभी नर्स अलग-अलग ड्यूटी के तयशुदा समय के अनुसार मरीज के साथ हर वक्त मौजूद होतीं हैं. ऐसे में हरेक छोटी बात से लेकर इमरजेंसी की स्थिति तक में वे मरीज का ख्याल रखतीं हैं. नर्स को घायल या बीमार लोगों की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जहां तक बात है प्रिवेंटिव केयर की तो इसके अंतर्गत बहुत से रोगों से मरीज को बचाया जा सकता है, ऐसे में नर्स बहुत से तरीकों से केयर सुनिश्चित करतीं हैं."
मिस तबिता दास, नर्सिंग सुपरिन्टेन्डेन्ट, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स गुरुग्राम
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कांट्रासेप्टिव के सही इस्तेमाल, फायदे और नुकसान से नर्स कराती रूबरू

"नर्सें मरीज के साथ डॉक्टरों की तुलना में अधिक समय बिताती हैं. इसीलिए वह मरीज और उनके परिवार की समस्याओं को सुन सकती हैं. यहां नर्स परामर्शदाता/सलाहकार की भूमिका निभाती है और गर्भ निरोधकों के टैबू को धैर्यपूर्वक सुनती है. गांवों में अधिकांश महिलाओं के लिए एक महिला नर्स बहुत बड़ा सहारा हो सकती हैं.
सीमा यादव, जनरल मैनेजर- नर्सिंग, सी.के.बिरला हॉस्पिटल

फिट हिंदी से एक्सपर्ट्स ने कहा कि यहां यह समझना होगा कि हेल्थकेयर में संपर्क करने वाला कोई रोगी या कोई आम व्यक्ति समाज के किसी भी तबके से आ सकता है, ऐसे में उनकी समझ और शिक्षा का स्तर अलग-अलग हो सकता है.

उन्होंने ये भी बताया कि नर्सिंग ट्रेनिंग के दौरान कम्युनिटी नर्सिंग द्वारा लोगों में जागरूकता प्रोग्राम चलाये जाते हैं, जिसके अंतर्गत सभी नर्स की पूरी कोशिश रहती है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में आम भाषा और सहजता के साथ उन्हें कांट्रासेप्टिव के बारे में बताएं.

"नर्स सटीक और साक्ष्य-आधारित जानकारी प्रदान करके गर्भ निरोधकों के लाभ और हानि के बारे में जागरूक कर सकती हैं."
उषा- नर्स, एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे नर्सें जागरूकता को बढ़ावा दे सकती हैं:

• विभिन्न प्रकार के उपलब्ध गर्भ निरोधकों, उनकी प्रभावशीलता और प्रत्येक के लाभ और हानि के बारे में लोगों को शिक्षित करना.

• गर्भ निरोधकों के बारे में आम गलतफहमियों और मिथकों को दूर करना.

• गर्भ निरोधकों के उपयोग के संभावित दुष्प्रभावों और जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान करना.

• लोगों को प्रोत्साहित करना कि वे अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से बात करें ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उनकी व्यक्तिगत जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर कौन सी गर्भनिरोधक विधि उनके लिए सर्वोत्तम है.

"गर्भनिरोध के लिए दवाओं, डिवाइसों या सर्जरी की मदद ली जाती है ताकि अनचाही प्रेगनेंसी से बचाव हो सके. इसके कई प्रकार होते हैं. इनमें कुछ रिवर्सिबल होते हैं जबकि कुछ स्थाई होते हैं. कुछ ऐसे होते हैं, जो यौन संसर्ग जनित रोगों (एसटीडी) से बचाव में भी सहायक हो सकते हैं. "
सुश्री रत्‍ना राना, चीफ नर्सिंग ऑफिसर, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्‍पीटल, फरीदाबाद

सेक्सुअल हेल्थ जागरूकता में नर्सों का शहर और गांवों में क्या योगदान रहता है?

"पिछले वर्षों में, नर्सों ने यौन और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाया है, हालांकि, यह एक सामाजिक जिम्मेदारी ज्यादा है.
सीमा यादव, जनरल मैनेजर- नर्सिंग, सी.के.बिरला हॉस्पिटल

मिस तबिता दास फिट हिंदी से कहती हैं, "हेल्थकेयर में संपर्क करने वाला व्यक्ति समाज के किसी भी तबके का हो सकता है इस बात का खास ख्याल रखना होता है. ऐसे में ग्रामीण और शहरी इलाके में लोगों की जागरूकता में फर्क हो यह स्वाभाविक है. साथ ही संसाधनों के अभावों में भटकाव होने की पूरी पूरी आशंका होती है, ऐसे में सेक्सुअल हेल्थ का सही ज्ञान बहुत जरुरी है. इसे दो भागों में बांटा जा सकता है, एक टीनेज/युवा दूसरा विवाहित दंपति, दोनों को अलग-अलग स्तर पर जागरूक करने की जिम्मेदारी होती है."

कुछ तरीके जिनसे नर्सें सेक्सुअल हेल्थ के बारे में जागरूकता पैदा करने में योगदान दे सकती हैं:

  • सेक्सुअल हेल्थ के बारे में व्यक्तियों को शिक्षित करने के लिए स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर स्वास्थ्य शिक्षा सत्र आयोजित करना, जिसमें युवावस्था, गर्भनिरोधक, यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) और सुरक्षित यौन व्यवहार जैसे विषय शामिल हैं.

  • ऐसे व्यक्तियों को परामर्श और सहायता प्रदान करना, जिनके सेक्सुअल हेल्थ के बारे में प्रश्न या चिंताएं हो सकती हैं.

  • नियमित एसटीआई (STI) जांच और परीक्षण को प्रोत्साहित करना और देखभाल और उपचार के लिए रेफरल प्रदान करना.

  • सेक्सुअल व्यवहार और प्रथाओं को बढ़ावा देना, जैसे एसटीआई और अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए कंडोम और दूसरे कांट्रासेप्टिव का उपयोग करना. बर्थ कंट्रोल पिल्स, अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUD) और नसबंदी सहित परिवार नियोजन विधियों के बारे में जानकारी प्रदान करना.

  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सेक्सुअल हेल्थ शिक्षा और सेवाओं का समर्थन करने वाली नीतियों और कार्यक्रमों की वकालत करना.

  • कोशिश की जाती है कि किशोरावस्था के दौरान नर्सेज विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत गांवों के किशोरों में जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए पहुंच बनायें और समझाएं. शहरी इलाकों में भी लगभग यही तरीका कारगर होता है. 

  • नर्सिंग में एएनएम (ओग्ज़िलरी नर्सिंग मिडवाइफरी) का एक कोर्स होता है, जिसमें वे नवजात बच्चे की मां को अपने और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए शिक्षित करतीं हैं. इसमें कम्युनिटी हेल्थ भी शामिल है. 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में कोशिश की जाती है कि दंपति को तरह-तरह के अनुभव बताकर कांट्रासेप्टिव के गलत तरीके के नुकसानों से अवगत किया जाए. अक्सर यह चुनौती ग्रामीण क्षेत्र में नवजात बच्चे के होने पर दंपति में देखी जाती है. नवजात शिशु की मां के स्वास्थ्य का सम्पूर्ण ध्यान रखते हुए दोबारा यौन संबंध कब होना चाहिए और उसमें भी कांट्रासेप्टिव कैसी भूमिका होगी इस संदर्भ में विशेष ध्यान दिया जाता है.

"शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों की चुनौतियां अलग अलग हो सकतीं हैं ऐसे में नर्सेज जगह और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार पूरी कोशिश करतीं हैं कि सही जानकारी हरेक तबके तक पहुंचे."
उषा- नर्स, एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

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