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IVF Treatment And ART Act: कुछ दिनों पहले ही दिवंगत पंजाबी गायक शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने सोशल मीडिया में अपने दूसरे बेटे की जन्म की बात शेयर की थी. उसके बाद उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार "उन्हें यह साबित करने के लिए परेशान कर रही है कि उनका बच्चा वैध है."
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पंजाब सरकार को नोटिस भेजकर इस IVF ट्रीटमेंट पर रिपोर्ट मांगी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मां चरण कौर 58 साल की हैं और पिता बलकौर सिंह 60 साल के और IVF ट्रीटमेंट की मदद से इस उम्र में बच्चा हुआ है.
गौर करने वाली बात ये है कि भारत में IVF ट्रीटमेंट के लिए एक कानून है, जो कहता है कि इस ट्रीटमेंट के जरिए 50 साल तक की महिला और 55 साल तक के पुरुष ही माता-पिता बन सकते हैं.
क्या है आईवीएफ का ART एक्ट? आईवीएफ ART एक्ट का पालन नहीं करने पर क्या होता है? तय उम्र सीमा के बाद IVF ट्रीटमेंट से जन्में बच्चे पर किसका अधिकार? इनफर्टिलिटी क्लिनिक के काम करने का सही तरीका क्या है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की और IVF से जुड़े नियमों के बारे में जाना.
भारत में सारे फर्टिलिटी सेंटर को रेगुलेट करने के लिए एक लॉ बनाया गया है, जिसे ART एक्ट कहा जाता है. यह कानून 2022 में लागू हुआ है. इस कानून में एक फर्टिलिटी सेंटर को जो भी काम करने की इजाजत है, उसके बारे में विस्तार से बताया गया है.
इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी इनफर्टिलिटी की समस्या का इलाज करने वाला डॉक्टर इसे फॉलो किए बिना भारत में प्रैक्टिस नहीं कर सकता.
इस कानून में निर्देश लिखे गए हैं कि एक ART सेंटर या एक फर्टिलिटी सेंटर में क्या काम किया जाना चाहिए और उस काम को करने का सही तरीका क्या है?
बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, गुरुग्राम में सीनियर कंसलटेंट डॉ. प्राची बेनारा ने बताया कि
अगर कोई क्लिनिक या मरीज आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए ART एक्ट का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी एक्शन लिया जा सकता है. जुर्माना और जेल दोनों की बात साफ शब्दों में ART एक्ट में लिखी गई है.
नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी में चीफ क्लिनिकल मेंटर डॉ. सोनिया मलिक ने बताया कि
IVF तकनीक से अधिक उम्र में भी बच्चे पैदा किए जा सकते हैं पर भारत में 2022 में पारित किए गए ART एक्ट के अनुसार महिलाओं को 50 साल की उम्र तक IVF ट्रीटमेंट के जरिए मां बनने की अनुमति है जबकि पुरुष 55 साल तक IVF के जरिए पिता बन सकते हैं.
साथ ही एक्सपर्ट ये भी कहती हैं कि ये भी जानना जरुरी कि जब वो बच्चा बड़ा होता है, तो उस दंपति की उम्र लगभग 70-75 साल की हो जाती है, तो नैतिकता की दृष्टि से ये सही तरीका नहीं है. इसीलिए लॉ में उम्र सीमा रखी गई है.
डॉ. सोनिया मलिक बढ़ती उम्र में घेरती बीमारियों की बात पर ध्यान ले जाते हुए कहती हैं,
डॉ. सोनिया मलिक फिट हिंदी से एक मामले का जिक्र करते हुए बताती हैं कि सालों पहले एक मामले में ये देखा गया था कि एक वृद्ध महिला को IVF ट्रीटमेंट के जरिए जुड़वा बच्चे पैदा हुए और डिलीवरी के बाद महिला ने बिस्तर पकड़ लिया. 2-3 साल बाद उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद बच्चों का क्या हुआ किसी को नहीं पता.
दिवंगत गायक सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता के घर IVF ट्रीटमेंट के जरिए आए बच्चे का जिक्र करते हुए डॉ. मलिक कहती हैं,
डॉ. प्राची बेनारा फिट हिंदी को बताती हैं,
डॉ. प्राची आगे कहती हैं कि ART एक्ट में बहुत साफ शब्दों में बताया गया है कि ये करना कानूनी तौर पर एक अपराध है और ऐसे मामलों के खिलाफ बहुत कड़ी कार्यवाई की जा सकती है.
फिट हिंदी के एक दूसरे आर्टिकल में IVF ट्रीटमेंट के तरीके पर बात करते हुए डॉ. आर.के. शर्मा ने बताया था “इन्फर्टिलिटी क्लिनिक को फर्टिलिटी फील्ड में ट्रेंड गायनकॉलिजस्ट चलाते हैं. जो लोग हमारे पास इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्या ले कर आते हैं, हम उनकी जांच (examine) करते हैं. उससे ये पता चलता है कि किस तरह की इनफर्टिलिटी समस्या से दंपति जूझ रहे हैं और उसके लिए इलाज क्या करना है."
डॉ. आर.के. शर्मा बता रहे इन्फर्टिलिटी क्लिनिक के काम करने के सही तरीके के बारे में बताया:
आईवीएफ की प्रक्रिया शुरू करने से पहले दंपति की काउंसलिंग होनी चाहिए
दंपति को IVF ट्रीटमेंट के लिए बनाए गए कानून की जानकारी देनी चाहिए
आईवीएफ की असफलता दर के बारे में बताना चाहिए
सेहत पर इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट जैसे कि आईवीएफ, सरोगेसी, एग डोनेशन, आईयूआई जैसी प्रक्रियाओं से होने वाले अच्छे-बुरे असर के बारे में बताना जरुरी है
IVF ट्रीटमेंट के खर्चों के बारे में जानकारी देनी चाहिए
मरीज/परिवार के सदस्य का कन्सेंट लिखित में लेने के बाद ही प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए
नए ART एक्ट के तहत हर एक सेंटर चाहे वो इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) करते हों या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), सबको रेजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा और वो नियमित सरकारी निगरानी में रहेंगे. साथ ही समय-समय पर क्लिनिक का लेखा-जोखा सरकार द्वारा बनाई गयी रेग्युलटॉरी बॉडी से साझा करना होगा.
आईवीएफ (IVF) और सरोगेसी (surrogacy) के लिए अलग-अलग कानून बने हैं. आईवीएफ के लिए बने ‘ART’ एक्ट में ही महिला एग/उसाइट डोनर (Oocyte/egg donor) के लिए भी नियम बने हैं.
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