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कर्नाटक के मणिपाल के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक 19 वर्षीय लड़की की सोमवार, 8 जनवरी को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) से मौत हो गई. होसानगर तालुक की रहने वाली अनन्या, 2024 में केएफडी (KFD) से जान गंवाने वाली पहली शख्स है.
साउथ फर्स्ट ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉ. राजेश सुरगीहल्ली के हवाले से कहा,
केएफडी (KFD) या मंकी फीवर एक जूनोटिक इन्फेक्शन है, जो टिक्स (ticks) के कारण होता है. इस वायरल बीमारी की पहचान पहली बार 1950 के दशक में कर्नाटक के फॉरेस्ट एरिया में की गई थी और तब से ये बीमारी कई बार सामने आ चुकी है.
मनुष्यों और जानवरों के बीच क्लोज कांटेक्ट के कारण, यह बीमारी क्यासानूर फॉरेस्ट एरिया में हर कुछ सालों में पीक पर होती है.
डॉ. सुरगिहल्ली इस ओर भी इशारा करते हैं कि अनन्या का गांव एक "गैर-केएफडी" क्षेत्र है, क्योंकि इस क्षेत्र में लगभग एक दशक में इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जिससे 19 वर्षीय की मौत पब्लिक हेल्थ कंसर्न का विषय बन गया है.
केएफडी के लिए कम से कम 2,911 और लोगों की जांच की गई है. डॉ. सुरगिहल्ली ने साउथ फर्स्ट को बताया कि अनन्या के अलावा, एक दूसरे व्यक्ति को इस बीमारी से संक्रमित पाया गया था और वह अब ठीक हो गया है.
डीएचओ के अनुसार, केएफडी को कंट्रोल करने का एकमात्र तरीका जोखिम वाली आबादी की निगरानी करना और उसे टीके लगाना है. लेकिन पिछले दो वर्षों से इस क्षेत्र में केएफडी से लड़ने के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं.
इस कारण स्वास्थ्य विभाग रोकथाम के लिए ये सभी उपाय कर रहा है:
निरंतर निगरानी और एक्सटेंसिव टेस्ट सैंपलिंग.
एडवाइजरी जारी करने के लिए वन और पशुपालन विभागों के साथ गठजोड़.
बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना.
सभी घरों में डायथाइल फिनाइल एसिटामाइड तेल (Diethyl Phenyl Acetamide oil) की आपूर्ति, जो कि टिक्स के लिए एक रिपेलेंट है.
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