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International Nurse Day: नर्सों को सलाह, बर्नआउट को रोकने के लिए उठाएं ये कदम

"हम तनाव भरे समाज में रहते हैं, नर्सिंग पेशा अपने आप में एक ऐसा पेशा है, जो बेहद तनावपूर्ण है."

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>International Nurse Day:&nbsp;दुनिया का सबसे मुश्किल काम नर्सिंग के अलावा और क्या हो सकता है.</p></div>
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International Nurse Day: दुनिया का सबसे मुश्किल काम नर्सिंग के अलावा और क्या हो सकता है.

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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International Nurse Day 2023: मेडिकल क्षेत्र में एक नर्स की भूमिका बेहद अहम होती है. सभी नर्स अलग-अलग ड्यूटी के तयशुदा समय के अनुसार मरीज के साथ हर वक्त मौजूद होती हैं. ऐसे में हरेक छोटी बात से लेकर इमरजेंसी की स्थिति तक में वे मरीज का ख्याल रखतीं/रखते हैं. नौकरी के दौरान बर्नआउट को रोकने के लिए नर्सें क्या कदम उठा सकती हैं? गंभीर बीमारियों वाले मरीजों की देखभाल करने में नर्सों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? अस्पताल या क्लिनिकल सेटिंग में नर्स रोगी की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करती हैं? फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब जाने गुड़गांव, मेदांता हॉस्पिटल के नर्सिंग- डायरेक्टर, विनोद कृष्णकुट्टी से.

क्रॉनिक बीमारी वाले रोगी की देखभाल में करना पड़ता है चुनौतियों का सामना

"क्रॉनिक बीमारियों वाले मरीजों की देखभाल करते समय नर्सों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. लॉन्ग टर्म क्रोनिक डिजीज (Long Term Chronic Disease) से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या अपने आप में एक बड़ी चुनौती है."
विनोद कृष्णकुट्टी, डायरेक्टर, नर्सिंग, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव

नर्सों को शारीरिक और भावनात्मक तनाव का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वह कैंसर रोगियों की देख भाल करते/करती हैं. ऐसी नर्सों को बीमारी के शारीरिक लक्षणों और रोगियों द्वारा अनुभव की जा सकने वाली भावनात्मक अवस्थाओं दोनों का भी प्रबंधन करना पड़ता है.

"कई कदम उठाने पड़ते हैं बर्नआउट से बचने और मेंटल हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए"

नर्स ज्यादातर 10 से 12 घंटे की शिफ्ट में काम करती/करते हैं. तमाम प्रशासनिक जिम्‍मेदारियों और शिफ्ट में बदलाव की प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद देखें तो उनकी शिफ्ट के घंटे कुल-मिलाकर काफी बढ़ जाते हैं. इतने लंबे समय तक काम करना शारीरिक और मानसिक तौर पर थकावट पैदा करता है जो आगे चलकर बर्नआउट का कारण बन सकता है. 

नर्सें बर्नआउट को रोकने और काम के दौरान अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाती हैं. काम के कारण रहने वाला हाई स्ट्रेस नर्सों में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकावट का कारण बन सकता है.

"सबसे पहले, नर्सों को नियमित रूप से एक्सरसाइज करते रहना चाहिए और हर रात पर्याप्त नींद लेकर शारीरिक रूप से फिट रहने की कोशिश करनी चाहिए. उन्हें अपने तनाव के ट्रिगर्स की भी पहचान करनी चाहिए. अपनी भावनाओं को मैनेज करने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी चाहिए जिस पर वे विश्वास कर सकें और काम से संबंधित तनाव को काम पर छोड़ना सीख लेना चाहिए."
विनोद कृष्णकुट्टी, डायरेक्टर, नर्सिंग, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव

नर्सिंग के कामकाज में सबसे ज्यादा स्ट्रेस का सामना आईसीयू नर्स, ईआर नर्स और एनआईसीयू नर्स को करना पड़ता है. इन भूमिकाओं को निभाने वाली/वाले नर्स काफी तनाव भरे माहौल का सामना करते हैं. इनके अलावा, ओआर नर्सिंग, ओंकोलॉजी नर्सिंग और साइकेट्रिक नर्सिंग के क्षेत्र भी काफी स्ट्रेस होता है. 

विनोद कृष्णकुट्टी फिट हिंदी से कहते हैं, "नर्सों को अपने स्वास्थ्य - शारीरिक और मानसिक दोनों को प्राथमिकता देनी चाहिए और आराम करने के लिए समय निकालना चाहिए. उन्हें अपनी हॉबी या पसंद की चीजें करते रहनी चाहिए.

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अस्पताल या क्लिनिकल सेटिंग में नर्सें मरीज की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करती हैं?

विनोद कृष्णकुट्टी कहते हैं कि वे सख्त सफाई प्रोटोकॉल का पालन कर, मॉनिटरिंग प्रोसेस का उपयोग कर, मेडिकल ज्ञान और नई तकनीकों की जानकारी के साथ रहकर रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते/करती हैं. सही जानकारी रखने और हमेशा सजग रहने के साथ-साथ रोगियों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूति भरा व्यवहार रखतीं हैं. इन उपायों का पालन करने से नर्स असामान्य हानियों को रोक सकते/सकती हैं और सुरक्षित वातावरण में रोगियों को सर्वोत्तम देखभाल प्रदान कर सकते/सकती हैं.

नर्सें मरीजों की हर स्वास्थ्य सेवा का ऐसे रखतीं ख्याल

नर्स मरीजों का ध्यान रखते हुए डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट और दूसरे हेल्थकेयर केयर एक्सपर्ट्स के बीच तालमेल स्थापित करके मरीजों के हित में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते/निभाती हैं. वे मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए और बेस्ट कम्युनिकेशन सुनिश्चित करने के लिए हेल्थकेयर टीम के बीच अच्छे इंटर प्रोफेशनल संबंध बनाए रखते हैं.

संघर्ष और खुशियों के बीच नर्स का जीवन

"दुनिया का सबसे मुश्किल काम नर्सिंग के अलावा और क्या हो सकता है. नर्स के बिना एक समाज नींव के बिना एक इमारत के जैसा है. एक हेल्थकेयर इंस्टिट्यूट में नर्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. उदाहरण के लिए, अगर कोई मरीज अस्पताल में भर्ती है, तो उस व्यक्ति के लिए संपर्क का एकमात्र सहारा एक नर्स होती है."
विनोद कृष्णकुट्टी, डायरेक्टर, नर्सिंग, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव

उदाहरण देते हुए एक्सपर्ट कहते हैं, "अगर डॉक्टर राउंड के लिए नहीं आता है, तो मरीज तुरंत कॉल बटन दबाता है और पूछता है, "सिस्टर मेरा डॉक्टर कब आने वाला है?", मुझे कौनसा टेस्ट कराना है और क्यों ? अगर खाना नहीं आता है, तो वह व्यक्ति घंटी दबाकर कहेगा "मुझे खाना नहीं मिला". अगर मरीज को कोई जानकारी चाहिए हो, कुछ पता करना हो या डॉक्टर की बात समझनी हो तो नर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि रोगी की देखभाल में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाए.

"हम तनाव भरे समाज में रहते हैं, नर्सिंग पेशा अपने आप में एक ऐसा पेशा है, जो बेहद तनावपूर्ण है."
"सही मायने में यह कहा जाता है कि नर्सें स्वास्थ्य सेवा उद्योग की रीढ़ होती हैं. वे रोगी, रिश्तेदारों और डॉक्टरों सभी को खुश रखती हैं."
विनोद कृष्णकुट्टी, डायरेक्टर, नर्सिंग, मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव

मरीजों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में नर्स की क्या भूमिका होती है?

शारीरिक स्वास्थ्य में, नर्सें हर एक आयु वर्ग में उपलब्ध अलग-अलग तरह के रोगों के उपचार के लिए बीमारी की जांच करने, कैसा आहार लें, कैसा नहीं यह बताने में और एक्सरसाइज बताने या कराने में मरीज की पूरी मदद करती हैं.

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जिस को आज भी समाज महत्व नहीं देता हैं वह मेंटल हेल्थ है. मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना निश्चित रूप से सभी के लिए बहुत जरूरी है. जैसा कि हम तनाव भरे समाज में रहते हैं, नर्सिंग पेशा अपने आप में एक ऐसा पेशा है, जो अत्यधिक तनावपूर्ण है. नर्सें योगा कर के अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकती हैं, साथ ही तनाव वाली गतिविधियों के बारे में और उनसे कैसे निपटा जाए यह समझा कर आम जनता को भी जागरूक कर सकती हैं.

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